रेलवे की सुरक्षा का सवाल
04-Apr-2015 02:41 PM 1234850

रेलवे की सुरक्षा का सवालध्यप्रदेश के वित्तमंत्री जयंत मलैया और उनकी धर्मपत्नी सुधा मलैया के लिए दमोह से दिल्ली की यात्रा भयावह दु:स्वप्र साबित हुई। आगरा से मथुरा के बीच लूटपाट करने वाले गिरोह ने चाकू और बंदूकों की नोंक पर मलैया दंपति का कीमती सामान गहने, रुपए इत्यादि लूट लिए। जबलपुर के कुछ संभ्रांत नागरिकों के साथ भी लाखों रुपए की लूटपाट हुई। अक्स के मार्च द्वितीय अंक में महिला जगत के अंतर्गत ट्रेनों में महिलाओं के साथ हत्या, बलात्कार, लूटपाट की घटनाओं पर सवाल उठाया गया था। लेकिन अब तो लुटेरों का दुस्साहस इतना बढ़ गया है कि वे मंत्रियों और अन्य वीआईपी को भी नहीं बख्शते। इस घटना के बाद भारतीय रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था संदेह के घेरे में आ गई है। ट्रेन के भीतर यात्री सुरक्षित नहीं है और ट्रेन के बाहर अधोसंरचना तथा दुर्घटना से बचाव के उपाय इतने घटिया हैं कि आए दिन  दुर्घटनाएं घटती रहती हैं। लूट की इस घटना के चंद दिनों बाद ही उत्तरप्रदेश के बरेली में टे्रन के डब्बे उतर जाने से 35 यात्रियों की मौत हो गई और सैंकड़ों घायल हो गए।  दुर्घटनाएं मानवीय चूक हो सकती हैं लेकिन रेल के अन्दर यात्रियों के साथ लूटपाट एक गंभीर विषय है। महिलाओं से छेड़छाड़ और बलात्कार तो आम बात हो चुकी है। दर्जनों महिलाओं को ट्रेन के बाहर ्रफेंका जा चुका है। जिस दिन मलैया के साथ लूटपाट की घटना हुई, उससे कुछ दिन पहले गोवाहाटी-बीकानेर एक्सपे्रस में भी वैसी ही लूटपाट हुई थी।
रेल सुरक्षा बल का गठन रेल संपत्ति, यात्री-क्षेत्र यात्रियों एवं उनसे संबंध्ाित मामलों में बेहतर सुरक्षा उपलब्ध करने के उद्देश्य से रेल सुरक्षा बल अधिनियम 1957 के अंतर्गत किया गया है।  रेल सुरक्षा बल को रेल संपत्ति अधिनियम (गैर-कानूनी कब्जा), 1966 के अंतर्गत कानूनी कब्जे के विरुद्ध कार्रवाई करने का अधिकार है। वर्ष 2023 के दौरान रेल संपत्ति अधिनियम (गैर-कानूनी कब्जा) के अंतर्गत कुल 5591 मामले दर्ज किए गए और 6693 लोगों को गिरफ्तार किया गया तथा 42.15 करोड़ रुपए की चोरी गई रेल संपत्ति बरामद की गई।
पिछले महीने बजट पेश करते समय रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने 12 बार सुरक्षा शब्द का इस्तेमाल किया था। बजट में जिन इलाकों में दुर्घटनाएं होती हैं, उनके लिए कार्य योजना बनाने, जून तक 5 साल का कॉरपोरेट सेफ्टी प्लान बनाने, अप्रैल 2015 तक काकोदकर समिति की लंबित पड़ी सिफारिशों की जांच करने यूएमएलसी पर सड़क का इस्तेमाल करने वालों की सुरक्षा के लिए चेतावनी तंत्र विकसित करने, यूएमएलसी को खत्म करने और रेल सुरक्षा व चेतावनी तंत्र (टीपीडब्ल्यूएस) विकसित करने की बात कही गई है। मंत्रालय अगले 5 साल के दौरान प्राथमिकता वाले प्रमुख क्षेत्रों पर 8.5 लाख करोड़ रुपये खर्च करना चाहता है। इसमें 1,27,000 करोड़ रुपये सुरक्षा पर खर्च करने की योजना है, जिसके तहत रेलमार्गों का नवीकरण, सड़क उपरिगामी सेतु, सिगनल एवं टेलीकॉम से जुड़ी परियोजनाएं शामिल हैं।
रेल दुर्घटनाओं की भरमार
केंद्र में नई राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के सत्ता संभालने के बाद रेल दुर्घटनाओं के मामले में भारतीय रेल ने बुरा प्रदर्शन किया है। चालू वित्त वर्ष के दौरान फरवरी तक 80 से ज्यादा रेल दुर्घटनाएं हुई हैं, जिसमे 123 लोगों की मौत हुई है, जो पिछले 4 साल के दौरान सबसे ज्यादा है। इसकी तुलना में पिछले वित्त वर्ष 2013-14 के दौरान 71 दुर्घटनाएं हुईं, जिसमें 54 लोगों की मौत हुई, वहीं 2012-13 में 69 दुर्घटनाओं में 81 लोगों की मौत और 2011-12 में 77 रेल दुर्घटनाओं में 115 लोगों की जान चली गई। हाल ही में संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में रेल मंत्री ने यह जानकारी दी थी। इससे पता चलता है कि रेलवे किस तरह से सुरक्षा के मोर्चे पर विफल हो रहा है। सुरक्षा आंकड़ों के मुताबिक सितंबर तक 10 लाख किलोमीटर की रेल यात्रा में औसतन 0.14 दुर्घटनाएं हुई, जो पिछले 3 वित्त वर्षों के दौरान हुई दुर्घटनाओं से ज्यादा है। मंत्रालय की हाल की सुरक्षा रिपोर्ट से पता चलता है कि अप्रैल से जनवरी के दौरान यह अनुपात घटकर 0.12 रह गया है। उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले से 30 किलोमीटर दूर हुई रेल दुर्घटना में 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है, जो फरवरी के बाद से एक और बड़ी दुर्घटना है। फरवरी में बेंगलूरु एर्नाकुलम इंटरसिटी एक्सप्रेस के 9 कोच कर्नाटक तमिलनाडु सीमा पर पटरी से उतर गए थे, जिसमें 10 यात्रियों की मौत हो गई थी, जबकि 60 अन्य घायल हुए थे। इसके पहले अक्टूबर 2014 में गोरखपुर के निकट दौड़ती हुई दो यात्री ट्रेनों की भिड़ंत में 12 लोगों की मौत हो गई थी। सरकार ने परंपरागत रूप से इन दुर्घटनाओं को लेकर जांच समितियां दीं, मुआवजे की घोषणा की और कहा कि सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता में शामिल है।
-श्याम सिंह सिकरवार

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