कंगारू दमदार विश्वकप के हकदार
04-Apr-2015 03:04 PM 1234879

क्वाटर फाइनल में पाकिस्तान, सेमीफाइनल में भारत और फाइनल में न्यूजीलैंड को बच्चों की तरह खिलाते हुए ऑस्ट्रेलिया ने 29 मार्च को 5वीं बार विश्वकप जीत कर सारे मिथक तोड़ डाले। सिर्फ एक मिथक कायम रहा कि नॉक-आउट टूर्नामेंट में कंगारुओं का कोई सानी नहीं है। फुटबाल के इतिहास में जो करिश्मा ब्राजील ने दिखाया, हॉकी में कभी वैसा ही करिश्मा भारत किया करता था और आज क्रिकेट में ऑस्टे्रलिया कर रहा है। फुटबॉल के जादूगर पेले थे, हॉकी के जादूगर ध्यानचंद थे, लेकिन क्रिकेट की जादूगर तो ऑस्टे्रलिया की पूरी टीम ही है। व्यक्तिगत उपलब्धियां भले ही ज्यादा न हों पर टीम की उपलब्धियां क्रिकेट के इतिहास में स्वर्णाक्षरों मेेंं लिखे जाने लायक हैं। ऑस्टे्रलिया ने 2015 का विश्वकप जीतकर बता दिया कि वे क्यों क्रिकेट की महाशक्ति हैं। क्वार्टर फाइनल से लेकर फाइनल तक के तीन मैच ऑस्टे्रलिया की जांबाजी की कहानी कह रहे हैं। इन तीनों मैच में विश्व की जानी-मानी ताकतवर टीमों के साथ ऑस्टे्रलिया ने जो खेल दिखाया, उसे देखकर लग रहा था कि ऑस्टे्रलिया के खिलाफ कोई प्रथम श्रेणी की टीमें खेल रही हैं। क्वार्टर फाइनल में ऑस्टे्रलिया ने पाकिस्तान के खिलाफ पहले गेंदबाजी करते हुए पाकिस्तान को छोटे स्कोर पर रोक दिया और बाद में लक्ष्य आसानी से पा लिया। भारत के खिलाफ मैच से पहले मीडिया मेें भारत की जीत के कई दावे किए गए, लेकिन मैदान में कंगारुओं ने दिखाया कि वे क्यों बार-बार विश्व विजेता बनते हैं। भारत के खिलाफ 328 का विशाल स्कोर खड़ा करने के बाद भारत को 233 पर रोक दिया। फाइनल में कीवियों को पहले तो 183 पर रोका और बाद में 3 विकेट खोकर लक्ष्य पा लिया। इस मैच में न्यूजीलैंड ऐसा खेला जैसे किसी चैरिटी मैच में खेल रहा हो। सामने ऑस्ट्रेलिया था लेकिन न्यूजीलैंड को लगा कि आयरलैंड है। मेकुलम के आउट होने के बाद ताश के पत्तों की तरह टीम बिखर गई। अकेले मेकुलम ही टीम की ताकत थे, यह कहना गलत है। न्यूजीलैंड की रणनीति हमेशा से पहले 10 ओवरों में अटैक करने की रही है लेकिन टॉस जीतने के बाद भी वे अटैक नहीं कर सके। कंगारुओं ने उन्हें रन नहीं बनाने दिए। सारे बल्लेबाज कंगारुओं की तेज गेंदबाजी के समक्ष संघर्ष करते नजर आए। विकेट सपाट था, गैंद स्विंग कर रही थी लेकिन बल्ले पर बेहतर आ रही थी। ऐलिएंट ने सेमीफाइनल की तरह फाइनल में भी बेहतरीन 83 रन की पारी खेली लेकिन कोई दूसरा बल्लेबाज नहीं चला। किसी ने भी अर्धशतक नहीं मारा। एक साझेदारी का अभाव न्यूजीलैंड को खटकता रहा। वे रनों की तलाश में थे, लेकिन विकेट भी नहीं बचा सके। 