06-May-2015 05:12 AM
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नरेंद्र मोदी की 14 मई को प्रस्तावित चीन यात्रा से पहले 2 चौकाने वाले घटनाक्रम घटे। अरुणाचल प्रदेश को चीन ने तिब्बत का हिस्सा बताया और उधर पाकिस्तान में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने

50 अरब डॉलर के विशेष आर्थिक कॉरिडोर की नींव रखी।
जिनपिंग का पाक दौरा तय था। लेकिन इस दौरे में जिनपिंग ने जिस तरह की आत्मीयता पाकिस्तान के प्रति दिखाई, वह न केवल भारत के प्रति आक्रमक रवैये का संकेत है बल्कि विशेष आर्थिक कॉरिडोर के द्वारा भारत को घेरने की साजिश की शुरुआत भी कही जा सकती है। चीन का चाल, चरित्र और चेहरा पहले से ही बेनकाब है। चीन ने 1962 में भारत की पीठ में छुरा घोंपा था और भारत की 65 हजार वर्गमील जमीन दबा ली थी। यही हाल पाकिस्तान का है, जिसने कश्मीर में आतंक के द्वारा परोक्ष युद्ध छेड़ रखा है और भारत पर तीन-तीन आक्रमण कर मुुंह की खा चुका है। चोर-चोर मौसेरे भाई। चीन की तरह पाकिस्तान भी एक बंद अर्थव्यवस्था वाला देश है। लेकिन चीन व्यापार के लिए और अपने निजी हित साधने के लिए किसी भी सीमा तक जाने को तत्पर रहता है। जहां तक भारत का प्रश्न है, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन, पाकिस्तान जैसे राष्ट्रों के बाहर झांकने का प्रयास किया है। अभी तक भारत पाकिस्तान से ही विवादों में उलझा रहता था, लेकिन अब अमेरिका को पाकिस्तान की हकीकत समझ में आ गई है। ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान में बरामद होने और अमेरिका द्वारा विशेष ऑपरेशन कर उसे रातों-रात खत्म कर डालने के बाद पाकिस्तान और अमेरिका के सम्बन्ध निर्जीव हो चुके हैं। अमेरिका को समझ में आ गया है कि पाकिस्तान विश्वसनीय साथी नहीं है। इसीलिए भारत के रूप में अमेरिका को इस क्षेत्र में एक नया साझेदार मिला है, जो प्रतिस्पर्धी होने के साथ-साथ विश्वसनीय भी है। लेकिन चीन पाकिस्तान के रास्ते भारत में घुसने की कोशिश कर रहा है। क्योंकि पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से लेकर चीन के शिनजियांग प्रांत के काशगर तक बनने वाले इस विशेष आर्थिक कॉरिडोर में भारत पर दोनों देशों का सीधा निशाना अनिवार्य रूप से सध जाएगा। इस रास्ते जिसको कभी सिल्क रोड कहा जाता था, आतंकवादियों की घुसपैठ होने की संभावना भी है। लेकिन गौर से देखें तो यह भारत को घेरने की साजिश साफ दिखाई देती है। समुद्र में श्रीलंका के साथ कदमताल करके चीन ने भारत को बहुत बड़ा झटका दिया है। मालदीव में इस समय जो सरकार है वह चीन की पिछलग्गू है। भूटान, नेपाल में कुछ हद तक हालात सुधरे हैं लेकिन म्यांमार चीन की गोद में बैठ चुका है, वह चीन को विशेष रास्ता मुहैया कराने से लेकर कई तरह की रियायत दे रहा है। यही भारत के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है।
चीन इस परियोजना के मार्फत पाकिस्तान में धन की जितनी बारिश करने की योजना बना रहा है वो साल 2008 से पाकिस्तान में होने वाले सभी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के दोगुने से भी ज्यादा है। चीन का यह निवेश साल 2002 से अब तक पाकिस्तान को अमरीका से मिली कुल आर्थिक सहायता से भी ज्यादा है। यह निवेश चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) पर अधिक केंद्रित है। यातायात और ऊर्जा का मिला-जुला यह प्रोजेक्ट समंदर में बंदरगाह को विकसित करेगा, जो भारतीय हिंद महासागर तक चीन की पहुंच का रास्ता खोल देगा। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी और पिछले तीन दशकों से खस्ता हालत में चल रही पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को संजीवनी मिलेगी। आर्थिक गलियारे के रास्ते को लेकर पाकिस्तान के अंदर भी राजनीतिक विवाद बढ़ रहा है। आर्थिक विशेषज्ञ डॉ. कैंसर बंगाली कहते हैं कि तमाम मुश्किलों के अलावा पाकिस्तान को देश के पश्चिमोत्तर प्रांत में चरमपंथ पर काबू पाना होगा। उनके मुताबिक, ऐसे समय में इतने बड़े पैमाने पर चीनी निवेश का मतलब है कि आर्थिक हालात बदलने के लिए पाकिस्तान के लिए यह जीवन में एक बारÓ मिलने वाला मौका है।
