गीता जीवन प्रबंधन का शास्त्र है
06-May-2015 05:26 AM 1234842

मुख्यमंत्री के शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि श्रीमदभगवद गीता जीवन प्रबंधन का शस्त्र है। गीता जी को केवल पढऩे नहीं अनुसरण करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सात्विक कार्यकर्ता ही उत्साहपूर्वक प्रदेश, देश और समाज की सेवा का काम कर सकते हैं। चौहान लाल परेड मैदान पर श्री नर्मदे हर सेवा न्यास द्वारा आयोजित गीता फेस्ट 2015 को संबोधित कर रहे थे। चौहान ने कहा कि गीताजी अहंकार से मुक्त रहना, धैर्य रखना और उत्साहपूर्वक कर्म करना सिखाती है। निष्काम कर्मयोगी बनने के लिए प्रेरित करती है। जीवन में कोई चीज स्थाई नहीं है । सद्कर्म करें। फल की चिंता के बिना कर्म करें। यदि इस मूल दर्शन को समझ लें तो समाज में अशोभनीय काम होना बंद हो जायेंगे।

सेटेलाइट मेपिंग की सराहना

प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी ने आदिवासियों को वन अधिकार-पत्र देने के लिए मध्यप्रदेश द्वारा सेटेलाइट मेपिंग द्वारा अच्छा काम करने पर  दो बार प्रशंसा की। मोदी ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये भारत सरकार के सचिव और देश के मुख्य सचिवों से चर्चा की। वीडियो कान्फ्रेंसिंग के दौरान मुख्य सचिव अन्टोनी डिसा भी मौजूद थे। उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश ने सेटेलाइट का उपयोग कर 5 लाख 93 हजार दावे प्राप्त कर 90 प्रतिशत दावों का निराकरण किया, जो देश में सर्वाधिक है। निराकृत दावों में साढ़े 17 लाख एकड़ के हक प्रमाण-पत्र दिए गए। इसमें से साढ़े 7 लाख व्यक्तिगत और 10 लाख सामुदायिक (सामाजिक) रुप से अधिकार-पत्र दिए गए। मघ्यप्रदेश में उपलब्धि का कारण यह भी रहा कि अगस्त-सितंबर में अभियान चलाकर 73 लाख दावे प्राप्त किए गए। मघ्यप्रदेश में अनुमोदित 90 प्रतिशत दावों के पट्टे बाँटे गए। इसमें सेटेलाइट द्वारा नक्शे और हितग्राही का फोटो भी लगा था, जो एक अनूठा प्रयास है।

तो आर्थिक समृद्धि अर्थहीन!

युग दृष्टा योगी सदगुरु जग्गी वासुदेव जी महाराज ने कहा है कि आध्यात्मिक चेतना से जुड़े बगैर आर्थिक समृद्धि अर्थहीन है। उन्होंने कहा कि सिंहस्थ महाकुंभ 2016 आध्यात्मिक जीवन के आयामों के प्रति चेतना जाग्रत करने का मार्ग तय करेगा। उन्होंने कहा कि यदि प्रत्येक व्यक्ति के मन में शांति न हो तो विश्व शांति संभव नहीं हो सकती। शांति कोई आयातित वस्तु नहीं है, यह मानवीय मन-मस्तिष्क में स्वाभाविक रूप से वास करती है। मनुष्य अपने प्रयासों से स्वयं को शांति के प्रति जाग्रत करता है। सदगुरू वासुदेव जी ने सिंहस्थ महाकुंभ के पूर्व के परिसंवाद सहित पहले संपन्न और बाद में आयोजित किये जाने वाले वैचारिक अनुष्ठानों की सराहना की।  सदगुरू ने कहा कि अब से 25 साल बाद भारत सर्वाधिक मूल्यवान देश के रूप में पहचाना जायेगा। सिर्फ भारत ही दुनिया में उभरी आंतरिक समस्याओं का समाधान दे पायेगा। उन्होंने कहा कि अब लोगों ने अपने से ऊपर देखने के बजाय बाहर देखना शुरू कर दिया है। वे अपने बारे में सोचने में सक्षम हो गये हैं। भारत अब चेतना से संबंधित विकारों का समाधान करने में सक्षम है। मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान ने परिसंवाद को राज्य सरकार का वैचारिक महाकुंभ की परंपरा को पुनर्जीवित करने का विनम्र प्रयास बताया। सिंहस्थ घोषणा के माध्यम से वैश्विक समस्याओं के समाधान पर चिंतन-मंथन किया गया। सिंहस्थ घोषणा के रूप में सम-सामयिक समस्याओं का समाधान प्रस्तुत गया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार का कार्य भौतिक विकास के साथ प्रसन्नता का सूचकांक बढ़ाना भी करना है। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय परिसंवाद में देश और विदेश के 2500 से अधिक शोध-पत्र प्राप्त किए गए हैं। सौ से अधिक विद्वानों के व्याख्यान होंगे। उन्होंने परिसंवाद के विषय की परिकल्पना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज जीवन के सभी क्षेत्रों में अवमूल्यन हो रहा है। बिना मूल्य का जीवन अर्थपूर्ण नहीं है। उन्होंने भारतीय संस्कृति की समृद्ध वैचारिक धरोहर का उल्लेख करते हुए सिंहस्थ के माध्यम से उसे विश्व में प्रसारित करने का अनुरोध किया।

