06-Apr-2015 02:49 PM
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हाशिमपुरा नरसंहार के आरोपियों को कोर्ट से मुक्ति मिलने के बाद शांत बैठी समाजवादी पार्टी में अचानक हलचल आ गई है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने विवादित ढांचा विध्वंश मामले में लालकृष्ण

आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत 20 नेताओं व सीबीआई को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है कि इन नेताओं को किस आधार पर आपराधिक साजिश के आरोपों से बरी किया गया है। हाल ही में पद्म विभूषण सम्मान से सम्मानित हुए लालकृष्ण आडवाणी को यह नोटिस भारी पड़ सकता है। क्योंकि याचिकाकर्ता ने आडवाणी को पद्म विभूषण दिए जाने पर आपत्ति भी जताई है। सुप्रीम कोर्ट के इस नोटिस से समाजवादी घटकों में हलचल पैदा हो गई है, जो अप्रैल माह में किसी भी समय सपा, राजद, जदयू,जदएस जैसे दलों का विलय कर नई पार्टी की घोषणा करने जा रहे हैं। कांगे्रस विवादास्पद ढांचा विध्वंस पर ज्यादा कुछ कहने की स्थिति में नहीं है। क्योंकि इसके लिए माफी मांगकर कांग्रेस पहले ही अपना अपराध स्वीकार कर चुकी है। उत्तरप्रदेश में फिलहाल चुनाव नहीं है लेकिन बिहार में अक्टूबर माह में चुनाव है और बिहार के चुनाव के समय विवादित ढांचा विध्वंस का मुद्दा कथित सेकुलर ताकतों को लाभ दिला सकता है, लेकिन इसका उल्टा भी हो सकता है।
कारण चाहे जो हो इससे आडवाणी और जोशी जैसे भाजपा के बुजुर्ग परेशानी महसूस करेंगे। यह याचिका फैजाबाद के निवासी हाजी महमूद अहमद ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी जिसका जवाब देने के लिए सीबीआई को 4 हफ्ते की मोहलत दी गई है। इस याचिका बाबरी मस्जिद ढहाए जाने से जुड़े 22 साल पुराने केस में इलाहाबाद हाई कोर्ट के पांच साल पुराने उस फैसले को चुनौती दी गई है, जिसमें बीजेपी और संघ परिवार के सीनियर नेताओं को बाबरी मस्जिद तोडऩे की साजिश में शामिल होने के आरोप से बरी कर दिया गया था। इस मामले के आरोपियों में लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के अलावा कल्याण सिंह, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, विनय कटियार और अशोक सिंघल शामिल हैं। याचिका में केंद्र में बीजेपी की सरकार होने के मद्देनजर इस केस में सीबीआई की निष्पक्षता को लेकर आशंका जताई गई है। याचिकाकर्ता हाजी महबूब अहमद रामजन्मभूमि विवाद केस से पिछले 45 साल से जुड़े हैं। याचिका में कहा गया है, अहम बात यह है कि जिन पर आपराधिक मुकदमा चला है, वह कैबिनेट मिनिस्टर (उमा भारती) हैं और जिस नेता के खिलाफ गड़बडिय़ों को दुरुस्त करने के लिए सही कार्रवाई नहीं करने का आरोप है, वह (राजनाथ सिंह) केंद्रीय कैबिनेट में काफी ऊंचे ओहदे पर हैं। एक और अभियुक्त (कल्याण) गवर्नर बन चुके हैं।
इलाहाबाद कोर्ट ने विवादित ढांचा गिराने के मामले में 21 आरोपियों को साजिश के आरोप से मुक्त कर दिया था, जिसमें से बाल ठाकरे की मौत हो चुकी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह फैसला 20 मई 2012 को आया था, लेकिन सीबीआई ने 8 महीने बाद इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। कानूनन अपील तीन महीने के अंदर दाखिल होनी चाहिए। इस मामले में यह मियाद 29 अगस्त 2010 को खत्म हो गई थी।
