कैमरन जीते भारतवंशियों की भी जीत
21-May-2015 03:25 PM 1234820

 

ब्रिटेन में लंगड़ी सरकार की सम्भावनाएं डेविड कैमरन ने झुठला दीं। भारत के प्रति झुकाव के लिए मशहूर कंजरवेटिव पार्टी ने 650 मेंं से 331 सीटें जीतकर कैमरन को एक बार फिर से सत्तासीन कर दिया। कैमरन ने अपने घोषणा पत्र में सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता, भारत यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौते को समर्थन जैसे वादे किए थे। ब्रिटिश जनता ने इसे सकारात्मक तरीके से लिया और वहां इंफोसिस के नारायण मूर्ति के दामाद ऋषि सुनाक सहित 10 भारतवंशियों को जीत मिली। पिछली बार यह संख्या 8 थी। 59 भारतवंशी मैदान में थे, जिनमें से कंजरवेटिव ने 17, लिबरल डेमोक्रेट ने 14, लेबर ने 14, ग्रीन पार्टी ने 4, यूकेआईपी ने 3 को टिकट दिया था। पांच अन्य दलों से या स्वतंत्र चुनाव लड़े थे। जो 10 भारतवंशी जीते उनमें कीथ वाज (लीसेस्टर-पूर्व, लेबर), प्रीति पटेल (विट्हम, कंजरवेटिव) और इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति के दामाद ऋषि सुनाक (रिचमंड, कंजरवेटिव) भी शामिल हैं। विजयी भारतवंशियों में से 5 कंजरवेटिव पार्टी के हैं।
अन्य विजयी भारतवंशी हैं- वीरेंद्र शर्मा (ईलिंग साउथहॉल, लेबर), वैलेरी वाज (वालसाल साउथ, लेबर), आलोक शर्मा (रीडिंग वेस्ट, कंजरवेटिव), शैलेष वारा (कैंब्रिजशायर उत्तर-पूर्व, कंजरवेटिव), सुएला फर्नांडीस (फेयरहैम, कंजरवेटिव), सीमा मल्होत्रा (दक्षिण-पूर्व लंदन,लेबर) और लीसा नैंडी (विगन, लेबर)।
ग्रेट ब्रिटेन के चुनावों के बारे में यह अंदाजा लगाया जा रहा था कि नतीजे किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं देंगे और गठबंधन सरकार बनेगी। यह अंदाजा गलत निकला। लेकिन सत्तारूढ़ कंजरवेटिव पार्टी का बहुमत नहीं के बराबर है और अगले कार्यकाल में यह पार्टी कभी भी अल्पमत में आ सकती है। इन चुनावों के नतीजों से कुछ निष्कर्ष निकलते हैं, जो भारतीयों के लिए भी दिलचस्प हो सकते हैं। पहली बात तो यह है कि ग्रेट ब्रिटेन की राजनीति काफी हद तक भारत जैसी होती जा रही है। दो प्रमुख पार्टियों, कंजरवेटिव और लेबर का वर्चस्व मुख्य इंग्लैंड में तो है, लेकिन क्षेत्रीय पार्टियां लगातार मजबूत होती जा रही हैं। लेबर के बुरे प्रदर्शन की एक बड़ी वजह यह भी है कि स्कॉटलैंड उसका गढ़ हुआ करता था, वहां इस बार स्थानीय स्कॉटिश नेशनलिस्ट पार्टी का एकतरफा वर्चस्व हो गया है। वहां लेबर को कुल एक सीट मिली है, जबकि एसएनपी को 56 सीटें मिली हैं।
इसका अर्थ यह है कि पिछले जनमत संग्रह में हालांकि स्कॉटिश बहुमत ने ग्रेट ब्रिटेन के साथ रहने का फैसला किया था, लेकिन स्कॉटिश राष्ट्रवाद बहुत मजबूत है और हो सकता है कि इस नई सरकार के कार्यकाल में फिर से जनमत संग्रह हो। इस संभावना के पीछे एक और कारण है। कंजरवेटिव पार्टी यूरोपीय संघ (ईयू) में बने रहने की पक्षधर नहीं है और उसके चुनावी वादों में से एक यह भी था कि अगर उसकी जीत हुई, तो नई सरकार सन 2017 में या पहले ही ईयू में रहने के सवाल पर जनमत संग्रह करवाएगी। अगर उस जनमत संग्रह में ईयू से अलग होने के पक्ष में नतीजा आता है, तो स्कॉटलैंड के अलग होने की संभावना बहुत बढ़ जाएगी। स्कॉटलैंड का बहुमत ईयू में रहने के पक्ष में है और ग्रेट ब्रिटेन के ईयू से अलग होने की स्थिति में स्कॉटलैंड निवासी अलग देश बनाकर ईयू का सदस्य बनने के पक्ष में हो सकते हैं। यानी इस सरकार के कार्यकाल में यूरोपीय संघ के भविष्य में भी बड़ा बदलाव हो सकता है। ग्रेट ब्रिटेन ईयू से अलग होता है, तो यूरोप के कई देशों में ईयू से अलग होने के पक्षधर हो जाएंगे।
मौजूदा आर्थिक मंदी के दौर में कई देशों में ईयू से अलग होने की मांग उठ ही रही है और हो सकता है कि ये चुनावी नतीजे ईयू के बिखर जाने का आधार तय कर रहे हों। प्रधानमंत्री डेविड कैमरन की स्थिति तो इन नतीजों से बहुत मजबूत हुई है, आने वाला वक्त उनके लिए बहुत चुनौतियों भरा होगा। ग्रेट ब्रिटेन में क्षेत्रीय, नस्ली, सांस्कृतिक और सामाजिक विविधता तेजी से बढ़ रही है और इस मायने में भी ब्रिटेन का चुनाव भारत के चुनावों जैसा हो गया है। दिलचस्प है कि इतनी विविधता के बावजूद ज्यादातर वोटर यह चाहते हैं कि सरकार एक ही पार्टी की बने।
गठबंधन के प्रति लोगों के इस नकार का परिणाम ही यह है कि जनता ने एक पार्टी को बहुमत दिया और गठबंधन के खेल में माहिर खिलाडिय़ों को साफ कर दिया। लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी यह दावा करती थी कि सरकार किसी की भी बने, वह उसके समर्थन से ही बनेगी। लेकिन इस चुनाव में लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी को 46 सीटों का नुकसान हुआ और वह आठ सीटों पर सिमट गई है। उग्र दक्षिणपंथी यूकेआईपी की बड़ी चर्चा थी, लेकिन उसे भी एक ही सीट मिली। इससे लगता कि अंग्रेज वोटर भी काफी हद तक भारतीय वोटरों जैसा ही सोचते हैं।

  • कुमार सुबोध

 

FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^