45वें ओवर में ही कंगारुओं ने उन्हें रुखसत कर दिया। ग्रांट इलियट फाइनल एक तरफा रहा। दर्शकों को बड़े स्ट्रोक देखने को ही नहीं मिले। अपनी आक्रामक बल्लेबाजी के लिए विख्यात न्यूजीलैंड के बल्लेबाज लडख़ड़ाते नजर आए। जो खेल उन्होंने श्रीलंका, वेस्टइंडीज और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दिखाया था उसका एक तिनका भी फाइनल में नजर नहीं आया। टॉस जीतने के बाद मैदान में जिस उत्साह से न्यूजीलैंड आया था वह उत्साह  ठंडा पड़ गया। यह मनोवैज्ञानिक पराजय भी है। कंगारू मनोवैज्ञानिक रूप से नहीं टूटते। उनके विकेट भले ही गिरते रहें वे रन बनाते हैं। उनका 6वां-7वां विकेट भी ताबड़तोड़ बल्लेबाजी कर लेता है। यही जीत का सूत्र है। तीनों फाइनल को किसी माइंड गेम की तरह ऑस्टेे्रलिया ने खेला। किसी खिलाड़ी को टिकने नहीं दिया। 50 ओवर भी पूरे नहीं खेलने दिए। न्यूजीलैंड ही नहीं भारत, पाकिस्तान ही नहीं भारत, पाकिस्तान की रणनीति भी ध्वस्त हो गई। इसीलिए तीनों मैचों में ऑस्टे्रलिया के खिलाफ कोई भी टीम हावी होती नहीं दिखी। मैक्सवेल और जॉनसन ने कुल 17 गेंदें खेलकर सेमीफाइनल में भारत के खिलाफ जो 50 रन बनाए वे ही भारत पर भारी पड़े। भारत की बैटिंग को पाकिस्तान की बॉलिंग को और न्यूजीलैंड की आक्रामक खेल शैली को कंगारुओं ने ध्वस्त कर दिया। बाकी टीमों का प्रदर्शन ऑस्टे्रलिया से मीलों पीछे था। इसे देखकर लगता है कि वे अपनी जीत की लय बनाए रखने में पारंगत हैं। भारत के साथ भी सेमीफाइनल में ऑस्टे्रलिया ने यही माइंड गेम खेला था। कहा जा रहा है कि टॉस हारना भारत पर भारी पड़ा लेकिन ऑस्टे्रलिया पहले बल्लेबाजी करे या बाद में वे जीतना जानते हैं। ऑस्टे्रलिया के खिलाफ बड़ा लक्ष्य बनाना आसान नहीं है। उनकी गेेंंदबाजी दुनिया में सबसे सटीक है। हर मैच को ऑस्टे्रलिया फाइनल की ही तरह खेलता है इसीलिए लीग मैच से लेकर क्वाटर फाइनल तक अविजित रहे भारत और फाइनल तक बिना हारे पहुंचे न्यूजीलैंड को हार का स्वाद चखा दिया। पहली बार अपनी ही धरती पर कंगारुओं ने विश्वकप जीता।
इस टूर्नामेंट की सबसे दुर्भाग्यशाली टीम दक्षिण अफ्रीका को ही कहा जाएगा। लीग मैचों में भारत और पाकिस्तान ने उसे पराजित किया लेकिन सेमीफाइनल में वह मौसम से हार गई। यदि उस दिन वर्षा के कारण मैच घटकर 43 ओवर का नहीं होता तो फाइनल का परिणाम भी बदल सकता था, दक्षिण अफ्रीका बेहतरीन खेलने के बावजूद इंग्लैंड की तरह विश्वकप से दूर रहने के लिए अभिशप्त है। यह सच है कि इंग्लैंड से कहीं बेहतर खिलाड़ी और विश्वस्तरीय प्रदर्शन करने की क्षमता दक्षिण अफ्रीका के पास है लेकिन टूर्नामेंटों में उसका भाग्य साथ नहीं देता। डीविलियर्स ने कुछ लाजवाब पारियां खेलीं, सेमीफाइनल में भी वे बेहतरीन खेले पर भाग्य उनके खिलाफ न था।