अब तक आरोपी सीबीआई की अपील में देरी की दुहाई देकर याचिका खारिज करने की मांग करते आए हैं। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह इस मामले में बहुत सावधानीÓ के साथ कदम बढ़ाना चाहती थी। इसी वजह से देरी हुई। सीबीआई ने पहले कहा था, देरी इसलिए हुई क्योंकि जितने भी पक्ष मामले से जुड़े थे, वे एहतियात बरत रहे थे। इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए हम कोई चूक नहीं चाहते थे। इसलिए बहुत सावधानी के साथ काम किया गया। हाजी महबूब ने इस मामले में आरोपी लालकृष्ण आडवाणी को केंद्र सरकार द्वारा पद्म विभूषण सम्मान दिए जाने पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा, एक व्यक्ति अगर किसी मामले में आरोपी है तो उसे यह सम्मान कैसे दिया जा सकता है। हाजी रामजन्म भूमि विवाद केस से लंबे वर्षों से जुड़े हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि अब केंद्र में बीजेपी की सरकार है ऐसे में इस मामले से जुड़े बीजेपी नेताओं को सरकार बचाने की कोशिश कर सकती है। उन्होंने कहा, आज राजनाथ सिंह केंद्र में गृहमंत्री हैं और सीबीआई उनके तहत काम करती है ऐसे में इस मामले को प्रभावित करने की कोशिश की जा सकती है। इस मामले में अन्य आरोपी उमा भारती और कल्याण सिंह को भी सरकार ने बड़ा पद दे दिया है।
मायावती परेशान
बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती राज्य में नई परेशानी का सामना कर रही हैं। बहुजन समाज पार्टी में आने वाले युवाओं की संख्या दिनों-दिन घट रही है, लेकिन उससे भी ज्यादा चिंताजनक है कि बसपा विभाजन की कगार पर खड़ी है। कई बड़े नेता भाजपा में जाने की कोशिश कर रहे हैं। इनमें वे लोग भी शामिल हैं जिन्हें कभी पार्टी से निकाल दिया गया था। उधर यह भी कहा जा रहा है कि 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा उत्तरप्रदेश में बहुजन समाजपार्टी की तरह एक नई पार्टी खड़ी करवा सकती है। इसमें मायावती से नाराज चल रहे तथा अलग हो चुके नेता एक मंच पर आएंगे। इस पार्टी को कांशीराम के छोटे भाई दरबारा सिंह हवा दे रहे हैं। दरबारा सिंह को कुछ समय पूर्व भाजपा नेताओं के साथ देखा गया था। उन्होंने नई पार्टी के लिए कोशिश भी शुरू कर दी है। सुनने में आया है कि भाजपा के एक नेता ने नई पार्टी के लिए ऑफिस, गाड़ी, टेलीफोन जैसी कई सुविधाएं मुहैया कराने में दरबारा सिंह को महत्वपूर्ण मदद दी है। दरबारा सिंह मूलत: पंजाब के हैं लेकिन कांशीराम की तरह वे भी उत्तरप्रदेश में राजनीति को हवा देना चाहते हैं। उधर मायावती इस हमले से खौफ जदा हैं। मायावती ने इसीलिए युवाओं को पार्टी में शामिल करना शुरू कर दिया है। हाल ही में उन्होंने आदेश दिया था कि पार्टी में हर स्तर पर समितियों में 35 साल तक की उम्र के कम से कम 50 प्रतिशत सदस्य होने चाहिए। मायावती जबसे बहुजन समाज पार्टी की कमान संभाल रही हैं तब से आज तक न तो उन्होंने कोई युवा या छात्र संगठन बनाया और न ही किसी युवा नेता को आगे बढऩे दिया। लेकिन अब हर पार्टी युवाओं पर फोकस कर रही है। मायावती भी जानती हैं कि जातिवादी और दलित सवर्ण की राजनीति ज्यादा दिन तक नहीं टिकेगी। देर-सवेर कुछ इंतजाम करने होंगे।
पिछले लोकसभा चुनाव में दलित वोट के खिसकने के कारण उत्तर प्रदेश में किसी सुरक्षित सीट पर भी जीत हासिल नहीं होने के बाद बड़ी तादाद में लोग पार्टी छड़ कर जाने लगे। मायावती पर कई तरह के आरोप लगे हैं। इनमें टिकट देने पर विवाद, दलित आंदोलन से समझौता करने के आरोप और पार्टी को तानाशाह की तरह चलाने के आरोप शामिल हैं। इनके कारण कई नेता दूसरी पार्टियों में चले गए हैं। बसपा के भीतर के असंतोष को समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पाटी भी लगातार हवा दे रही हैं। पार्टी से किनारा करने वाले इन नेताओं का कहना है कि अधिकांश युवा मायावती को अवसरवादी मानते हैं, वे उनके साथ नहीं जा सकते। वो कहते हैं कि मायावती पर लगे तमाम तरह के आरोपों के कारण दलितों का उनसे भावनात्मक जुड़ाव काफी कमजोर पड़ चुका है और बसपा को दोबारा संभल पाना मुश्किल है।
