03-Apr-2015 02:52 PM
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मन की बात में इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों से मुखातिब हुए। अति वृष्टि, ओला वृष्टि, पाला, बढ़ती कीमतें, प्राकृतिक आपदाएं आदि किसानों को परेशानी में डालती हैं। प्रधानमंत्री ने किसानों से मन की बात में इन्हीं का जिक्र किया। उन्होंने गांवों की अधोसंरचना शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल आदि के विषय में बात की। किसानों की छोटी से छोटी समस्या पर प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार को इसकी फिक्र है। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर भूमि अधिग्रहण कानून का भी जिक्र किया और कहा कि 2013-14 का कानून आनन-फानन में लाया गया था। प्रधानमंत्री ने नए प्रस्तावित विधेयक पर लंबी-चौड़ी बातचीत की। मन की बात में मुख्यत: इस विधेयक पर उन्होंने किसानों को सरकार का पक्ष बताने की कोशिश की। दूरदराज गांवों के किसानों ने भी कई सवाल पूछे। प्रधानमंत्री ने कहा गांव के लोगों ने, किसानों ने कई मुददे उठाये हैं। सिंचाई की चिंता व्यापक नजर आती है। गांव में सड़क नहीं है उसका भी आक्रोश है। खाद की कीमतें बढ़ रही हैं, उस पर भी किसान की नाराजगी है। बिजली नहीं मिल रही है। किसानों को यह भी चिंता है कि बच्चों को पढ़ाना है, अच्छी नौकरी मिले ये भी उनकी इच्छा है, उसकी भी शिकायतें हैं। माताओं-बहनों की भी, गांव में कहीं नशा-खोरी हो रही है उस पर अपना आक्रोश जताया है। कुछ ने तो अपने पति को तम्बाकू खाने की आदत है उस पर भी अपना रोष मुझे व्यक्त करके भेजा है। आपके दर्द को मैं समझ सकता हूं। किसान का ये भी कहना है की सरकार की योजनायें तो बहुत सुनने को मिलती हैं, लेकिन हम तक पहुंचती नहीं हैं। किसान ये भी कहता है कि हम इतनी मेहनत करते हैं, लोगों का तो पेट भरते हैं लेकिन हमारा जेब नहीं भरता है, हमें पूरा पैसा नहीं मिलता है। जब माल बेचने जाते हैं, तो लेने वाला नहीं होता है। कम दाम में बेच देना पड़ता है। ज्यादा पैदावार करें तो भी मरते हैं, कम पैदावार करें तो भी मरते हैं। यानि किसानों ने अपने मन की बात मेरे सामने रखी है। मैं मेरे किसान भाइयों-बहनों को विश्वास दिलाता हूं, कि मैं राज्य सरकारों को भी, और भारत सरकार के भी हमारे सभी विभागों को भी और अधिक सक्रिय करूंगा। तेज गति से इन समस्याओं के समाधान के रास्ते खोजने के लिए प्रेरित करूंगा। मुझे लग रहा है कि आपका धैर्य कम हो रहा है। बहुत स्वाभाविक है, साठ साल आपने इन्तजार किया है, मैं प्रामाणिकता से प्रयास करूंगा।Ó मन की बात में नरेंद्र मोदी देश के हर वर्ग से बातचीत कर रहे हैं। इससे लोगों की समस्याएं जानने का एक अवसर भी मिला है।
अटल, मालवीय सम्मानित
महामना मदन मोहन मालवीय के परिजनों ने राष्ट्रपति भवन पहुंचकर भारत रत्न सम्मान ग्रहण किया जबकि राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने परम्परा से हटकर वाजपेयी के निवास पर आयोजित एक साधारण समारोह में उन्हें इस पुरस्कार से
नवाजा। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति मो.
हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व राष्ट्रपति डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिहं, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, मंत्रिमंडल में वरिष्ठ सहयोगी, कई मुख्यमंत्री, राजनैतिक दलों के नेता, वाजपेयी परिवार के सदस्य और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
विदेशी कर्ज का बोझ 3.5 फीसदी बढ़ा
दिसम्बर, 2014 के अंत में भारत पर विदेशी कर्ज का बोझ कुल मिलाकर 461.9 अरब डॉलर का रहा, जो मार्च 2014 के अंत में दर्ज विदेशी कर्ज के मुकाबले 15.5 अरब डॉलर (3.5 फीसदी) ज्यादा है। दिसम्बर 2014 के अंत में भारत के विदेशी कर्ज एवं जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का अनुपात 23.2 फीसदी रहा, जो मार्च 2014 के अंत में 23.7 फीसदी था।
दीर्घकालिक कर्जों जैसे वाणिज्यिक उधारी और एनआरआई जमाओं में बढ़ोतरी के चलते ही इस दौरान भारत पर विदेशी कर्ज का बोझ बढ़ गया। हालांकि, इस दौरान भारत के अल्पकालिक विदेशी कर्जों में कमी देखने को मिली।
विश्वविद्यालयों का डिजिटिलाइडेशन
मानव संसाधन विकास मंत्रालय, उच्च शिक्षण संस्थानों में किसी भी समय और कहीं भीÓ मोड के तहत सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का शिक्षण एवं प्रशिक्षण प्रक्रिया में सीखने वालों को पूरा लाभ देने के लिए सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के जरिये शिक्षा पर राष्ट्रीय मिशन (एनएमईआईसीटी) का क्रियान्वयन कर रहा है। इस मिशन में तकनीकी उन्नयन प्रवीणता पर राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत इंजीनियरिंग एवं विज्ञान की विभिन्न शाखाओं में 810 से अधिक पाठ्यक्रम ऑनलाइन उपलब्ध हैं। मीडिया केन्द्रों के सहयोग से शैक्षिक संचार संकाय (सीईसी) द्वारा 8 पूर्व स्नातक विषयों के लिए ई.सामग्री तैयार की गई है। इंजीनियरिंग एवं विज्ञान की 9 शाखाओं में 126 से अधिक आभासी प्रयोगशालाएं जिनमें 770 से अधिक प्रयोग करने की सुविधाएं हैं वह इस समय पूर्ण रूप से इस्तेमाल के लिए तैयार हैं। इसके अलावा 1500 से अधिक ट्यूटोरियल्स दृश्य एवं श्रव्य रूप में ऑनलाइन उपलब्ध हैं। डिजाइन के लिए विभिन्न प्रकार के पाठ्यक्रमों को भी तैयार किया गया है। एनएमईआईसीटी योजना के तहत महाराष्ट्र राज्य समेत देश के 403 विश्वविद्यालयों/विश्वविद्यालय स्तरीय संस्थानों में एक जीबीपीएस ऑप्टीकल फाइबर संपर्क भी उपलब्ध कराया गया है।
जासूसी से इनकार
केन्द्रीय संसदीय कार्य मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने केन्द्र सरकार द्वारा राजनीतिक जासूसी किए जाने की बात से साफ इनकार किया है। उन्होंने कहा कि पूछताछ की प्रक्रिया एक नियमित प्रक्रिया है और 1957 से शुरू हुई इस प्रक्रिया में अब तक 526 अति विशिष्ट लोगों का व्यक्तिगत ब्यौरा लिया जा चुका है। नायडू ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री मल्लिकार्जुन खडग़े के प्रश्न के उत्तर में जानकारी देने के साथ दावा किया कि जासूसी का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होताÓ। नायडू ने बताया कि नेताओं की जानकारी को एकत्र करने का प्रोफॉर्मा 1999 में संशोधित किया गया था। 1999 में दिल्ली पुलिस ने इसमें ड्रेस और जूतों, मूंछ/दाढ़ी, बालों का रंग, शरीर पर विशेष पहचान चिन्ह, चाल-ढाल, शिक्षा और जन्मतिथि को शामिल किया था। प्रोफाइलिंग के बारे में जानकारी देते हुए नायडू ने बताया कि अब तक सोनिया गांधी का तीन बार, 1998 और उसके बाद यूपीए शासन के दौरान दो बार 2004 तथा 2014 में केन्द्र में व्यक्तिगत ब्यौरा लिया गया था। प्रणब मुखर्जी का 2001 में तथा उसके बाद यूपीए शासन के दौरान 2010 में व्यक्तिगत ब्यौरा लिया गया था। नायडू ने कहा जब यूपीए केन्द्र में थी उसी दौरान 2011-13 में दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और अहमद पटेल का भी व्यक्तिगत ब्यौरा लिया गया था।
