कृषि महोत्सव के साथ वर्षगांठÓ का प्रचार
05-Jun-2015 08:40 AM 1234838

नरेंद्र मोदी सरकार के एक वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में भाजपा शासित सरकारों ने कुछ इस तरह के कार्यक्रम बनाए हैं जिनसे राज्यों के साथ-साथ केंद्र का भी प्रचार हो रहा है। मध्यप्रदेश में 25 मई से 15 जून तक जारी 20 दिवसीय कृषि महोत्सव में प्रदेश के सारे मंत्री अपने-अपने प्रभार के जिलों के साथ अपने गृह जिलों में पिछले 10 दिनों से भारत सरकार की योजनाओं का प्रचार प्रसार कर रहे हैं। मंत्रियों का कहना है कि केन्द्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं पर जनता का क्या विचार है और किसानों की क्या प्रतिक्रिया है यह जानने की कोशिश कृषि महोत्सव के दौरान की जा रही है। प्रदेश भर में घूमकर सत्तासीन दल के विधायक और सरकार के मंत्री विभिन्न योजनाओं पर जो फीडबैक देंगे उसका विश्लेषण भी किया जाएगा। उन्होंने मुख्यमंत्री मजदूर सुरक्षा योजना, कृषि सुरक्षा योजना का जिक्र करते हुए कहा कि इन योजनाओं में जिले में जो परफार्मेंस हुआ है। उसकी समीक्षा भी होगी। कृषि से संबंधित योजनाओं के लिए पैसे की कमी आड़े नहीं आएगी। जहां केन्द्र कटौती करेगा उसकी पूर्ति राज्य सरकार करेगी। 
इसी के साथ खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए राज्य सरकार ने कृषि महोत्सव का आयोजन भी कर डाला। यह आयोजन 25 मई से चालू हो चुका है। मंत्रियों ने जनता जर्नादन से सीधे जुडऩे पर शिकायतें की हैं। जिनमें बिजली को लेकर कृषकों से लेकर नागरिकों तक में भारी असंतोष है। बिजली विभाग के अधिकारियों की रंगदारी के कारण एक तरफ किसान परेशान हैं तो वहीं भारी भरकम बिजली न मिलने पर भी जबरदस्त पैसा चुकाने के लिए मजबूर हैं।  पीने के पानी की शिकायतें पूरे प्रदेशभर में अत्यधिक हैं। ग्रामीण से लेकर किसानों का कहना है कि पीने के पीने के हैंड पंप खराब हो चुके हैं, सूख चुके हैं, उसमें किसी तरह का मेंटेनेंस नहीं होता है। भारत सरकार की अन्य योजनाओं से किसान प्रसन्न हैं। केन्द्रीय योजनाओं और केन्द्र की उपलब्धियों का जमकर बखान कर रहे है। मध्यप्रदेश के विकासखंडों में दौड़ रहे कृषि क्रांति रथ दरअसल केन्द्र सरकार की योजनाओं के रथ है। मुख्य रूप से राज्य कृषि विपणन बोर्ड उद्यानिकी एवं खाद प्रसंस्करण, पशुपालन, मछली पालन, सहकारिता, पंचायत, ग्रामीण विकास, वन जनसंसाधन, ऊर्जा, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा, राजस्व, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण स्कूल शिक्षा, आदिवासी विकास, महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी जोर-शोर से कृषि महोत्सव मनाने में जुटे हुए हैं। लेकिन साथ ही केन्द्र की मोदी सरकार का महोत्सव भी मनाया जा रहा है। राज्य सरकार ने 68 हजार किसान खरीद कार्ड भी बांटे है। किसानों को साइल हेल्थ कार्ड देने के लिए एक सप्ताह के भीतर मिट्टी के 63 हजार नमूने लिए गए। उज्जैन में 29 मई को किसानों से सीधी बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषकों की बातें तो बड़ी ध्यान से सुनी लेकिन साथ ही उन्होंने केन्द्र सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को कृषकों तक पहुंचाने की कोशिश की।
केन्द्र  द्वारा प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण विधेयक के खिलाफ जो प्रचार हुआ है। उसे कृषि महोत्सव जैसे आयोजनों द्वारा खत्म करने की कोशिश की जा रही है। मध्यप्रदेश के 29 जिलों में 64 कृषक उत्पादन संगठन हैं।  जिनसे बातचीत के दौरान शिवराज सिंह चौहान ने किसानों की उपज को सीधे बाजार से जोडऩे के साथ ही वाजिब दाम दिलवाने के लिए प्रतिबद्धता जताई। इसके लिए कंसोर्टियम ऑफ फॉम्र्र्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड का गठन किया गया। जिसके जरिए किसानों की सामग्री उन स्थानों पर भेजी जाएगी जहां वाजिब दाम मिले। यह प्रयास अच्छा है। मध्यप्रदेश में कृषि महोत्सव के दौरान अन्य मंत्रियों ने भी तपती धूप की परवाह न करते हुए खुजनेर, खिलचीपुर, जैतपुरा जैसे ग्रामीण इलाकों में ग्रामीण जनता से रूबरू होते हुए खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जब तक किसान परंपरागत खेती का मोह छोड़ आधुनिक तकनीक और उन्नत बीजों का नहीं अपनाएंगे तब तक खेती का लाभ का धंधा बनाने का संकल्प पूरा नहीं होगा। विकासखंडों में कृषि रथ में टीवी, डीपीएस सिस्टम आदि लगाए गए हैं जिनमें किसानों को नई तकनीक के साथ सरकार की योजनाओं की जानकारी दी गई है। कहने को तो दल के प्रभारी कृषि विभाग के अधिकारियों को बनाया गया है लेकिन उनकी भूमिका केवल कृषि रथ के सुचारू संचालन तक सीमित है। इसके  बाद मंत्री और विधायक मोर्चा संभाल लेते हैंं। क्योंकि अमित शाह ने साफ कहा है कि भाजपा केन्द्र की योजनाओं को जनजन तक पहुंचाने के लिए 4 हजार 413 सभाएं आयोजित करेगी। इसीलिए कृषि महोत्सव का उपयोग केन्द्र की योजनाओं के गुणगान के लिए भी किया जा रहा है। कहने को तो कृषकों के साथ कृषि संगोष्ठी की जा रही है। वैज्ञानिकों ने किसानों को मिट्टी की तासीर के विषय में बताना प्रारंभ किया है। बलराम तालाब योजना जैसी योजनाओं के द्वारा पानी की कमी से निपटने की कोशिश की जा रही है। उद्यानिकी विभाग कृषि क्रांंति रथ में पौधों का भी वितरण कर रहा है। राजस्व विभाग किसानों के घर-घर जाकर राजस्व अभिलेखों की प्रतियां वितरित कर रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने ग्रामीण के लिए स्वास्थ्य परीक्षण और टीका करण शिविर लगाए हैं। महिला तथा बाल विकास विभाग ने आंगनबाडिय़ों में विशेष पोषण दिवस आयोजित किया है। पशुपालन विभाग नई दुग्ध उत्पादन समितियों का तलाश रहा है। कृत्रिम गर्भाधान आदि के शिविर लगे हैं। लोन का भी प्रचार-प्रसार हो रहा है। इस तरह किसान क्रांति रथ किसान से संबंधित सभी योजनाओं का वाहक है। प्रयास अच्छा है, लेकिन इसकी सफलता सरकारी कर्मचारियों की कार्यशैली पर निर्भर करेगी।

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