आजम के प्रति नरम अमर
कभी आजम के कट्टर सियासी दुश्मन माने जाने वाले पूर्व सांसद अमर सिंह अब उनके प्रति नरम दिख रहे हैं लेकिन सपा महासचिव राम गोपाल यादव के प्रति उनकी तुर्सी अब भी बरकरार है। अमर सिंह ने कहा कि आजम खां से अब उनके कोई मतभेद नहीं हैं। लेकिन उन्होंने यह स्वीकार करने में कोई हिचक नहीं दिखाई कि राम गोपाल यादव से उनका विवाद है। उन्होंने कहा, राम गोपाल उनका विरोध करते हैं, इसकी उन्हें परवाह भी नहीं है। इशारों-इशारों में उन्होंने राम गोपाल पर निशाना साधते हुए कहा, अखिलेश सरकार अच्छा काम कर रही है, लेकिन सपा प्रवक्ताओं की फौज इसका प्रचार नहीं कर पा रही है। दुष्प्रचार ज्यादा हो रहा है। सपा में शामिल होने की अटकलों को खारिज करते हुए अमर ने कहा, वह मुलायम सिंह यादव व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलने नहीं आए थे बल्कि अपने भाई व भतीजे से मिलने आए थे। इनके साथ उनके पारिवारिक रिश्ते थे, हैं और आगे भी रहेंगे। अमर सिंह ने कहा, आजम से उनका जो भी झगड़ा या मतभेद था वह रामपुर को लेकर था जहां से जयाप्रदा चुनाव लड़ती थीं लेकिन अब यह विवाद खत्म हो गया है।
आजम ,आपÓ में तो नहीं जा रहे!
नगर विकास और संसदीय कार्यमंत्री आजम खां का विधायकों, मंत्रियों को दिया गया गिफ्ट पूरे प्रदेश में चर्चा में है। विधानमंडल सत्र के आखिरी दिन उन्होंने सभी विधायकों को तोहफे के रूप में एक शानदार बैग, झाड़ू, पेन और एक खत भेजा है। झाड़ू के साथ दिए गए अजीबो-गरीब तोहफे के सियासी लोग अलग-अलग मायने निकाल रहे हैं।
हिंदुओं के दिलों में पैठ बनाएगी विहिप!
लोगों के बीच पकड़ व पहुंच मजबूत बनाने के लिए खुद को सामाजिक सरोकारों से जोडऩे में जुटी विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने अब लोगों को तीर्थयात्रा व पूजा-पाठ करवाने तक में मददगार बनने की योजना बनाई है। साथ ही किसी हिंदू को दूसरे शहर या राज्य में जाने पर या तीर्थयात्रा के दौरान सामने आने वाली दुश्वारियों को दूर करने का बीड़ा उठाया है। इसके लिए हर शहर में संगठन की तरफ से टोली बनाई जा रही है। योजना के अनुसार, मदद के लिए लोगों को हिंदू हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करना होगा। इसके कुछ ही देर में विहिप की टोली का सदस्य पहुंच जाएगा और जरूरी मदद की व्यवस्था करेगा। फिलहाल इस हेल्पलाइन पर चिकित्सा, आवास, शासन/प्रशासन, कानून/न्याय व धार्मिक कामकाज से जुड़ी समस्याओं का समाधान मुहैया कराया जाएगा। किसी अन्य शहर या राज्य की यात्रा के दौरान यदि कोई हिंदू अचानक बीमार पड़ जाता है तो उसे हिंदू हेल्पलाइन पर फोन करके अपना वर्तमान ठिकाना बताना होगा।
कांग्रेस ने खेला दांवÓ
कांग्रेस ने प्रदेश सरकार से बर्बाद फसल का उचित मुआवजा देने के साथ ही किसानों के कर्जे भी माफ करने की मांग की है। कांग्रेस प्रवक्ता सिद्धार्थ प्रिय श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश में बेमौसम हुई भारी बारिश और ओलों से दलहन, तिलहन सहित गेहूं की फसल पूरी तरह चौपट हो गई है। भारी नुकसान के सदमे में किसान आत्महत्याएं करने को मजबूर हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सिर्फ घोषणाएं कर रहे हैं। केंद्र की मोदी सरकार के मंत्री हवाई सर्वेक्षण कर रहे हैं। जमीनी हकीकत यह है कि अभी तक किसानों के हुए नुकसान का न तो राजस्व विभाग द्वारा आकलन हो पाया है और न ही किसानों तक कोई सहायता पहुंच पाई है।
-लखनऊ से मधु आलोक निगम