उद्योग लगाना आम आदमी के लिए संभव हो
18-Mar-2015 01:19 PM 1234822

मध्यप्रदेश में आम आदमी भी उद्योग लगा सकें ऐसा वातावरण तैयार करना जरूरी है। मध्यप्रदेश के शिवराज सिंह चौहान तो ऐसा ही विचार रखते हैं लेकिन इसके लिए कार्य करने का माहौल बदलना होगा। उद्योग लगाना प्रदेश की सेवा है। इस सोच के साथ आगे बढऩे की जरूरत है। चौहान ने प्रशासन अकादमी में सहजता से व्यवसाय (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) कार्यशाला में यह मंशा व्यक्त की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने व्यवसाय के अनुकूल देशों की सूची में भारत को 50 वें नम्बर पर लाने का संकल्प लिया है। उनके संकल्प को पूरा करने मेें मध्यप्रदेश देश का अव्वल राज्य बने, इन प्रयासों की निरंतरता जारी रहेगी। कार्यशाला में उद्योग प्रतिनिधियों से शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश विकास दर में देश के सभी बड़े राज्यों की तुलना में प्रथम स्थान पर है। प्रति व्यक्ति आय वृद्धि की दर भी देश में सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश में है। कृषि के क्षेत्र में प्रदेश ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। प्रदेश की कृषि विकास दर देश में ही नहीं दुनिया में सर्वाधिक है। अब खेती के साथ हमारा ध्यान उद्योगों में निवेश बढ़ाने पर है। प्रदेश की समृद्धि के लिए औद्योगिक विकास आवश्यक है। पिछले दिनों इंदौर में हुई ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के बेहतर परिणाम मिले हैं। मध्यप्रदेश देश और दुनिया में इन्वेस्टमेंट के सबसे अच्छे डेस्टिनेशन के रूप में उभरा है। प्रदेश में उद्योग जगत का विश्वास बढ़ा है। प्रदेश मेें उद्योगों के लिए सिंगल डोर पॉलिसी लागू की गई है। प्रक्रियाओं का सरलीकरण और श्रम कानूनों में सुधार किया गया है। प्रदेश में स्व-घोषणा की व्यवस्था भी लागू की गई है। बावजूद इसके अभी सुधार की बड़ी गुंजाइश है। प्रति सोमवार को उद्योगपतियों से भेंट के दौरान कई ऐसे मसले, समस्याएं सामने आती हैं जिनका निराकरण सरलता से प्रशासनिक स्तर पर किया जा सकता है।
जन-आंदोलन जरूरी
मध्यप्रदेश ऊर्जा एवं जनसंपर्क मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा है कि सामाजिक परिवेश में विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण का मुद्दा हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है। शुक्ल ने पर्यावरण संरक्षण विशेष रूप से नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए जन-आंदोलन का रूप दिए जाने की आवश्यकता बताई। जन अभियान परिषद द्वारा टिकाऊ खेती के माध्यम से नर्मदा नदी के संरक्षण में स्वैच्छिक संगठनों की भूमिकाÓ विषय पर एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला में प्रख्यात पर्यावरणविद्, जल संरक्षण विशेषज्ञ एवं मेग साय साय पुरस्कार प्राप्त राजेन्द्र सिंह ने कहा कि नदियों का संरक्षण भारत की प्राचीन परंपरा का प्रमुख आधार रहा है। भारत में जब तक नीर, नारी और नदी का सम्मान हुआ है तब तक भारत की पहचान विश्व गुरु के रूप में होती रही है। उन्होंने कहा कि नर्मदा नदी के कारण मध्यप्रदेश की पहचान सारे देश में प्राकृतिक रूप से सम्पन्न राज्यों के रूप में होती है। प्रत्येक प्रदेशवासी को यह संकल्प लेना होगा कि वे नर्मदा नदी के साथ-साथ अन्य नदियों में गंदे प्रवाहों को जाने से राकेंगे। ऐसा होने पर ही प्रदेश की नदियां साफ-सुथरी और संरक्षित होंगी। उन्होंने विकास के नाम पर नदियों पर बनाए जाने वाले बड़े बांधों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि हमें नदियों के प्राकृतिक विज्ञान को समझना होगा। यदि हम प्रकृति के साथ मिलकर विकास करेंगे, तो यह विकास विनाश रहित दीर्घकालिक होगा। सिंह ने समाज को जागरूक तथा संगठित होकर नदियों के संरक्षण के लिए काम करने की जरूरत बताई। नदियों को पुनर्जीवित करने में सरकार, समाज तथा संतों की भूमिका भी प्रतिपादित की। 
ग्वालियर में बनेगा टेक्सटाइल जोन
ग्वालियर में विश्व-स्तरीय एकीकृत टेक्सटाइल परिधान जोन दिसंबर 2016 तक बनकर तैयार हो जायेगा। करीब 200 एकड़ में बनने वाले इस परिधान जोन के निर्माण में 1000 करोड़ रुपये का निवेश होगा। जोन से 30 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा। महिलाओं के लिये भी रोजगार के अवसर मिलेंगे। इस जोन के निर्माण में विभिन्न कंपनियाँ शामिल हैं। इस परिधान जोन ग्रे फेब्रिक, टेक्निकल टेक्सटाइल, होम फर्नीशिंग, यार्न डाईंग फेब्रिक बनेंगे। जोन में 75 एकड़ में फेक्ट्री बिल्डिंग बनेगी, 15 एकड़ में आटोमेशन इकाई और रहवासी सुविधाएँ होंगी। साथ ही 115 एकड़ में फाइबर फिनिशिंग और अपशिष्ट उपचार प्लांट बनेगा। इस जोन के निर्माण में विश्व में पहली बार अत्याधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल होगा। पल्लव ग्रुप कोयंबटूर, थेनी गुरु टेक्सटाइल, स्मिता समूह, प्रिया एक्सपोर्ट, प्रकाश कोटेक्स इंडिया, एरोकाट स्पिनर्स, पेरीयूर अम्मान स्पिनिंग, असाही फिल्टर्स लिमिटेड, एल.एम.पी. वीवर्स, गोथम टेक्सटाइल, बालाविगना वीविंग मिल्स पार्क मिलकर इस परिधान जोन का निर्माण करेंगे।
ढाई लाख बुजुर्गों ने की तीर्थ-यात्रा
मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना मेें अब तक प्रदेश ढाई लाख बुजुर्गों को तीर्थ-यात्रा करवाई जा चुकी है। यह योजना इतनी सफल है कि राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड इसे अपना चुके हैं। अब महाराष्ट्र में भी इसे लागू किया जा रहा है। अयोध्या, मथुरा, प्रयाग, गंगासागर, सेंट थॉमस चर्च केरल और संत कबीर के जन्म-स्थान लहरतारा को भी शामिल किया गया है। प्रदेश सरकार ने कैलाश मानसरोवर की यात्रा का प्रति यात्री अनुदान 30 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपए करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना में नि:शक्त जनों के लिए उम्र का बंधन शिथिल करने का निर्णय भी लिया गया है। प्रत्येक यात्रा में एक राजपत्रित अधिकारी को साथ में भेजा जा रहा है। योजना में अब तक 249 टे्रन से यात्रियों को तीर्थ-यात्रा पर भेजा गया है। हर यात्रा के बाद यात्रियों से यात्रा संबंधी फीड बेक लिया जाता है।