सशक्तिकरण का रोड मेप तैयार हो

महिला-बाल विकास मंत्री  माया सिंह ने कहा है कि महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का रोडमेप बनाकर वर्ष 2016 में इसे विजन डाक्यूमेंट के रूप में कार्य-योजना में शामिल करें। सिंह की अध्यक्षता में  मध्यप्रदेश महिला वित्त एवं विकास निगम के संचालक मंडल की बैठक में वर्ष 2015-16 में की जाने वाली गतिविधियों का अनुमोदन किया गया। मंत्री सिंह ने कहा कि जेंडर-बजट के जरिये लाभान्वित हो रही महिलाओं का स्पष्ट उल्लेख विभागों के बजट में होना चाहिये। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान की पहल पर 25 विभागों में अलग से महिलाओं के लिये बजट का निर्धारण हो रहा है। जेंडर बजट विधानसभा में प्रस्तुत करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है। इसका प्रभाव हमें स्पष्ट दिखलाई दे और इसकी सुनिश्चित प्रक्रिया अपनाई जाना चाहिये। सिंह ने स्वागतम लक्ष्मी योजना में कम लिंगानुपात वाले 10 जिलों के लिये बनाई गई कार्य-योजना में जिला कलेक्टर और जन-प्रतिनिधियों की भी सक्रिय भूमिका सुनिश्चित करने को कहा। उन्होंने महिला स्व-सहायता समूह के उत्पादन विशेषकर कोदो-कुटकी के उत्पादन की बेहतर पेकेजिंग और ब्रांडिंग करने को कहा जिससे बाजार में उसका अच्छा मूल्य मिल सके।

शौर्य की प्रतीक इमारतों का संरक्षण

खाद्य आपूर्ति मंत्री कुँवर विजय शाह ने कहा है कि देश की आजादी के लिये गोंड राजाओं ने अपना बलिदान दिया है। उनके बलिदान और वीरता से जुड़ी ऐतिहासिक इमारतों का संरक्षण किया जायेगा। इसके लिये उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में जनजाति मंत्रालय द्वारा शुरू किये गये कार्यों की प्रशंसा की। कुँवर विजय शाह ने इस मौके पर आदिवासी राजा हृदय शाह के शौर्य स्तम्भ के ध्वज का लोकार्पण भी किया। मंत्री कुँवर शाह ने कहा कि प्रदेश में आदिवासी वर्ग की गौरवशाली परम्परा रही है। राजा शंकर शाह, रघुनाथ शाह, रानी दुर्गावती और रानी अवंतीबाई जैसी गोंड
शासकों ने वीरता का परिचय देते हुए अपनी जान गँवाई है।

