06-Apr-2015 02:20 PM
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मध्यप्रदेश में कई आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की पदोन्नति हो गई है। कई जिलों के कलेक्टर, कमिश्नर, आईजी और एसपी के तबादला सूची जारी होने के कयास तेज हो गए हैं। कुछ पुलिस

अफसरों को प्रमोशन मिलने के कारण उन्हें नई जवाबदारी सौंपी जाएगी वहीं अफसरों की मनमानी और आपस में पटरी न बैठ पाने के कारण रुखसत होना पड़ेगा। वैसे तो प्रदेश में कुछ आईएएस अफसरों की सरकार पर इतनी दादागिरी है कि वह अपनी मर्जी की ओर जहां चाहे उस जिले में नियुक्ति करा लेते है। मनमानी की पोस्टिंग लेने वाले अधिकारी ज्यादा करके आरआर वाले हैं। ग्वालियर कलेक्टर पी नरहरि की अपने प्रभारी मंत्री माया सिंह से पटरी नहीं बैठ रही है और कमिश्नर केके खरे को तो वह कुछ समझते ही नहीं है।
ग्वालियर जिला इस समय चर्चाओं मेें है कि इस हाथ दो उस हाथ लो। महिला बाल विकास मंंत्री दलिया को लेकर अपने नरहरि को दर्जनों बार समझा चुकी हैं। सुनने में आया है कि उन्होंने मुख्यमंत्री तक से शिकायत कर डाली है। यह वही नरहरि है जिन्हें पिछले तबादलों में इंदौर कलेक्टर बनना था। परंतु मनमर्जी के मालिक आकाश त्रिपाठी अड़ गए उन्होंने कहा कि मुझे सेल्स टैक्स कमिश्नर बनाए या एमआरडीसी में भेजें तभी मैं यहां से जाउंगा और वह दोनों जगह तो नहीं जा पाए पर उनसे इंदौर कलेक्ट्री कोई छुड़ा नहीं पाया। इंदौर के कलेक्टर और कमिश्नर का आपस में कोई सामंजस्य न कोई बिठा पाया है और न ही बैठेगा। अब कलेक्टर महोदय के ट्रेनिंग पर जाने के बाद ग्वालियर वालों को तो यह ताज पहनने का मौका मिलेगा या नहीं। गलियारों में चर्चा तेजी से है। वहीं रीवा संभाग में भी कमिश्नर और कलेक्टर की लड़ाई रोड़ पर आ चुकी है। वहां भी झगड़ा प्रमोटी और आरआर का है। ऐसा ही हाल रीवा संभाग में आईजी और एसपीस का है। चंबल संभाग में भी पुलिस अफसरों की आपसी खींचतान जोरों पर है। देखा जाए तो डीजीपी के निर्देश हैं कि जिलों में स्कवाड बंंद कर दे परंतु आईजी अभी भी स्क्वाड चला रहे हैं। हाल इतना बुरी है कि डीजीपी के आदेशों का पालन नहीं हो रहा है तो फील्ड में तैनात अफसरों में बाहे खिची हुई है। सिंगरोली के एसपी ने अपने आईजी के खिलाफ एक टीआई के ट्रांसफर को लेकर मोर्चा खोल दिया है वहीं सागर संभाग के आईजी पंकज श्रीवास्तव के खिलाफ उन्हीं के नौजवान एसपी ने बाहे तान रखी हैं। यह हाल प्रदेश में अफसरों का चल रहा है इसकी जानकार मुख्यमंत्री से लेकर सारे आला अफसरों को है। बेलगाम अफसरों पर शिकंजा कसने में सरकार कहीं न कहीं नरमी बरते हुए हैं।
-कुमार राजेंद्र