20-Apr-2015 05:18 AM
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उत्तर प्रदेश के रामपुर में वाल्मीकि समाज की बस्ती अब नहीं गिराई जाएगी। यह मामला मीडिया में इतना उछल गया है कि आजम खान देश छोडऩे को तैयार हो गए हैं। लेकिन जिस हल्केपन से इस पूरे प्रकरण को लिया गया है वह चिंता का विषय हो सकता है। उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण एक बड़ा मुद्दा है। लेकिन इस धर्मांतरण का कारण लोगों की आस्था या विश्वास नहीं है बल्कि इसका कारण है आर्थिक और व्यवसायगत मजबूरियां। रामपुर में वाल्मीकि समाज जिस इलाके में रहता है उसके आसपास मुस्लिम बस्तियां हैं। अक्सर अतिक्रमण विरोधी कार्यवाही या ऐसी ही तमाम कार्यवाइयों का निशाना इन वाल्मीकियों को ही बनाया जाता है। क्योकि इनकी संख्या कम है और वे परंपरागत रूप से समाजवादी पार्टी के वोटर नहीं माने जाते हैं। आजम खान की दबंगई इस क्षेत्र में चलती है यह एक खुला सच है इसीलिए जब एक शापिंग माल तक जाने वाली सड़क को चौड़ा करने के लिए इन लोगों का घर तोड़ा जाने लगा तो इन लोगों ने पहले तो आमरण अनशन किया और बाद में जब बात नहीं बनी तो इन्हें लगा कि मुसलमान बनने से घर बच जाएगा। इसलिए उन्होंने आजम खान को सूचना भिजवा दी कि वे अपना धर्म बदलने को तैयार हैं। इन लोगों का कहना है कि रामपुर में मुस्लिमों के अलावा और कोई सुरक्षित नहीं है इसलिए मुस्लिम बनना ज्यादा महफूज है। यह खबर अतिश्योक्तिपूर्ण हो सकती है लेकिन पिछले दिनों जो सूचना मिली है उसके मुताबिक पिछले एक दशक के दौरान कई वाल्मीकि परिवार धर्म परिवर्तन कर मुसलमान बन गए हैं। स्थानीय नेता इस परिवर्तन के लिए हिन्दुओं की जाति प्रथा को दोषी मानते हैं जिसके चलते दलितों के साथ समानता का व्यवहार नहीं किया जाता है, लेकिन असली कारण यह नहीं है। रामपुर सहित उत्तर प्रदेश की मुस्लिम बाहुल्य बस्तियों में हिन्दुओं की संख्या बहुत थोड़ी है। जो हिन्दू समुदाय यहां रहते हैं उनके समक्ष रोजी -रोटी का संकट सदैव बना रहता है। उन्हें प्रशासन द्वारा अनावश्यक सताया भी जाता है। लेकिन एक बार मुसलमान बनने के बाद अतिक्रमण करें, कोई काम धंधा करें या किसी भी प्रकार दबंगई से रहें उन्हें रोकता कोई नहीं है। इसीलिए प्रशासन का वरदहस्त पाने की लालसा में दलित वर्ग मुसलमान बनना ज्यादा उचित समझता है। आलम यह है कि पिछले दिनों कई दलितों ने मुसलमान बनने की कोशिश की लेकिन मीडिया में हल्ला मचने के कारण कोई मौलाना, काजी या मुस्लिम धर्मगुरु धर्म परिवर्तन के लिए तैयार नहीं हुआ। आजम खान भी मीडिया में मचे बवाल से दहशत में आ गए और उन्होंने स्थानीय प्रशासन पर दबाव बनाया कि दलितों की बस्ती न तोड़ी जाए। अब मीडिया में हल्ला मचने के कारण फिलहाल तो दलितों के आशियाने बच गए हैं लेकिन ये सब दहशत में हैं। ये चाहते हैं कि शीघ्र ही धर्मांतरण करके मुसलमान बनजाएं ताकि अतिक्रमण और घर टूटने के खतरे से महफूज हो सकें। भारत में यह एक अजीब तरह की सच्चाई है। इसका सीधा -सीधा अर्थ यह है कि धर्मांतरण के लिए कोई एक कारण जिम्मेदार नहीं है। जहां तक सपा सरकार का प्रश्न है वह हमेशा की तरह खामोश है।