हां मैं चैन स्मोकर हूँ...?
20-Apr-2015 05:24 AM 1234899

 

गाना बना दिया गया है- हां मैं अल्कोहलिक हूंÓ लेकिन अब लगता है कि अगला गाना बनेगा हां मैं चैनस्मोकर हूंÓ और यह गाना किसी भाजपा सांसद की कलम से निकले तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। चंदा देने वालों का दबाव ही कुछ ऐसा है कि देश की संसद में चैनस्मोकरों की पैरवी करनी पड़ती है। गनीमत है भाजपा के सांसदों ने पोटेशियम साइनाइड बनाने वालों से चंदा नहीं लिया, अन्यथा ये संसद में सलाह देते कि साइनाइड को खीरे पर नमक की तरह बुरककर खाया जा सकता है। चंदा दाताओं के हित को साधने के लिए भाजपा और अन्य राजनैतिक पार्टियां किस सीमा तक जा सकती हैं, यह संसद में तम्बाकू सेवन और धूम्रपान पर बहस के दौरान भाजपा सांसदों के मुखमंडल से निकले अद्भुत ज्ञान ने साबित कर दिया है। अब हो सकता है पाचक चूर्ण बनाने वाली कंपनियां इन सांसदों की सलाह मानकर तम्बाकू चूर्ण की मार्केटिंग करने लगें क्योंकि इन्हें पता है कि तम्बाकू चबाने से हाजमा ठीक होता है। सारी दुनिया भारतीय संसद मेें प्रस्तुत इस कॉमेडी शो का लुत्फ उसी प्रकार उठा रही है जैसे किसी टैक्स फ्री फिल्म का लुत्फ उठाया जाता है। सारी दुनिया में किए गए अध्ययन इन महान सांसदों के ज्ञान के समक्ष बेकार साबित हुए हैं। तम्बाकू को लेकर सारी शोध को इन ज्ञानियों ने निपटा दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी झूठा साबित हो गया है, जो कहता है कि भारत में हर साल 10 लाख मौतें तम्बाकू जनित बीमारियों से होती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने तम्बाकू गुटखे पर प्रतिबंध को जायज ठहराया है और 28 राज्य सरकारों ने गुटखों पर रोक लगा रखी है। लेकिन हमारे सांसद देश की संसद में 10 हजार करोड़ के तम्बाकू कारोबार पर चिंता जताना तो दूर उसकी पैरवी करते नजर आए। प्रधानमंत्री ने तंबाकू उत्पाद पर बड़ी चित्रों वाली चेतावनी को दलित बताया है। स्वास्थ्य मंत्री ने एक हल्का-फुल्का बयान दिया है। भाजपा सांसद रामप्रसाद शर्मा, दिलीप गांधी और श्याम चरण गुप्ता द्वारा तम्बाकू के फायदे गिनाने और उसका समर्थन करने से जो विवाद खड़ा हुआ, वह अभी भी जारी है। दिलचस्प यह है कि यह सांसद तम्बाकू इस्तेमाल को रोके जाने हेतु बनाई गई संसदीय समिति के सदस्यों में हैं, दिलीप गांधी तो इसके अध्यक्ष हैं। सबसे पहले दिलीप गांधी ने ही कहा था कि भारत में स्टडी नहीं हुई है जिससे पता चले कि सिगरेट से कैंसर होता है। एक दूसरे महारथी सांसद श्याम चरण गुप्ता ने तो यह तक कह डाला कि चीनी से डायबिटिज होती है तो क्या उस पर भी रोक लगा दें। श्यामचरण गुप्ता बीड़ी कारोबारी हैं, इसलिए उनकी पैरवी का अर्थ तो समझ में आता है लेकिन बाकी सांसद जिस अंदाज में तम्बाकू सेवन और धूम्रपान का पक्ष रख रहे थे, उससे इस संदेह की पुष्टि हो रही है कि भारत की तम्बाकू लॉबी सांसदों को प्रभावित करने की ताकत रखती है। इस लॉबी ने सांसदों को खरीदा है या नहीं, इस पर बहस हो सकती है लेकिन तम्बाकू की इस अंदाज में पैरवी संसद में पहली बार हुई है। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री रामदौस का कहना है कि सारी दुनिया हम पर हंस रही है।
दरअसल यह सारी बहस उस वक्त शुरू हुई जब संसद में सिगरेट के डिब्बे के 85 प्रतिशत हिस्से पर चेतावनी वाली तस्वीर लगाने की बात हुई। तम्बाकू के इस्तेमाल को रोके जाने के लिए बनाई गई संसदीय समिति इस बात पर बहस कर रही थी कि सिगरेट के डिब्बे पर तस्वीर की चेतावनी का आकार बढ़ाया जाना चाहिए या नहीं। तम्बाकू लॉबी हमेशा से ही सिगरेट के डिब्बे पर तस्वीर वाली चेतावनी का विरोध करती आई है। तम्बाकू लॉबी सभी राजनैतिक दलों को अच्छा-खासा पैसा देती है। इसी कारण देश में तम्बाकू के खिलाफ तमाम कानून होने के बावजूद तम्बाकू जनित उत्पादों का उपयोग तेज गति से बढ़ रहा है। तू डाल-डाल मैं पात-पात वाली स्थिति है। सरकार जितने कानून बनाती है, तम्बाकू लॉबी उतने ही उपाय कर लेती है।

