20-Apr-2015 06:17 AM
1234918

हालांकि मध्यप्रदेश के वर्तमान मुख्य सचिव एंटोनी डिसा को सेवानिवृत्त होने में अभी 18 माह बाकी हैं। लेकिन उनके उत्तराधिकारी की तलाश भीतर ही भीतर शुरू हो चुकी है। दरअसल डिसा जब तक रिटायर होंगे तब तक कई अफसरों की दावेदारी बन चुकी होगी। परन्तु कयास यह लगाया जा रहा है कि डिसा कहीं अपने कार्यकाल के पहले ही रुखसत तो नहीं हो जाएंगे। उसके बाद तो दावेदारी पीडी मीणा, अरुण शर्मा, प्रवेश शर्मा, जेएस माथुर, एसआर मोहंती, राघव चंद्रा आदि की हो सकती है। परन्तु प्रदेश में कुछ ऐसा माहौल बना है कि सरकार से भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर गए एक अफसरान वापस अपना प्रतिनियुक्ति का समय छोड़कर प्रदेश में लौटे ही मुख्य सचिव बनने के लिए। ऐसा सवाल गलियारों में गूंज रहा है। क्या वह इस मंसूबे में कामयाब हो पाएंगे, क्योंकि उन्हें एक नहीं बल्कि तीन बैचों को पछाड़कर यह कुर्सी हासिल करनी होगी, जो दूर की कौड़ी है। परन्तु हिंदुस्तान का दिल कहलाने वाले प्रदेश में वह सब संभव है जो दूसरे प्रदेशों में नहीं है।
2016 में पूरे जिलों में
आरआर का कब्जा?
आरआर प्रमोटी के बीच हमेशा से शीत युद्ध चलता रहा है। प्रमोटी अफसर वैसे तो आरआर के फ्रस्ट कजिन कहलाते हैं। प्रदेश में 51 जिलों के जिलाधीशों में कजिनों ने बाजी मार रखी है। वे 28 जगह पर परचम फैलाए हैं और 10 कमिश्नरों में से 8 जगह पर प्रमोटी तैनात हैं। वहीं सीओज ने बाजी मार रखी है। वे 28 जिलों में तैनात हैं, वहीं चार ग्रामीण विकास सेवा के अधिकारी हैं। 19 जगहों पर प्रमोटी अफसर तैनात हैं। परन्तु आने वाला समय इनके लिए शुभ नहीं है। क्योंकि जिस तरीके से मध्यप्रदेश में 2008 में 10 , 2009 में 12, 2010 में 11 इस तरीके से बड़े बैचों के आने के कारण से सभी जिलों में डायरेक्ट वाले ही कलेक्टर और कमिश्नर होंगे। क्योंकि उन्हें अपने जीवन में 14-15 साल फील्ड में ही गुजारना है। जबकि कायदे से उन्हें प्लानिंग के काम में लगना चाहिए न कि फील्ड में लगने की जुगाड़ ढूंढना चाहिए। इसको लेकर राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों में चिंता पैदा हो गई है। वह मंत्रालय के एकाध कोने में कहीं बैठे हुए होंगे। जिन्दगी भर फील्ड की नौकरी करने के बाद 20-25 सालों बाद तो आईएएस बनने की नौबत आती है और उसके बाद वे फील्ड की नौकरी न मिले तो क्या फायदा? नाम न छापने की शर्त पर एक प्रमोटी आईएएस अफसर ने अपनी पीड़ा बताते हुए बताया कि फील्ड का अनुभव हमसे ज्यादा आरआर अफसर को नहीं होता है।
सेवा समाप्ति के लिए लिखा
एनके सिंह और शशि कर्णावत जैसे आईएएस की सेवा समाप्ति के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने यूपीएससी को लिख दिया है। उधर ओपी शुक्ला जो कि ओएसडी हैं, को भी सेवा से पृथक करने का काम चालू हो गया है। शुक्ला राज्य प्रशासन सेवा के अफसर हैं इसलिए इंदौर बीएससी को लिखा गया है।
तबादलों से रोक हटी
मध्यप्रदेश में शीघ्र ही शासकीय कर्मचारियों के तबादले प्रारंभ हो जाएंगे। इस बार थोक में तबादले होने की संभावना है। कैबिनेट ने 15 अप्रैल से 15 मई के बीच एक माह तक तबादलों से प्रतिबंध हटाने को मंजूरी दे दी है। 2012 में जारी पिछली तबादला नीति में कुछ संशोधन करके उन्हें जारी किया जा रहा है। पिछली बार एक मई से 15 जून 2012 के बीच डेढ़ महीने तक तबादलों से प्रतिबंध हटा था। जिला स्तर पर प्रभारी मंत्री के अनुमोदन के बाद ही तबादले हो सकेंगे। यदि तबादला जिले से बाहर हो रहा है तो विभागीय मंत्री के अनुमोदन की जरूरत पड़ेगी। राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की पदस्थाना हर जिले में जीएडी द्वारा ही की जाएगी। जिले के भीतर डिप्टी कलेक्टर, संयुक्त कलेक्टर के विभागों में परिवर्तन या नई पदस्थापना का फैसला कलेक्टर मंत्री से परामर्श के बाद करेंगे। तहसीलदार, अतिरिक्त तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार की जिले में पदस्थापना प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से कलेक्टर द्वारा की जाएगी।
2 हजार से कम नहीं मुआवजा
उत्तर प्रदेश में हाल ही में एक किसान को 75 रुपए का चैक भेज कर उसकी दुर्दशा का मखौल उड़ाया गया था। संभवत: इसी से सबक लेते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों का मुआवजा न्यूनतम 2000 रुपए तय कर दिया है। पहले यह राशि 500 रुपए थी। मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है जिसने कदम उठाया है। मुख्यमंत्री ने अफसरों को सर्वे में कंजूसी न करने का सुझाव दिया है। उधर राज्य सरकार ने 4 लाख 18 हजार किसानों की फसल का सर्वे करने का दावा किया है जिसके लिए 370 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं।
प्रवासी भारतीय विभाग
मध्यप्रदेश में सरकारी विभाग बढ़कर 64 हो गए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश के विकास में प्रवासी भारतीयों को भागीदार बनाने के लिए एक नया विभाग ही बना दिया है। यह प्रवासी भारतीय विभाग विदेश में बसे भारतीयों से संबंधित सभी मामले देखेगा। साथ ही उन्हें मध्यप्रदेश में निवेश में भी सहयोग करेगा। कुछ समय पहले शिवराज सिंह चौहान न्यूयार्क की यात्रा पर गए थे वहां उन्होंने फ्रेंड्स ऑफ मध्यप्रदेश नामक बेवसाइट का शुभारंभ किया था। उसके बाद उन्होंने आश्वासन दिया था कि मध्यप्रदेश में एक पृथक विभाग प्रवासियों के लिए बनाया जाएगा। इसीलिए इस विभाग का गठन किया गया है।
सिविल सेवा डे
आने वाले 20-21 अप्रैल को सिविल सेवा डे को प्रधानमंत्री मोदी एड्रेस करेंगे। इस बार मध्यप्रदेश में किस-किस विभाग को पुरस्कार मिलेगा यह तो अभी तक पता नहीं क्योंकि समीक्षाओं का दौर बहुत देर तक चलता रहा है। महिला बाल विकास हाउसिंग सोशल सेक्टर, कृषि और शिक्षा के कार्यों को सराहा जा सकता है।