रफ्तार से हारती जिंदगी
06-Apr-2015 01:43 PM 1234926

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने 2012 में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में एक कार्यक्रम में सड़क दुर्घटनाओं पर कहा था कि अच्छी बाइक हो, अच्छा मोबाइल हो और अच्छी गर्ल फ्रेंड हो तो एक्सीडेंट होगा ही। रमन सिंह के इस कथन को मीडिया ने मिर्च-मसाला लगाकर परोसा और उसको अलग ही अर्थ में प्रस्तुत कर दिया लेकिन तब से अब तक सड़क दुर्घटनाओं में 28 हजार से अधिक नौजवानों को खो देने के बाद रमन सिंह के उस कथन का मर्म समझ में आ रहा है।

अकेले भोपाल में पिछले एक वर्ष मेंं जो सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं उनमें मरने वाले 70 प्रतिशत नौजवान हैं और उनमें भी बहुत से ऐसे हैं, जो मोबाइल पर बात करते हुए या गर्लफ्रेंड को घुमाते हुए मौत के शिकार हुए हैं। पुलिस मिन्नतें कर रही है, हेलमेट पहनने के लिए मना रही है। पहले लोगों को फूल देकर समझाया और अब चालान काट रही है लेकिन हेलमेट पहनना अभी भी एक खानापूर्ति से ज्यादा कुछ नहीं है। नौजवान पुलिस को देखकर या पेट्रोल डलवाने के लिए कुछ देर हेलमेट पहनने का दिखावा करते हैं और बाद में बिना हेलमेट करतबबाजी दिखाते हैं। नौजवान ही नहीं बूड़े, बच्चे और महिलाएं भी हेलमेट पहनना अपनी तौहीन समझते हैं, उधर राजनीतिक पार्टियां हेलमेट को मुद्दा बना लेती हैं। छत्तीसगढ़ में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही हेलमेट के खिलाफ आंदोलन कर चुकी हैं। कांगे्रस ने तो नारा दिया था- हेलमेट के दलालों को जूता मारो सालों कोÓ। मध्यप्रदेश में भी यही हाल है। कानून तोडऩा नौजवानों की फितरत है। बीआरटीएस कॉरिडोर में रात को गाड़ी चलाना और हेलमेट को कुछ लोग अपना दुश्मन समझते हैं, ऐसा मानकर चलते हैं कि पुलिस इसे अपने सिर की रखवाली के लिए दूसरों के सिर पर लदवाती है।

पुलिस और सरकार के पास दुर्घटना-मौतों के जो आंकड़े रहते हैं वे मौतों के रहते हैं। लेकिन मौत से पहले भी सिर की चोट की वजह से अनगिनत लोग जिंदगी भर के लिए तरह-तरह की तकलीफ का शिकार हो जाते हैं, और उनकी गिनती सरकार के किसी आंकड़े में नहीं आ पाती। हर सड़क-मौत के पीछे ऐसी सैकड़ों तकलीफ भरी जिंदगियां रहती हैं जिनके इलाज में उनके परिवार तबाह हो जाते हैं। ऐसे सैकड़ों लोग रहते हैं जिनकी उत्पादक जिंदगी ऐसे एक हादसे के बाद खत्म हो जाती है। शहरी सड़कों पर रात-दिन नौजवान लड़के-लड़कियों को मोटरसाइकिलों पर, स्कूटरों पर देखा जा सकता है, एक-दूसरे में मगन देखा जा सकता है, अकेले रहने पर मोबाइल फोन पर डूबे हुए देखा जा सकता है, और इनमें से कोई भी हेलमेट लगाए नहीं दिखता।  हर एक मिनट पर सड़क दुर्घटना और चार मिनट पर इससे एक मौत होती है। शहर से अधिक ग्रामीण इलाके में सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं। एनएच व एसएच की तुलना में अन्य सड़कों पर दुर्घटना अधिक होती है पर मरने वालों का औसत एनएच दुर्घटना में सबसे अधिक है।

ट्रैफिक पुलिस ने विशेष अभियान चलाकर युवाओं को संभलकर गाड़ी चलाने के लिए प्रेरित किया है। स्कूल-कॉलेजों में सेंस्टाइजेशन किया जा रहा है। हेलमेट का उपयोग विशेष अभियान चलाने के बाद 60-70 प्रतिशत बढ़ गया है।

-शालिनी दीक्षित, एसपी, ट्रेफिक पुलिस

-ज्योत्सना अनूप यादव

FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^