06-May-2015 05:12 AM
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कहते हैं जब दाम अच्छा हो, तो काम भी अच्छा होना चाहिए। लेकिन मध्यप्रदेश में सभी बिजली कंपनियां और विभाग इसका अपवाद हैं। यहां दाम वर्ष-दर-वर्ष बढ़ते रहते हैं लेकिन काम की गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं आता। प्रदेश में भाजपा सरकार के 11 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं पर बिजली की बुनियादी समस्या वैसी की वैसी ही है। कुछ एक शहरों को छोड़कर गांवों, कस्बों और छोटे शहरों में बिजली एक अभिशाप है। घंटों बिजली गोल रहना, पर्याप्त न मिल पाना और बिजली व्यवस्था का जर्जर होना यह अब आम बात हो चुकी है। मध्यप्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान के प्रयासों के चलते प्रदेश में अटल ज्योति अभियान प्रारंभ किया गया। इससे बिजली के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आया। फीडर सेपरेशन जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं के चलते बिजली कई क्षेत्रों को सुचारू रूप से मिलने लगी। बिजली जनित असंतोष भी कम हुआ। लेकिन 16 माह बीतते-बीतते वही ढाक के तीन पात वाली स्थिति हो गई है। विद्युत व्यवस्था चरमरा चुकी है। घटिया उपकरणों के कारण ट्रांसफार्मर और सप्लाई की समस्या लगातार बनी हुई है। किसानों के खेत में पानी नहीं है। पहले ओला और अतिवर्षा ने उनकी कमर तोड़ी थी, अब बिजली विभाग की मेहरबानी से उनका आर्थिक नुकसान संभावित है। सरकार आपदा प्रभावित क्षेत्रों में बिजली के बिल माफ कर देती है या कम कर देती है। लेकिन इससे होता क्या है? किसानों को माफी नहीं चाहिए उन्हें तो गुणवत्तापूर्ण निर्बाध बिजली की आपूर्ति से मतलब है। पर एक तरफ तो बिजली का बिल माफ करने का लॉलीपॉप दिया जाता है और दूसरी तरफ गुणवत्ता में वृद्धि किए बगैर बिजली के दामों में वृद्धि कर दी जाती है। सरकार कहती है कि उसने बिजली के वितरण की व्यवस्था दुरुस्त कर दी है, लेकिन ऐसा केवल कागजों पर ही नजर आता है। बीच में कुछ माह के लिए हालात सुधरे अवश्य थे, पर अब फिर वैसे ही हो चुके हैं। जरा सा आंधी-तूफान क्या आया, बिजली घंटों गोल रहती है। राजधानी भोपाल में कब बिजली चली जाए कह नहीं सकते। कई इलाकों में बिना किसी चेतावनी दिन में 8-10 बार बिजली गोल होना आम बात है। भले ही यह बिजली थोड़ी देर के लिए जाती है, लेकिन सामान्य दिनों में इस तरह अचानक बिजली जाने से उपभोक्ताओं को परेशानी उठाना पड़ती है। कार्यालय में भी काम का बहुत नुकसान हो सकता है। पर इस बात की फिक्र किसे है? कंपनियों को अपने पैसे से मतलब है। उधर सरकार वितरण व्यवस्था में ही उलझी हुई है।
सबका मीटर चल रहा है लेकिन सबसे तेजी से उपभोक्ताओं का मीटर चलता है। बिजली का बिल तो झटके देता ही है लेकिन मीटरों की गड़बड़ी के कारण बिजली के बिल भी कई गुना बढ़कर आ रहे हैं। पाक्षिक अक्स ने कुछ माह पहले बिजली विभाग की अनियमितताओं पर एक खबर प्रकाशित की थी, जिसमें बतलाया गया था कि किस तरह विद्युत विभाग द्वारा लगवाए गए इलेक्ट्रॉनिक मीटर गलत रीडिंग दे रहे हैं। आलम यह है कि रातों-रात बिजली की रीडिंग कई गुना बढ़ जाती है। भोपाल मेें ही घरेलू उपभोक्ताओं के लाखों के बिल आए हैं लेकिन इन कमियों को दूर करे बगैर विद्युृत विभाग ने कृषि उपयोग की बिजली 13 प्रतिशत, घरेलू बिजली 6 प्रतिशत और औद्योगिक बिजली 9 प्रतिशत बढ़ा दी है। यह वृद्धि औसतन 9.83 प्रतिशत है। नई दर में नियामक आयोग ने यह फार्मूला अपनाया है कि जितनी ज्यादा बिजली उपयोग करेंगे, उतना ही बिल बढ़ता जाएगा। बारिश और ओलावृष्टि की मार से बेहाल किसानों पर भी बोझ बढ़ा दिया गया है। कृषि उपयोग की बिजली दर 13 प्रतिशत महंगी की गई है जबकि घरेलू बिजली 6 और औद्योगिक में 9 प्रतिशत की वृद्धि की है। नियामक आयोग ने बिजली दर घोषित करने की एक दशक पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए बिना कोई पूर्व सूचना के अचानक आदेश जारी किया।
कितना बढ़ा बिल?
आयोग ने नई दरों का बोझ तो बढ़ाया ही, साथ ही घरेलू व गैर घरेलू दरों में सरचार्ज एक फीसदी से बढ़ाकर 1.25 प्रतिशत कर दिया यानी अब तक यदि 1 हजार का बिल आता था
तो मई से एफसीए समेत बढ़ा हुआ सरचार्ज और नई दर मिलाकर 125 रुपए तक अधिक बिल आएगा। घरेलू श्रेणी में 300 यूनिट से ऊपर के स्लेब को खत्म कर दिया गया है। पहले यह स्लैब 500 यूनिट तक था।
यूनिट अभी आगे अंतर बढ़ोत्तरी
50 250-300 समान समान शून्य
100 427.50 475.00 47.5 07
275 1502.50 1602.50 100.00 09
कहां कितनी वृद्धि
6 प्रतिशत घरेलू बिजली में वृद्धि
8 प्रतिशत व्यावसायिक
11 प्रतिशत औद्योगिक
13 प्रतिशत कृषि
14 प्रतिशत शॉपिंग मॉल
पहली बार प्री-पेड दर
प्रदेश में पहली बार प्री-पेड मीटर के लिए अलग से दर का प्रावधान किया गया है। यानी प्री-पेड मीटर लगवाने पर दर में एक फीसदी की छूट मिलेगी, पर इसमें भी पेंच है। यह छूट संबंधित बिजली कंपनी व सप्लायर पर निर्भर करेगी।
औद्योगिक का पैटर्न बदला
औद्योगिक बिजली दर का पैटर्न इस साल आयोग ने बदल दिया है। अभी तक औद्योगिक बिजली की दरें कनेक्शन आधारित रहती थीं, पर अब इसे डिमांड आधारित कर दिया गया है। इसमें स्लेब बदल दिए गए हैं। 150 हार्स पॉवर तक की एक ही श्रेणी होगी, वहीं 25 हार्स पॉवर से कम खपत वालों की दर 30 प्रतिशत घटाने का दावा किया गया है, लेकिन औसत औद्योगिक दर 11 प्रतिशत बढ़ी है। औद्योगिक दर में सरचार्ज 7.50 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है।सफाई अभियान का शुभारंभ किया।