यह विश्वकप कई मायने में अविस्मरणीय है। इसमें सबसे ज्यादा रन बने। सबसे ज्यादा छक्के लगे। दो खिलाडिय़ों क्रिस गेल और गुप्टिल ने दोहरा शतक लगाया। तीन बार 400 का आंकड़ा टीमों ने पार किया। दो बार गेंद स्टम्प से टकराई लेकिन गिल्लियां नहीं गिरीं और बल्लेबाज बच गए। पाकिस्तान तथा बांग्लादेश जैसे देशों ने भारत से पराजय के बाद अंपायरिंग का रोना रोया। बांग्लादेश ने इंग्लैंड को पराजित कर पहली बार क्वार्टर फाइनल खेलने का गौरव हासिल किया।  इंग्लैंड की पहले दौर में पराजय इस विश्वकप का सबसे बड़ा और एकमात्र उलटफेर है। आयरलैंड को इस विश्वकप की खोज कहा जा सकता है। आयरलैंड ने फील्डिंग, बॉलिंग और बेंटिंग में बेहतरीन खेल का मुजाहिरा किया। विश्वकप में भाग लेने वाली अन्य टीमें उतना बढिय़ा नहीं खेल सकीं। वेस्टइंडीज और पाकिस्तान का प्रदर्शन भी आशा के अनुरूप नहीं था। श्रीलंका के संगकारा ने 4 शतक अवश्य लगाए लेकिन क्वार्टर फाइनल में दक्षिण अफ्रीका के आगे नहीं टिक सके। सेमीफाइनल मेंं जो टीमें पहुंची वे वहां तक पहुंचने की हकदार थीं। ऑस्टे्रलिया, भारत, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका ने विश्वकप में लगातार बेहतरीन प्रदर्शन किया। भारत का प्रदर्शन इस दृष्टि से भी उल्लेखनीय है कि इससे पहले ऑस्टे्रलिया में टेस्ट मैच और त्रिकोणीय श्रंखला में भारत पराजित हो चुका था। लेकिन विश्वकप में भारत की टीम लय में लौट आई। पाकिस्तान, वेस्टइंडीज और दक्षिण अफ्रीका को भारत ने आसानी से हरा दिया। फील्डिंग, बॉलिंग और बैंटिंग तीनों लाजवाब थे। शिखर धवन, सुरेश रैना और विराट कोहली शतक लगा चुके थे। कप्तान धोनी क्वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल में मौके पर अच्छा खेले लेकिन कुछ कमियां भी थीं। ऑल राउन्डर के रूप में रवीन्द्र जडेजा उतने प्रभावशाली साबित नहीं हुए। उनकी जगह युवराज सिंह ज्यादा काबिल सिद्ध हो सकते थे। गेंदबाजी ठीक-ठाक रही। क्वार्टर फाइनल तक गेंदबाजों का प्रदर्शन बेहतरीन था। सेमीफाइनल में शुरुआती विकेट जल्द लेने के बावजूद भारत ने ऑस्ट्रेलिया को एक बड़ी साझेदारी बनाने का मौका दिया, जो खतरनाक साबित हुई। उमेश यादव ने विकेट अवश्य लिए लेकिन उनकी गेंदबाजी को प्रभावी नहीं कहा जा सकती। जिस तरह उनकी धुनाई हुई उससे विकेट लेने की मेहनत पर एक तरह से पानी ही फिर गया। यादव और मोहित शर्मा थोड़ी किफायती गेंदबाजी करते तो ऑस्टे्रलिया को 280-290 के करीब रोका जा सकता था।

कुछ विवाद जो याद रहेंगे
विश्वकप 2015 के कुछ विवाद हमेशा याद रखे जाएंगे। जो टूर्नामेंट की शुरुआत से ही दुखदायी बने रहे। ऑस्टे्रलिया और इंग्लैंड के लीग मैच में जब युवा बल्लेबाज जेम्स टेलर 98 पर थे, उसी समय जोश हेजलवुड की एक गेंद उनके पेड से टकराई और अंपायर ने उंगली उठा दी। हेेजलवुड ने रिव्यू लिया लेकिन दूसरे छोर से जेम्स एंडरसन रन के लिए दौड़ पड़े और मैक्सवेल ने बेहतरीन थ्रो कर उनकी गिल्ली बिखेर दी। उधर रिव्यू में पता चला कि जेम्स टेलर नॉट आउट थे। इस प्रकार शतक से चूक गए।
