05-Jun-2015 08:46 AM
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पूरे भारत में गर्मी ने 22 सौ से अधिक जानें ले ली हैं और इसका प्रचंड प्रकोप जारी है। प्रकृति से तारतम्य न बैठाने के कारण गर्मी का यह रूप भयंकर बन गया है। आने वाले दिनों में यह गर्मी और

विकराल हो जाएगी। इस बार दक्षिण भारत को गर्मी ने भी तंग कर दिया। तेलंगाना में तो तापमान 46 डिग्री तक जा पहुंचा। उधर बिहार और उत्तरप्रदेश हमेशा की तरह तपते रहे। इस बार की गर्मी कई मायनों में रिकॉर्ड स्तर तक पहुंची है और तापमान तेजी से बढ़ा है। गर्मी कुछ लंबी भी खिंची है। लंबी गर्मी को कुछ लोग अच्छा भी मान रहे हैं लेकिन कुछ लोग असे ग्लोबल वार्मिंग से जोड़कर देख रहे हैं। दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तरप्रदेश में तेज गर्मी पड़ती है लेकिन हैदराबाद में 46 डिग्री तापमान पहुंचना हैरत में डाल रहा है। मौसम विभाग ने इस वर्ष पहले ही भविष्यवाणी की थी कि गर्मी ज्यादा पड़ेगी। राजस्थान के जींद क्षेत्र में तो 48 डिग्री तापमान पहुंच गया। विदर्भ में लगातार सूखा और गर्मी लोगों के बीच सरदर्द बन गई। गर्मी का कारण हरियाली का सिमटना तो है ही और भी कई कारक जिम्मेदार हैं। वर्ष 2012 में अमेरिका में गर्मी ने 117 साल पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए। वहां अब सूखे का रिकॉर्ड बना। हालत यह है कि वहां लोग लॉन में हरा पेंट कर देते हैं। लेकिन भारत में गर्मी की तपिश से मौतें भी बहुत हो रही हैं।
तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के विभिन्न भागों में चल रही लू ने अब तक 153 लोगों की जान ले ली है, वहीं देश के अन्य राज्यों में भी लू से हुए मौतों को जोड़ा जाए तो यह आंकड़ा 300 तक पहुंच गया है। लू के कारण तेलंगाना में 73 और आंध्रपदेश में 80 लोगों की मौत हो चुकी है। आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले में सबसे अधिक 40 लोगों की मौत हुई है। खम्माम, नालगोंडा, निजामाबाद, रामागुंडम में सबसे अधिक 47 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया।
उत्तरप्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में झुलसाने वाली गर्मी पड़ रही है। इलाहाबाद 47 डिग्री अधिकतम तापमान के साथ प्रदेश का सबसे गर्म स्थान रहा। पश्चिम बंगाल में गर्मी और लू से एक व्यक्ति की मौत हो गई है। ओडिशा में भी लू तेज हो गई है। पंजाब और हरियाणा में भी गर्मी से लोग बेहाल हैं। चंडीगढ़ में तापमान 43.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। राजस्थान में जैसलमेर बेहद गर्म रहा। वहां अधिकतम तापमान 46.5 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया। महाराष्ट्र के चन्द्रपुर में अधिकतम तापमान 47 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह ग्लोबल वार्मिंगÓ का हिस्सा है। यानी धरती का बढ़ता हुआ तापमान जिससे कई जगह मौसम की तीव्रता देखने को मिलती है। कहीं भीषण गरमी पड़ रही है तो कहीं बाढ़, समुद्र में पानी बढ़ रहा है और कहीं ज्वालामुखी फट रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग का एक कारण है धरती के आर्कटिक इलाके में हो रहे बदलाव। आर्कटिक धरती का सबसे उत्तरी इलाका है। बर्फ की मोटी परत से ढका हुआ यह इलाका पूरी धरती का तापमान नियंत्रित करता है। यह सूरज की तेज और भीषण गर्मी को सोख लेता है जिससे धरती का तापमान हमारे रहने लायक बना रहता है। लेकिन पिछले कुछ सालों से आर्कटिक में बर्फ की मोटी चट्टानें पिघलने लगी हैं। इसकी वजह से समुद्र में पानी का स्तर बढ़ रहा है और धरती करीब दो डिग्री गर्म हुई है।
आर्कटिक को बचाने के लिए अगर सभी देश ठोस कदम नहीं उठाते हैं तो आने वाले सालों में धरती रहने लायक नहीं रहेगी। जहां विकसित देशों को बहुत कुछ करने की जरूरत है वहीं हम भी जिस रफ्तार से जंगलों को काटकर बिल्डिंग और फैक्ट्री खड़ी कर रहे हैं, उस पर रोक लगानी होगी। पानी और बिजली बचानी होगी। मनुष्य की तरक्की में प्रकृति को साथ लेकर नहीं चले तो प्रकृति साथ छोड़ देगी।
-अहमदाबाद से सतिन देसाई