06-Apr-2015 02:10 PM
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भारतीय खेल इतिहास की महानतम बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल ने क्रिकेट की हार से मायूस हुए देशवासियों को दोहरी खुशी दी है। लखनऊ में इंडियन ओपन जीत दर्ज कर इतिहास बनाते हुए वल्र्ड
नंबर वन भी बन गईं। लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली साइना वर्ल्ड नंबर वन की रैंकिंग छूने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी बन गई हैं। योनेक्स सनराइज इंडियन ओपन बैडमिंटन के एक सेमीफाइनल मुकाबले में वर्ल्ड चैंपियन कैरोलीना मारिन की रेनचोंक इतानोन के हाथों हार के साथ ही साइना पहले पायदान पर पहुंच गईं। इसके कुछ देर बाद ही उन्होंने वर्ल्ड नंबर वन बनने का जश्न दोगुना करते हुए चीन की यू हाशिमोतो को सेमीफाइनल में लगभग एकतरफा मुकाबले में साइना याद दिलाती हैं कि वल्र्ड नंबर बनने की कगार पर वह 2010 में भी थीं। यही कारण है कि इस वक्त उनका ध्यान सिर्फ और सिर्फ अच्छा खेलने पर है। वह सभी टूर्नामेंट जीतना चाहती हैं और अच्छी बात यह है कि वह इस वक्त अच्छा खेल रही हैं। साइना यह भी कहती हैं कि वल्र्ड नंबर वन बनने से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है निरंतरता। रैंकिंग कई बार सच्चाई को बयां नहीं करती है। इसका उदाहरण वर्तमान वल्र्ड नंबर वन चीन की ली जू रुई हैं। यह सभी जानते हैं कि वह चोटिल हैं और पिछले कुछ टूर्नामेंट नहीं खेल पाई हैं। इस वजह से उन्हें कई महत्वपूर्ण अंक गंवाने पड़े हैं। उन्हें पूरा विश्वास है कि ली ठीक होकर जब कोर्ट में उतरेंगी तो अपने इस रैंकिंग को वापस पाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगी। साइना कहती हैं कि उनके लिए महत्वपूर्ण यह है कि वह दुनिया के पहले 5 खिलाडिय़ों में पिछले 7 सालों से बनी हुई हैं। कई खिलाड़ी ऐसे भी हैं जो पहले 20 में भी नहीं आ पाते हैं और वह लंबे समय से इस रैंकिंग पर हैं, इसके लिए वह भाग्यशाली हैं। उनकी शुरू से ही यह कोशिश है कि वह सर्वश्रेष्ठ बनना चाहती हैं और आगे भी उनका यही लक्ष्य रहेगा।
-आशीष नेमा