06-Apr-2015 02:43 PM
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मध्यप्रदेश में व्यापमं कांड से जुड़े एक मामले के आरोपी शैलेष यादव की संदिग्ध मौत कई सवाल खड़े कर रही है। यह हत्या है, आत्महत्या है या स्वाभाविक मौत इसका निर्णय होने में वक्त लग
सकता है। व्यापमं में पूछताछ से बचने के लिए फरार चल रहे 52 वर्षीय शैलेष यादव जिस घर में मृत पाए गए थे, उसके फोरेन्सिक सबूत मिटने से संदेह और बढ़ जाता है। शैलेष के बड़े भाई कमलेश यादव का कहना है कि यह एक स्वाभाविक मृत्यु है, इसमें जांच की जरूरत नहीं है।
लखनऊ में रामनरेश यादव को मॉल एवेन्यु स्थित जो बंगला राज्यपाल होने के नाते अलाट हुआ है, वहां अकसर चहल-पहल रहती है। शैलेष यादव की तबीयत खराब थी, तो डॉक्टर को क्यों नहीं बुलाया गया। क्या डॉक्टर ने उन्हें कोई दवा दी थी? क्या दवा का रिएक्शन हो गया था? या फिर यादव तनाव में थे, जिसकी वजह से उन्हें ब्रेन हेमरेज हो गया? ऐसे कई सवाल हैं, जिनके उत्तर तलाशे जाने चाहिए।
पुलिस को शक है कि शैलेष यादव की मृत्यु जहर के कारण हुई। लेकिन उन्होंने जहर लिया होता, तो उल्टी भी हो सकती थी। दवाओं के ओवरडोज के कारण भी कई बार उल्टियां होती हैं। जिस व्यक्ति को ब्रेन हेमरेज होता है, वह शांत नहीं रह पाता। दिमाग पर बहुत दबाव पड़ता है। शैलेष के आंख और सिर के ऊपर चोट के निशान भी मिले हैं। इससे लगता है कि दिमाग में भयानक दर्द के बाद वे चक्कर खाकर गिरे होंगेे। उन्होंने संघर्ष किया होगा। यदि नींद की गोली अधिक ली है, तो सोते-सोते मौत हो सकती है। पर चोट के निशान क्यों हैं? कमरा साफ-सुथरा किसने किया? फोरेन्सिक सबूत जानबूझकर मिटाए गए या अनजाने में ऐसा हुआ?
संविदा शिक्षक वर्ग-2 पद के 10 आवेदकों से कथित रूप से पैसा लेकर उन्हें पास कराने के आरोपी शैलेष यादव का नाम एसटीएफ की चार्ज शीट में है। लेकिन शैलेष के पास क्या ऐसी कोई अहम जानकारी थी, जो एसटीएफ को बताने पर बड़ा भारी पर्दाफाश हो सकता था? सुनंदा पुष्कर की मौत की तरह शैलेष यादव की मौत भी सामान्य परिस्थितियों में नहीं हुई है। मौत से 2 दिन पहले शैलेष यादव ने फोन पर अपने पिता से लंबी बातचीत की थी, क्या इसी वजह से वे तनाव में थे? राज्यपाल रामनरेश यादव व्यापमं मामले में कई तरह का तनाव झेल रहे हैं। उम्र के इस पड़ाव में उनका राजनीतिक दामन व्यापमं के कारण दागदार हो चुका है। उन पर लगे आरोप सच हैं या गलत, इसका फैसला तो समय ही करेगा लेकिन इतना तय है कि जो परिस्थितियां उत्पन्न हुईं और राज्यपाल को एफआईआर का सामना करना पड़ा, उनके बेटे को फरार घोषित किया गया, वे सारी परिस्थितियां रामनरेश यादव के परिवार में भयानक तनाव पैदा चुकी थीं। राज्यपाल के ओएसडी धनराज यादव पर भी व्यापमं घोटाले में आरोप
लगे हैं।
सूत्र बताते हैं कि एसटीएफ ने कई बार शैलेष यादव से पूछताछ करने की कोशिश की लेकिन वे नदारत ही रहे। उन्हें कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता था, उनकी हर एक गतिविधि पर नजर रखी जा रही थी, उन्हें भय था कि उनकी संपत्ति जब्त कर ली जाएगी। प्रवर्तन निदेशालय भी सक्रिय हो गया था। राजनैतिक तौर पर अपने परिवार को बचाने की जितनी भी कोशिश हो सकती थी, वह राज्यपाल ने पहले ही कर ली थी। उन्होंने तो इस्तीफा भी तैयार कर लिया था। कभी उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे यादव पुराने कांग्रेसी होने के नाते सोनिया गांधी से भी मदद की उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन सोनिया गांधी और कांगे्रस ने उनसे दूरियां बना लीं। भाजपा का राज्यपाल को परोक्ष रूप से समर्थन देने में अपना स्वार्थ है। यदि राज्यपाल इस्तीफा देते हैं तो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर भी दबाव बनाया जा सकता है। इसलिए केंद्र सरकार ने न तो राज्यपाल से इस्तीफा मांगा है और न ही राज्यपाल ने ऐसी कोई पेशकश की है। अपै्रल माह के दूसरे पखवाड़े में राज्यपाल से पूछताछ की जा सकती है। इस पूछताछ का क्या असर होगा, कहना मुश्किल है। राज्यपाल का एफआईआर के बावजूद पर पर बना रहना, एक बड़ा मुद्दा है। कांग्रेस उनके इस्तीफे की मांग कर चुकी है। व्यापमं घोटाला जिसके कई पहलू हैं, अब मध्यप्रदेश के कई दिग्गज राजनीतिज्ञों के लिए डरावना स्वप्न बनता जा रहा है।
प्रवर्तन निदेशालय ने व्यापमं घोटाले के आरोपी जगदीश सागर की 20 करोड़ से अधिक मूल्य की संपत्ति अटैच कर ली है। इस घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा किया गया यह पहला अटैचमैंट है। डॉक्टर सागर की मर्सडीज, फाच्र्यूनर, टाटा सफारी जैसी गाडिय़ों के अलावा इंदौर, ग्वालियर के मकान, जमीन तथा कोर्ट में जमा 3 किलो सोना अटैच किया गया है। कुछ और आरोपियों पर भी ईडी की नजर है। संपत्ति अटैच होने पर मामला ईडी के न्यायाधिकरण में जाता है, जहां पुष्टि होने के बाद मामला कोर्ट में जाता है। यदि गलत तरीके से संपत्ति अर्जित की गई है, तो 7 साल की जेल मिलती है और संपत्ति हमेशा के लिए सरकार की हो जाती है।
-विकास दुबे