06-Apr-2015 02:16 PM
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अलगाववादी मसर्रत आलम की रिहाई की पक्षधर महबूबा मुफ्ती नरेंद्र मोदी के मंत्रीमंडल में मंत्री बनाई जा सकती हैं। मोदी ने अप्रैल माह के पहले पखवाड़े में मंत्रिमंडल विस्तार का संकेत दिया है।

महबूबा नजमा हेपतुल्ला की जगह लेंगी जिन्हें राज्यपाल बनाए जाने की चर्चा है। नजमा हेपतुल्ला 74 वर्ष की हो चुकी हैं और मोदी सरकार में मंत्री बनने की अधिकतम उम्र 75 वर्ष ही है। राज्यसभा में अधिक से अधिक सहयोगी जोडऩे के लिए मोदी सरकार साथी दलों को केंद्रीय मंत्रिमंडल में ज्यादा हिस्सेदारी देने की योजना बना रही है। तेदेपा, अकाली दल, शिवसेना, पीडीपी जैसे सहयोगी सरकार को ज्यादा मजबूती प्रदान करेंगे। बेंग्लूर में 3 अप्रैल से राष्ट्रीय कार्यकारिणी की 2 दिवसीय बैठक में केंद्रीय मंत्रिमंडल को लेकर आला नेताओं के बीच विचार विमर्श हो सकता है, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार के लिए खरमास की समाप्ति का इंतजार किया जाएगा। फिलहाल यह साफ नहीं हो पाया है कि नजमा के साथ-साथ अन्य मंंत्रियों की छुट्टी होगी या नहीं। मंत्रियों के कामकाज का आडिट भी किया जा रहा है। कुछ और लोग भी मंत्रिमंडल से रुखसत हो सकते हैं।
महबूबा मुफ्ती की केंद्रीय मंत्रिमंडल में मौजूदगी पर अभी से सवाल उठाए जा रहे हैं। कश्मीर में अलगाववादियों और पाकिस्तान को लेकर मुफ्ती सरकार का जो रुख रहा है। उससे भाजपा सदैव परेशानी में पड़ी है। अब यदि महबूबा मुफ्ती केंद्र सरकार में आती हैं तो जम्मू कश्मीर सरकार के कामकाज का तरीका क्या रहेगा यह देखना दिलचस्प होगा। कश्मीर में हाल में आई बाढ़ के बाद केंद्र सरकार ने 200 करोड़ रुपए की सहायता तत्काल देते हुए सेना के मार्फत राहत और बचाव कार्य तेज किए थे। मुफ्ती सरकार ने केंद्र से कुछ अतिरिक्त मांग भी रखी है। मसर्रत आलम की रिहाई के वक्त जो हालात बने थे फिलहाल उनमें सुधार आया है, लेकिन भाजपा के भीतर बहुत से नेता पीडीपी से गठबंधन को उचित नहीं मानते हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और शिवसेना जैसे राजनीतिक दल कश्मीर पर भाजपा की नीति की खुलकर आलोचना कर चुके हैं। कश्मीर में हाल के दिनों में बढ़़ी आतंकवादी घटनाएं भी केंद्र के लिए चिंता का विषय है। सईद सशस्त्र सेना विशेष सुरक्षा अधिनियम आफ्सा खत्म करने के लिए केंद्र पर दबाव बनाते रहे हैं। दोनों दलों ने जो साझा कार्यक्रम बनाया है उसमें भी इस कानून को शांति होने की स्थिति में कुछ इलाकों से खत्म करने की बात कही गई है।
-सुमित भंडारी