ग्वादर बलूचिस्तान के अरब सागर तट पर स्थित है। पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिम का यह हिस्सा दशकों से अलगाववादी विद्रोह का शिकार है। जबकि काशगर चीन के मुस्लिम बहुल इलाके शिनजियांग में स्थित है। यहां वीगर मुस्लिम आबादी रहती है और 1990 के दशक से ही यहां अलगाववादी आंदोलन चल रहा है। हाल के दिनों में यहां हिंसा में बढ़ोत्तरी हुई है और चीन इसके लिए अलगाववादी आतंकियोंÓ को जि़म्मेदार ठहराता है। आर्थिक गलियारा उन इलाक़ों से होकर गुजरेगा जो पाकिस्तान तालिबान लड़ाकों के हमले की जद में आते हैं। अभी तक अफगानिस्तान से सटे इन इलाकों पर इन्हीं का कब्जा है और चीन के बाहर वीगर आतंकियोंÓ की शरणस्थली है। हालांकि पिछले जून से शुरू हुए पाकिस्तानी सेना के अभियान से इन्हें नुकसान हुआ है। वीगर और पाकिस्तानी तालिबान चरमपंथी, पाकिस्तान में चीनी नागरिकों को निशाना बनाते रहे हैं। एक पूर्व राजनयिक अशरफ जहांगीर क़ाजी ने एक टीवी बहस में कहा था कि पाकिस्तानी सेना ने इस 3,000 किलोमीटर लंबे आर्थिक गलियारे की सुरक्षा के लिए विशेष सुरक्षा बल बनाने का निर्णय लिया है। कई लोगों का मानना है कि हालांकि नाटो सेना को सुरक्षित रास्ता पाकिस्तानी सेना नहीं मुहैया करा पाई लेकिन बलोच विद्रोहियों को अलग-थलग करने के लिए वो इस बार काफ़ी मुस्तैद होगी। चीन पाकिस्तान को सैन्य साजो-सामान मुहैया कराने में अमरीका के मुक़ाबले अधिक भरोसेमंद और कम झंझट वाला रहा है। इस कारण पाकिस्तानी अपने पुराने दुश्मन भारत के खिलाफ चीन को अपना खामोश सहयोगी मानते हैं।
चीन के साथ दोस्ती के कारण पाकिस्तान को अपने अधिक अस्थाईÓ पश्चिमी सहयोगियों से निपटने में मदद मिलेगी। चीनियों के लिए यह रिश्ता रणनीतिक महत्व का है। यह गलियारा चीन को मध्यपूर्व और अफ्रीका तक पहुंचने का सबसे छोटा रास्ता मुहैया कराएगा, जहां हज़ारों चीनी कंपनियां कारोबार कर रही हैं। इस परियोजना से शिनजिंयाग को भी कनेक्टिविटी मिलेगी और सरकारी एवं निजी कंपनियों को रास्ते में आने वाले पिछड़े इलाकों में अपनी आर्थिक गतिविधियां चलाने का मौका मिलेगा, जिससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे। वर्तमान में मध्यपूर्व, अफ्ऱीका और यूरोप तक पहुंचने के लिए चीन के पास एकमात्र व्यावसायिक रास्ता मलक्का जलडमरू है। यह लंबा होने के आलावा युद्ध के समय बंद भी हो सकता है।
यही कारण है कि चीन एक पूर्वी गलियारे के बारे में भी कोशिश कर रहा है जो म्यांमार, बांग्लादेश और संभवत: भारत से होते हुए बंगाल की खाड़ी तक जाएगा। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन की अधिकांश गतिविधियां घरेलू आय और मांग को बढ़ाने पर केंद्रित हैं। बाहरी मोर्चे पर चीन ऊर्जा और समुद्री रास्ते पर अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए एशिया में कई बंदरगाहों पर निवेश कर रहा है। शी जिनपिंग ने पाकिस्तान की संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि पाकिस्तान और चीन की दोस्ती हिमालय से भी ऊंची, महासागर से भी गहरी और शहद से भी मीठी है। नए चीन को मान्यता देने वाले देशों में पाकिस्तान पहला इस्लामिक देश है। शी जिनपिंग ने कहा कि पाक-चीन आर्थिक गलियाराÓ संयुक्त प्रगति और सम्पन्नता का प्रोजेक्ट है जो पूरे पाकिस्तान के लिए फायदेमंद होगा। चरमपंथ के ख़िलाफ़ लड़ाई में पाकिस्तान की तारीफ करते हुए चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि पाकिस्तान के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। चीन पाकिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता का मजबूती से समर्थन करता है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा कि दोनों देश सही मायने में भाई जैसे हैं और पाकिस्तान चीन के साथ संबंध बढ़ाना चाहता है। अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर पाकिस्तान एक चीनÓ की नीति का समर्थन करेगा।
सवाल यह है कि मई में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन की यात्रा पर होंगे, उस वक्त वे वहां से क्या हासिल करेंगे? शी जिनपिंग जब भारत की यात्रा पर आए थे, उस वक्त नरेंद्र मोदी के साथ वे हर मोर्चे पर खड़े दिखाई दिए लेकिन उनकी वापसी के बाद उतनी गर्मजोशी नहीं रही। चीन जिस तरह रूस से हथियार खरीद रहा है, वह भी एक चिंता का विषय है। हिमालय में चीन की कई परियोजनाएं चल रही हैं, जिससे भारत की सामरिक घेराबंदी होने की आशंका बढ़ेगी। तिब्बत में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने जो ऐतिहासिक गलतियां कीं उसका खामियाजा भारत आज भुगत रहा है। तिब्बत अब पूरी तरह चीन के कब्जे में ही नहीं है बल्कि वहां की संस्कृति को तहस-नहस करने में चीन ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। ऐसी स्थिति मेंं चीन की विदेश नीति के एजेंडे में पाकिस्तान को प्राथमिकता दिया जाना और निवेश के मामले में पाकिस्तान जैसे अस्थिर देश पर चीन का इतना विश्वास एक खटकने वाली घटना है। भारत को इससे सतर्क रहना ही होगा।
-विकास दुबे