पशु चिकित्सा विश्वविद्यालयों की स्थापना
11वीं पंचवर्षीय योजनावधि के दौरान देश में छह पशुचिकित्सा विश्वविद्यालय स्थापित किए गए हैं। वर्ष 2014 में इन पशुचिकित्सा विश्वविद्यालयों में पशुचिकित्सा विज्ञान तथा पशुपालन स्नातक पाठ्यक्रम में कुल भर्ती छात्रों की संख्या 466 थी। 1984 के सिख दंगों के दौरान मारे जाने वाले लोगों के नजदीकी रिश्तेदारों को बढ़ा हुआ मुआवजा प्रदान करने हेतु आवश्यक कार्रवाई करने के लिए कहा है। पहले भुगतान की गई राशि के अतिरिक्त प्रति मृतक व्यक्ति के हिसाब से उनके नजदीकी रिश्तेदार से को 5.00 लाख रुपए की राहत राशि दी जाएगी।
अंग दान के प्रति जागरूकता पैदा हो
केंद्र सरकार अंग दान के प्रति लोगों को जागरूक बनाने की कोशिश कर रही है ताकि गंंभीर मामलों में अंग न मिलने के कारण दम तोडऩे वाले मरीजों को बचाया जा सके। सरकार ने पिछले दिनों दिल्ली में आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय प्रतिपालन सम्मेलन और राष्ट्रीय अंग दान दिवस मनानेे के लिए आयोजित समारोह में राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम (एनओटीपी) के संचालन दिशा-निर्देशों को जारी करते हुए राष्ट्रीय अंग और कोशिका प्रत्यारोपण संगठन (एनओटीटीओ) की वेबसाइट का शुभारंभ किया है। इस मौके पर स्वास्थ्य सचिव बी.पी. शर्मा ने कहा कि अंगदान एक पवित्र कार्य है और हमें इसे बढ़ावा देने के लिए सभी प्रयास अवश्य करने चाहिए। शर्मा ने इस क्षेत्र में आपूर्ति और मांग में भारी अंतर पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे पास बढिय़ा मेडिकल बुनियादी ढांचा, कानूनी तंत्र, कार्यक्रम और प्रोफेशनल हैं, फिर भी हम जरुरतमंद मरीजों के लिए अंगों की मांग को पूरा करने में असमर्थ हैं। उन्होंने कहा कि हमें चुनौतियों को समझना होगा और उन्हें सकारात्मक ढंग से निपटाना होगा।
शिक्षा प्रणाली उपलब्धता, समानता और गुणवत्ता से जूझ रही है-उप राष्ट्रपति
उप राष्ट्रपति मो. हामिद अंसारी ने कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली पूर्णत: और सभी स्तरों पर तीन समस्याओं- उपलब्धता, समानता और गुणवत्ता से जूझ रही है। पिछले कुछ दशकों में बढ़ोतरी के बावजूद भारत में विश्व औसत की तुलना में नामांकन आज भी कम है। प्रारंभिक और माध्यमिक स्तरों पर स्कूल छोड़ जाने वाले छात्रों की संख्या अब भी ज्यादा है। शिक्षा क्षेत्र में उच्च प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी, कमजोर बुनियादी ढांचा और पुराने पड़ चुके पाठ्यक्रम जैसी समस्याएं आज भी बरकरार हैं। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का जो हिस्सा शिक्षा क्षेत्र में संसाधनों के रूप में जाता है, वह आवश्यकता से कम है। जामिया हमदर्द के 11वें दीक्षांत समारोह में शिक्षा, सशक्तीकरण और नियोजनीयताÓ विषय पर अपने व्याख्यान में अंसारी ने कहा कि शिक्षा, रोजगार और सशक्तीकरण के बीच प्रत्यक्ष संबंध है और हमारे समक्ष सबसे बड़ी चुनौती उच्च शिक्षण संस्थानों से पास हो रहे स्नातकों की निम्न नियोजनीयता है। उन्होंने कहा कि विश्व में चीन के बाद भारत में सबसे बड़ी कार्यशील जनसंख्या है। यह अनुमान लगाया गया है कि 2022 तक हमारी जनसंख्या का 63 प्रतिशत भाग कार्यशील आयु वर्ग में होगा। यह जनसंख्या संरचना विकास की अपार संभावनाओं को इंगित करता है बशर्ते दो स्थितियों पर ध्यान दिया जाये। पहला शिक्षा और कौशल विकास के उच्च स्तर को प्राप्त किया जाये। दूसरा ऐसा माहौल तैयार किया जाये जहां न केवल अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़े बल्कि अच्छे रोजगार के अवसर भी पैदा हों। इससे समाज के कमजोर वर्गों और युवाओं की आकांक्षाओं और उम्मीदों को पूरा करने में भी मदद मिलेगी।