पाकिस्तान के सितारे गर्दिश में थे, लेकिन टीम के साथ गए स्टॉफ को मौज-मस्ती से फुर्सत नहीं थी। पाकिस्तान के चीफ सिलेक्टर मोईन खान जब एक जुंआ घर में पाए गए तो उन्हें वापस लौटना पड़ा। पाकिस्तान भारत से हार गया था और वेस्टइंडीज के साथ उसका महत्वपूर्ण मैच था लेकिन मोईन जुएं घर में अपने दोस्तों के साथ डिनर कर रहे थे। विवाद से भारत भी अछूता नहीं रहा। विराट कोहली ने एक खेल रिपोर्टर को लगातार गालियां दीं, जिसके चलते कोहली को टीम प्रबंधन ने चेतावनी भी दी। हालांकि बाद में कोहली ने माफी मांग ली। बताया जाता है
कि उस रिपोर्टर ने कोहली के खिलाफ कुछ लिखा था।
टेनिस खिलाड़ी भी विवाद में बने रहे। रोजर फेडरर ने भारत-पाकिस्तान मैच से पहले भारत की विश्वकप जर्सी के साथ एक फोटो सोशल मीडिया पर डाली, जिसके बाद विवाद हुआ। हालांकि फेडरर ने साफ किया कि उन्होंने कुछ समय भारतीय टीम के साथ बिताया था उसी दौरान उन्हें यह जर्सी दी गई थी।
जिम्बाम्वे इस विश्वकप में दुर्भाग्य का शिकार रहा। आयरलैंड के साथ मैच के दौरान जॉन मूनी ने सीन विलियम्स का कैच बाउन्ड्री पर पकड़ा। रीप्ले में पता चला कि उनका पैर हलका सा रोप से टकराता सा प्रतीत हो रहा है। सन्देह का लाभ बल्लेबाज को मिलना था पर उन्हें आउट दे दिया गया और जिम्बाम्वे यह मैच मामूली अन्तर से हार गया।

एक मैच में सर्वाधिक विकेट
प्लेयर    टीम    ओवर    विकेट    रन    मेडिन    औसत    विरुद्ध
टिम साउदी    न्यूजीलैंड    ९.०    ७    ३३    -    ३.६७    इंग्लैंड
मिचेल स्टार्स    आस्ट्रेलिया    ९.०    ६    २८    -    ३.११    न्यूजीलैंड
ट्रेंट बोल्ट    न्यूजीलैंड    १०.०    ५    २७    ३    २.७०    आस्ट्रेलिया
मिचेल मार्स    आस्ट्रेलिया    ९.०    ५    ३३    -    ३.६७    इंग्लैंड
इमरान ताहिर    साउथ अफ्रीका    १०.०    ५    ४५    २    ४.५०    वेस्टइंडीज
सोहिल खान    पाकिस्तान    १०.०    ५    ५५    -    ५.५०    इंडिया
स्टेविन फिन    इंग्लैंड    १०.०    ५    ७१    -    ७.१०    आस्ट्रेलिया
मिचेल स्टार्स    आस्ट्रेलिया    ४.४    ४    १४    १    ३.१८    स्कोटलैंड
डेनियल विटोरी    न्यूजीलैंड    १०.०    ४    १८    ४    १.८०    अफगानिस्तान
कयेल अबोट    साउथ अफ्रीका    ८.०    ४    २१    -    २.६२    आयरलैंड
सर्वाधिक शतक मारने वाले 
प्लेयर    टीम    मैच    इनिंग    १००स्    रन    हाईएस्ट
कुमार संगाकारा    श्रीलंका    ७    ७    ४    ५४१    १२४
मार्थिन गुप्टिल    न्यूजीलैंड    ९    ९    २    ५४७    २३७
ब्रडेन टेलर    जिम्बाब्वे    ६    ६    २    ४३३    १३८
शिखर धवन    इंडिया    ८    ८    २    ४१२    १३७
तिलकरत्ने दिलशान    श्रीलंका    ७    ७    २    ३९५    १६१
मेहमदुल्लाह    बांग्लादेश    ६    ६    २    ३६५    १२८
एबी डिवीलियर्स    साउथ अफ्रीका    ८    ७    १    ४८२    १६२
स्टीवन स्मिथ    आस्ट्रेलिया    ८    ७    १    ४०२    १०५
फाफ डूप्लेसिस    साउथ अफ्रीका    ७    ७    १    ३८०    १०९
डेविड वार्नर    आस्ट्रेलिया    ८    ८    १    ३४५    १७८

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