मैं तंबाकू के खिलाफ हूं। युवाओं को समझाना होगा कि यह कितना खतरनाक है। मैंने मीटिंग में विरोध किया था। बाहर भी करूंगा।

  • -चंदूलाल साहू, भाजपा सांसद


तंबाकू से कैंसर हो सकता है। तस्वीर का आकार बढऩा चाहिए। पर सोशल आस्पेक्ट भी देखना होगा। पूरी बात नहीं हो पाई थी, इसलिए फैसला टला।

  • -पीपी चौधरी, भाजपा सांसद


इसमें कोई दो राय नहीं कि तंबाकू हानिकारक है। लेकिन सबको कैंसर होता है, यह भी सही नहीं है। हमें बीड़ी मजदूरों का भी ध्यान रखना होगा।

  • -वीरेंद्र कुमार चौधरी, भाजपा सांसद

तंबाकू का विरोध तो होना ही चाहिए। सवाल है वार्निंग तस्वीर 85 प्रतिशत करें या नहीं? मेरा मत है बढऩा चाहिए, लेकिन इतना ज्यादा भी नहीं।

  • -सीआर चौधरी, भाजपा सांसद


हमने ये कभी नहीं कहा कि तंबाकू से कैंसर नहीं होता है। लेकिन विदेशी कंपनियों को छूट क्यों? उनके डिब्बों पर भी चेतावनी वाली फोटो छपे ना।
-राम कुमार शर्मा, आरएलएसपी सांसद
हम तंबाकू के खिलाफ हैं। इससे कैंसर होता है। जो इसके बिजनेस में हैं उन्हें कमेटी में रखना ही गलत था। फिर तो ऐसे ही बयान आएंगे।

  • -अली इदरीस, तृणमूल कांग्रेस सांसद

 

लगातार मौतें

आंकड़े कहते हैं कि तंबाकू और उससे बने उत्पादों के कारण देश में मौतें लगातार बढ़ रही हैं। डब्ल्यूएचओ के आंकड़े के मुताबिक 2005-2015 के बीच 8.4 करोड़ लोग कैंसर से जान गंवा चुके हैं। एक अनुमान के मुताबिक भारत में हर साल कैंसर के 11 लाख नए मामले सामने आते हैं, जो वैश्विक आंकड़े का 7.8 फीसदी है। ऐसे में यह बात तो साफ है कि धूम्रपान कहीं न कहीं हमें और हमारे देश को भीतर ही भीतर खोखला कर रहा है।

  • तंबाकू उत्पादों से देश में हर साल 9 लाख मौतें होती हैं
  • स्मोकिंग से देश में एक लाख लोगों की मौत हर साल। दुनिया में 60 लाख।
  • फेफड़ों के कैंसर के 5 में से 4 मामले स्मोकिंग से। ओरल         कैंसर के 80 हजार केस सालाना।
  • 13,500 करोड़ रु. स्मोकिंग से बीमािरयों के इलाज पर सालाना खर्च करती है सरकार।
  • देश में 10,45, हजार करोड़ रु. का तंबाकू उत्पाद का  कारोबार। यह केंद्र और राज्य सरकारों के स्वास्थ्य बजट से ज्यादा।
  • तंबाकू से सालाना कमाई 10,271 करोड़।
  • एमपी, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ में 4 करोड़ लोग बीड़ी बनाने के काम से जुड़े हुए हैं।
  • 25.42 लाख बच्चे तंबाकू खाते हैं।
  • 12 करोड़ वयस्क तंबाकू खाते हैं।
  • तंबाकू के सेवन से हर हफ्ते 18 हजार से ज्यादा मौतें, इनमें 15441 पुरुष, 3375 महिलाएं

भारत में तंबाकू से होने वाली मौतें

  • 1 से 5 अपै्रल तक 13,500 लोगों की मौत।
  • हर 32 सेकंड में 1 मौत।
  • हर साल 9 लाख 81 हजार मौतें तंबाकू से
  • 12.25 करोड़ लोग रोजाना कर रहे धूम्रपान
  • 10.60 करोड़ पुरुष
  • 1.40 करोड़ महिलाएं
  • 6.90 लाख लड़कियां
  • सुनील सिंह
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