मनमोहन को समन, कांगे्रस खफा
18-Mar-2015 10:02 AM 1234776

कोयला घोटाले में मनमोहन सिंह को समन भेजे जाने के बाद कांग्रेस नाराज नजर आ रही है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में कुछ कांगे्रेसियों ने मनमोहन सिंह के

घर पर मार्च भी किया। यह कदम मनमोहन सिंह के प्रति पार्टी की एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए उठाया गया लेकिन सोनिया गांधी को छोड़कर किसी ने भी मनमोहन सिंह के साथ खड़े होने की दृढ़ता नहीं दिखाई। मनमोहन सिंह फिलहाल कांग्रेस का समर्थन पाकर आश्वस्त हैं, लेकिन पार्टी के बड़े नेता खुलकर कुछ नहीं कह रहे हैं। कपिल सिब्बल का कहना है कि कानून की अपनी प्रक्रिया है जिसका सम्मान किया जाना चाहिए। सुरजे वाला ने अवश्य यह कहा है कि समन जारी होने मात्र से कोई दोषी नहीं हो जाता। कांग्रेस ने बड़े-बड़े वकीलों की पूरी टीम मनमोहन सिंह को सुरक्षित करने के लिए लगा दी है। क्योंकि मनमोहन को सजा हुई तो कांगे्रस भी कटघरे में खड़ी हो जाएगी। इस घोटाले में सिंह के अलावा भी कई नाम हैं। भारतीय जनता पार्टी के नेता प्रकाश जावडेकर का कहना था कि मनमोहन सिंह को कांग्रेस के पापÓ की कीमत चुकानी पड़ रही है। जावडेकर का कहना था कि जो राजनीतिक दल कांग्रेस के साथ खड़े नजर आ रहे हैं उन्हें भी आत्ममंथन करना चाहिए। उन्होंने कहा, यह कांग्रेस का घोटाला है और कांग्रेस के पापों के कारण अर्थशास्त्री व पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इसका सामना करना पड़ रहा है। जावड़ेकर भले ही इसे कांगे्रस द्वारा किए गए भ्रष्टाचार से जोड़कर देख रहे हों, लेकिन कांग्रेस मनमोहन सिंह को आरोपी नहीं मानती। इसलिए कपिल सिब्बल और राज्यसभा सांसद केटीएस तुलसी को तैनात किया गया है। सुनने में आया है कि मनमोहन सिंह निचली अदालत के समन के खिलाफ कभी भी सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं। मशहूर वकील और भाजपा से जुड़े रहे राम जेठमलानी ने तो साफ कह दिया है कि मनमोहन सिंह की ईमानदारी पर शक करने की कोई वजह नहीं हो सकती। कांग्रेस के पास सलमान खुर्शीद, पी. चिदम्बरम, अश्विनी कुमार और मनीष तिवारी जैसे वकील हैं। लेकिन मनमोहन सिंह भले ही बच जाएं, किन्तु जिस तरह मोदी सरकार ने कोयला ब्लॉक की नीलामी से अपना खजाना भरा है। उसके चलते कांग्रेस की बहुत किरकिरी हुई है। इसीलिए सदन में कांग्रेस आक्रामक है। लेकिन निचली अदालत के समन को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना कांग्रेस के लिए मामूली बात नहीं है। संयोग यह है कि नरसिंहाराव के बाद मनमोहन सिंह दूसरे पूर्व प्रधानमंत्री हैं जिन्हें आरोपित किया गया है। मनमोहन सिंह के खिलाफ लगे आरोप इसलिए भी गंभीर है क्योंकि विपक्ष यह कहता आया है कि मनमोहन सिंह अपने विवेक से काम नहीं करते थे। यदि वे अपने हिसाब से काम करते होते तो यह घोटाला नहीं होता। विभिन्न मुद्दों पर बंटी कांगे्रस ने इस एक मुद्दे पर एकजुटता दिखाई है। मनमोहन सिंह का कहना है कि वे भी चाहते है कि सच सामने आ जाए। 
एक तरफ कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कोर्ट में तलब किया गया है और दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट से रद्द हुई 204 खदानों में से सिर्फ 32 खदानों की नीलामी से 2.7 करोड़ रुपए की आमदनी हो चुकी है। इससे साफ पता चलता है कि कैग ने जो रिपोर्ट कोयला घोटाले के मामले में सौंपी थी वह अतिश्योक्ति नहीं थी, बल्कि यह भारत के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला था। कैग ने तो 1.86 लाख करोड़ के नुकसान का ही अनुमान लगाया था लेकिन नुकसान तो बड़ा था। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मात्र 32 कोयला खदानों के ई-ऑक्सन से जो राशि मिली है, वह कैग द्वारा अनुमानित घोटाले से भी 21 हजार करोड़ रुपए ज्यादा है और अभी तो 172 खदानों की नीलामी बची हुई है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष दिसंबर माह में जिन 214 खदानों के आवंटन रद्द किए थे, उनमें से 204 की नीलामी होनी है। अनुमान लगाया जा सकता है कि बाकी बची खदानों की नीलामी से भी राज्य सरकार मालामाल हो जाएंगी। जाहिर है जिन राज्यों के पास कोयला है उनकी आर्थिक सेहत सुधरेगी और देशवासियों को भी सस्ती बिजली मिलेगी। इससे बिजली कंपनियों को 97 हजार करोड़ रुपए का फायदा होने का अनुमान है। पहले कभी कहा जाता था कि भारत एक ऐसा अमीर देश है जिसके निवासी गरीब हैं। आज यह सिद्ध भी हो गया। जिस देश के पास मात्र 32 कोयला खदानों की नीलामी से 2.7 लाख करोड़ रुपए कमाने की ताकत हो, वह गरीब कैसे कहला सकता है? संसाधन तो बहुत हैं, लेकिन सरकारें उन संसाधनों को गरीबों के कल्याण में लगाने में असफल रही हैं। इसी कारण वर्ष दर वर्ष घोटाले बढ़ते चले गए और सरकारें संसाधनों का रोना रोते हुए गरीबों के पेट पर लात मारने लगी। आज कोल ब्लॉक से ही इतनी आमदनी हो चुकी है कि सरकार किसी भी विकास योजना या सब्सिडी के लिए रोना नहीं रो सकती। सरकार का खजाना भरा हुआ है। टू-जी और थ्री-जी स्पैक्ट्रम की नीलामी से भी 95 हजार करोड़ रुपए की आमदनी हो चुकी है, जो आगामी दिनों में और बढ़ेगी। क्योंकि स्पैक्ट्रम 20 वर्ष की अवधि के लिए नीलाम किए जाते हैं, इसके बाद उनकी पुन: नीलामी होती है।
ज्ञात रहे कि टू-जी और कोयला घोटाले के सामने आने के बाद यूपीए सरकार की नींव हिल गई थी। यूपीए के मंत्रियोंं ने जेल की हवा भी खाई और सरकार के कई सहयोगी दलों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। कांग्रेस के बड़े नेता और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी इस भ्रष्टाचार की अनदेखी के कारण सवालों के घेरे में आए। अब पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को हिंडाल्को प्रकरण में समन जारी किया गया है। उन पर आरोप है कि जब कोयला मंत्रालय उनके पास था, तो हिंडाल्को जैसे बड़े व्यापारिक घरानों को बिना किसी पारदर्शी प्रक्रिया के कोल ब्लाूॅक को आवंटित कर दिया गया था। पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ जो आरोप हैं, उनमें आपराधिक षड्यंत्र, भ्रष्टाचार और जनता के साथ विश्वासघात प्रमुख है। अदालत ने हिंडाल्को के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला तथा पूर्व कोयला सचिव पी.सी. पारख सहित 6 लोगों के विरुद्ध समन जारी किए हैं। इन्हें 8 अपै्रल को अदालत के समक्ष प्रस्तुत होना है। वर्ष 2005 में हिंडाल्को को तलबारिया ब्लॉक में कोल फील्ड आवंटित करने के मामले में सीबीआई ने मनमोहन सिंह से पूछताछ की थी, उस वक्त मनमोहन सिंह के पास कायेला मंत्रालय का प्रभार था। आदित्य बिड़ला समूह की कंपनी हिंडाल्को को पहले तो वह कोयला खदान देने से इनकार कर दिया गया था, जो हिंडाल्को मांग रही थी। लेकिन बाद में निर्णय बदल दिया गया, यहीं से संदेह व्यक्त किया जाने लगा। हिंडाल्को ने खदान हासिल करने के लिए किसी भी प्रकार की गड़बड़ी से इनकार किया था। वर्ष 2013 में प्रधानमंत्री ने भी हिंडाल्को को खदान आवंटित करने की प्रक्रिया को उचित बताया था, लेकिन इसके बाद जब कैग की रिपोर्ट में यह साफ हो गया कि खदानों के आवंटन में लाखों करोड़ रुपए की हेरा-फेरी हुई है तो सुप्रीम कोर्ट ने गत वर्ष 214 खदानों का आवंटन रद्द कर दिया था। इन खदानों को अब ऑन लाइन नीलाम किया जा रहा है। इसके अलावा जिंदल और बाल्को को मिले कोल ब्लॉक सहित अन्य 3 कोल ब्लॉक भी नीलामी पर चढ़ाए जा सकते हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि नई नीलामी से मिले धन ने यह सिद्ध किया है कि यूपीए सरकार के दौरान 200 कोल ब्लॉक के आवंटन में गड़बडिय़ां हुई थीं, जो कि कैग के अनुमान से भी कहीं अधिक थीं। यूपीए सरकार के समय जब यह भ्रष्टाचार उजागर हुआ था तो किसी जिम्मेदार मंंत्री ने कहा था कि कैग को तो बिंदियां लगाने की आदत है, कैग भ्रष्टाचार के आरोप अनुमान से लगा रहा है। लेकिन अब यह कथन गलत साबित हो चुका है। यदि कैग इस मामले की और गहराई से पड़ताल करता तो घोटाले की रकम का आंकलन कई गुना बढ़ जाता।
किस राज्य को कितनी कमाई
दूसरे चरण की कोल ब्लॉक नीलामी से सबसे ज्यादा फायदा झारखंड को होगा। इसके बाद उड़ीसा और छत्तीसगढ़ का नंबर है। कोयला सचिव अनिल स्वरूप का कहना है कि पहले और दूसरे चरण के आवंटन से हुई कमाई उम्मीद से कहीं ज्यादा है। इस नीलामी से प्राप्त पूरा राजस्व राज्यों को जाएगा। इसमें से एक रुपया भी केंद्र के पास नहीं आने वाला। हमने राज्यों के लिए कड़ी मेहनत की है।