चलित आंगनवाड़ी जुगनू का शुभांरभ
प्रदेश की पहली चलित आँगनवाड़ी जुगनू का इंदौर में महिला-बाल विकास मंत्री माया सिंह ने शुभारंभ किया। इस पहल पर उन्होंने कहा कि बच्चों को सुपोषित आहार उपलब्ध करवाने में इस पायलट प्रोजेक्ट के बेहतर परिणाम सामने आए, तो इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा। बच्चों को उनके घर के समीप पोषण आहार उपलब्ध करवाने के लिए इंदौर जिले मेंं प्रदेश की पहली चलित आँगनवाड़ी शुरू की गई है। इसके जरिए सप्ताह में 6 दिन अस्थाई बस्तियों में इस चलित आँगनवाड़ी के जरिए पूरक पोषण आहार, बच्चों का नियमित वजन, उनके पोषण श्रेणी का चिन्हांकन, खान-पान एवं नियमित साफ-सफाई की समझाइश परिजनों को देने के साथ ही किशोरियों को व्यक्तिगत स्वच्छता, स्वास्थ्य एवं पोषण आहार की शिक्षा भी दी जाएगी। चलित आँगनवाड़ी गर्भवतियों की नियमित जाँच, सम्पूर्ण टीकाकरण, शाला पूर्व शिक्षा के लिए खेल-खेल में शिक्षा का जागरूकता अभियान संचालित करेगी।
-राजेश बोरकर

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