स्वास्थ्य साक्षरता अभियान

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि महिलाओं में स्वास्थ्य साक्षरता बढ़ाने और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की त्वरित पहचान और उपचार के लिये अभियान चलाया जायेगा। उन्होंने कहा कि समुदायों के सहयोग से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर बिना किसी संकोच के बात करने का वातावरण निर्माण करने की पहल करना जरूरी है। चौहान बंसल अस्पताल में प्रसव प्रबंधन पर महिलाओं की बीमारियों पर एसोसिएशन ऑफ़ ऑब्स्टेट्रिक गायनोकोलॉजिस्ट सोसायटी के दसवें राज्य-स्तरीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। चौहान ने कहा कि माताओं के स्वास्थ्य के प्रति सोच बदलने की जरूरत है। लाड़ली लक्ष्मी योजना के माध्यम से बेटियों को पढ़ाने का लाभ यह हुआ है कि बचपन में ही शादी कर देने की प्रवृत्ति कम हुई है। समाज बदलने के लिये सोच बदलना जरूरी है। बेटियों को अधिकार सम्पन्न बनाने के लिये और ज्यादा काम करने की जरूरत है। समाज के सहयोग से स्वास्थ्य शिक्षा देने पर विचार करना होगा।  राज्य सरकार ने स्वास्थ्य सुविधाएँ बढ़ाई हैं। संस्थागत प्रसव अब 86 प्रतिशत हो गया है। माँ- बेटी का जीवन बचाना और इसके लिये स्वास्थ्य सुविधाएँ बढ़ाना एक मिशन है। सरकार और निजी अस्पतालों को मिलकर इसे पूरा करना होगा।

डूब प्रभावितों को राहत

प्रदेश की महत्वाकांक्षी सिंचाई और जल विद्युत, ओंकारेश्वर परियोजना डूब प्रभावितों को अब तक का सर्वोत्तम पुनर्वास पेकैज सरकार ने उपलब्ध करवाया है। डूब प्रभावित परिवारों को विभिन्न मदों में कुल 153 करोड़ 4 लाख 19 हजार रुपये की सहायता मिली है। इसमें अचल सम्पत्ति के मुआवजे के रूप में 101 करोड़ 65 लाख 53 हजार रुपये, विशेष पुनर्वास अनुदान के रूप में 20 करोड़ 18 लाख 38 हजार रुपये तथा पुनर्वास और परिवहन अनुदान के रूप में 31 करोड़ 20 लाख 28 हजार रुपये दिये गये हैं। डूब प्रभावित प्रत्येक परिवार को पुनर्वास स्थलों पर 90 गुणा 60 फीट अर्थात 5400 वर्गफीट का आवासीय भू-खण्ड नि:शुल्क उपलब्ध करवाया गया है। एक परिवार के प्रत्येक वयस्क पुत्र को भूखण्ड लेने की पात्रता है। भू-खण्ड नहीं लेने पर भू-खण्ड के बदले 50 हजार रुपये दिये गये हैं। जिन परिवारों ने परिवहन अनुदान नहीं लिया उन्हें अपने सामान के परिवहन के लिये मुफ्त परिवहन सुविधा सुलभ करवाई गई है। ओंकारेश्वर परियोजना से कुल 6 हजार 329 परिवार डूब प्रभावित हुए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इन परिवारों के लिये उपरोक्त उल्लेखित आर्थिक और भौतिक सहायता के अतिरिक्त 225 करोड़ रूपये का विशेष पेकेज वर्ष 2012 में स्वीकृत किया है। इससे भूमि स्वामी डूब प्रभावित परिवारों को अतिरिक्त वित्तीय सहायता सुलभ हुई है। प्रत्येक भूमिहीन परिवार को भी 2 लाख 50 हजार रुपये दिये गये हैं। इस पेकेज का लाभ उठाकर अधिकांश परिवार सहर्ष विस्थापित होकर पुनर्वासित हो गये हैं। वर्तमान जलाशय के 191 मीटर जल-स्तर के अन्दर का क्षेत्र रिक्त है और कोई आबादी इस जल-स्तर से प्रभावित नहीं है। इस जल-स्तर के बाद के क्षेत्र में केवल 221 परिवार बाँध विरोधियों के प्रभाव में आकर बसे हुए हैं। उल्लेखनीय है कि ओंकारेश्वर परियोजना की विद्युत उत्पादन क्षमता 520 मेगावाट है। परियोजना से 2 लाख 83 हजार हेक्टेयर वार्षिक सिंचाई हो सकेगी। इस लाभ के लिये बाँध जलाशय को 196.60 मीटर के पूर्ण स्तर तक भरा जायेगा।

  • श्याम सिंह सिकरवार
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