 

राज्य राजस्व (करोड़ रुपये में )
झारखंड     36570
उड़ीसा     28249
छत्तीसगढ़     10375
मध्य प्रदेश     2472
महाराष्ट्र     679

स्पैक्ट्रम ने भी किया मालामाल
सरकार को स्पेक्ट्रम नीलामी के छठे दिन की समाप्ति तक दूरसंचार कंपनियों की ओर से 94,000 करोड़ रुपये की बोलियां प्राप्त हो चुकी हैं। ये बोलियां सभी बैंड्स के स्पेक्ट्रम के हैं. वर्तमान में, अस्थायी तौर पर जीते गए स्पेक्ट्रम के संदर्भ में बोली लगाने वालों की ओर से करीब 94,000 करोड़ रुपये की बोलियां लगाई गई हैं.  सात दौर की बोलियां लगाई गईं और अभी तक 31 दौर की बोलियां लगाई जा चुकी हैं। सरकार ने 2जी और 3जी स्पेक्ट्रम की नीलामी से कम से कम 82,000 करोड़ रुपये राजस्व हासिल करने का लक्ष्य पार कर लिया।
यदि इसी तेजी के साथ बोली लगना जारी रहता है तो सरकार को स्पेक्ट्रम की बिक्री से एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की राजस्व प्राप्ति हो सकती है। सरकार के मुताबिक 83 फीसदी स्पेक्ट्रम कंपनियों को अलॉट किए जा चुके हैं। 4जी क्षमता वाले 900 मेगाहर्ट्ज बैंड के स्पेक्ट्रम की सबसे ज्यादा मांग है। वहीं 2 नए सर्विस एरिया में 1800 मेगाहर्ट्ज बैंड के स्पेक्ट्रम की मांग है।

शिवराज सिंह जांच की जद में
व्यापमं मामले की सीबीआई जांच शुरू नहीं हुई लेकिन कोल ब्लॉक घोटाले की जांच कर रही सीबीआई की टीम ने अंबानी की सिफारिश के मामले में शिवराज सिंह को जांच की जद में लिया है। इस संदर्भ में सीबीआई ने मप्र के मंत्रालय में छापामार कार्रवाई कर खनिज संसाधन विभाग का रिकार्ड जब्त किया है। इस रिकार्ड में वो चि_ी भी है जो शिवराज सिंह चौहान ने अंबानी की सिफारिश के लिए लिखी थी। सीबीआई का जांच दल एए सिद्दीकी के नेतृत्व में मंत्रालय पहुंचा था। बताया जाता है अंबानी के पक्ष में कोलब्लॉक आवंटन की सिफारिश राज्य में बिजली उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से सीएम ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को की थी। आवंटन अनिल धीरूभाई अंबानी की कंपनी को चितरंगी कोल ब्लॉक के अतिरिक्त कोयले का होना था। केंद्र ने सिफारिश मानी तो नहीं, लेकिन सीबीआई ने मामले को जांच में ले लिया। सीएम का पत्र 2 नवंबर 2007 को लिखा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में 214 कोल ब्लॉक का आवंटन निरस्त कर पूरी प्रक्रिया पर ही उंगली उठाई थी। इससे पहले नियंत्रक एवं महालेखाकार (सीएजी) निवोद राय ने भी आवंटन को गलत बताया था। सीबीआई की टीम गुरुवार को खनिज विभाग में पहुंची तो हड़कंप मच गया। वहां से फाइल की जब्ती बनाकर सीबीआई टीम तो सतना रवाना हो गई। सूत्रों के अनुसार सीबीआई ने जो फाईल जब्त की, उसमें सीएम के पत्र की मूल कॉपी के अलावा एक नोटशीट लगी है।

राज्यों को 30 साल में 4 लाख करोड़ के राजस्व की उम्मीद
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, अगले 30 साल के दौरान 204 कोल ब्लॉक की नीलामी से राज्यों को 4 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई हो सकती है। लेकिन जिस तरह सिर्फ 32 खदानों से ही 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा कमाई हुई है, उससे देखते हुए चार लाख करोड़ रुपये का अनुमान भी कमतर साबित हो सकता है। इस तरह कोयला खदानों की ऑनलाइन नीलामी के जरिए पश्चिमी भारत के राज्यों की लॉटरी लग सकती है।
-दिल्ली से सुनील सिंह

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