ग्रामोद्योग उत्पादों के उपयोग का आव्हान
04-Mar-2015 12:09 PM 1234748

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कुटीर एवं ग्रामोद्योग उत्पादों का अधिक से अधिक उपयोग करने का आव्हान किया है। उन्होंने कहा है कि इससे ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार तो बढ़ेगा ही बिना किसी दुष्प्रभाव के शुद्ध एवं प्रामाणिक उत्पाद भी मिलेंगे। चौहान ने गौहर महल में कबीर और विश्वकर्मा पुरस्कार वितरित करते हुए कहा कि ग्रामोद्योग उत्पादों की मार्केटिंग के साथ ही उनके उपयोग को बढ़ावा देने के सभी संभव प्रयास किये जायें। खादी वस्त्रों की ब्रांड कबीरा का मुख्यमंत्री स्वयं प्रचार करेंगे। शासकीय कार्यक्रमों में पेकेज्ड जल में विंध्या वेली के जल का ही उपयोग किया जाएगा। बुनकर पंचायत बुलाकर बुनकरों के सहायोग और समस्याओं के समाधान की रीति-नीति बनाई जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण सुधार, वनों की सुरक्षा और विकास में संतुलन जरूरी है। मध्यप्रदेश में आज भी 30 प्रतिशत क्षेत्र में वन हैं। वन बचाने वाले राज्यों को पुरस्कृत और प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। मध्यप्रदेश में वनांचल निवासियों को वनों के लाभ से जोडऩे के सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। चौहान ने भोपाल में आयोजित केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के दो दिवसीय कार्यक्रम में कहा कि पशु, पक्षी, कीट पतंग सहित सभी जड़-चेतन में वही चेतना  है, जो मानव मेंं है। विश्व में आज ग्लोबल वार्मिंग, पर्यावरण सुधार आदि पर चर्चाएं हो रही हैं जबकि हमारे ऋषि-मुनियों ने हजारों वर्ष पहले जल, वायु, चन्द्र, सूर्य, नदी, पर्वत, वनस्पति, पशु पर ध्यान दिया, उनकी पूजा की। इसका सार था कि यदि यह नहीं बचे तो मानव भी नहीं बचेगा। वर्तमान में प्रकृति के अंधाधुंध दोहन से भू-जल नीचे जा रहा है, नदियां सूख रही हैं। विकास के नाम पर खिलवाड़ किया गया। वन्य-प्राणियों के लिए भी जगह नहीं छोड़ी। वनों की बेतहाशा कटाई हुई। दुष्परिणाम यह है कि प्रकृति अपना चक्र बदल रही है। असमय वर्षा, ठंड, गर्मी हो रही है। प्राकृतिक आपदाएं आ रही हैं। चौहान ने कहा कि पिछले वर्ष प्राकृतिक आपदा से पीडि़त मध्यप्रदेश के किसानों को 3200 करोड़ रुपए बांटे गए।
तीसरी बार कृषि कर्मण पुरस्कार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 19 फरवरी को राजस्थान के श्री गंगानगर जिले के सूरतगढ़ में मध्यप्रदेश को कृषि कर्मण अवार्ड से पुरस्कृत किया। इस कार्यालय में मुख्यमंत्री जाने वाले थे किंतु वे नहीं जा सके। कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिये मध्यप्रदेश को लगातार तीसरी बार कृषि कर्मण पुरस्कार मिला है। पुरस्कार में ट्रॉफी, प्रशस्ति-पत्र और 2 करोड़ की राशि दी गई। मध्यप्रदेश को वर्ष 2011-12 तथा 2012-13 में सम्पूर्ण खाद्यान्न के लिये कृषि कर्मण पुरस्कार मिल चुका है। वर्ष 2013-14 में गेहूँ उत्पादन में देश में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये मध्यप्रदेश को यह पुरस्कार दिया गया है। कृषि के क्षेत्र में मध्यप्रदेश ने वर्ष 2011-12 में 19.85, वर्ष 2012-13 में 20.16 तथा वर्ष 2013-14 में 24.99 प्रतिशत (प्रावधानित) वृद्धि दर प्राप्त की है। मध्यप्रदेश में वर्ष 2013-14 में 174.78 लाख मीट्रिक टन गेहूँ का उत्पादन हुआ। गेहूँ की उत्पादकता में विगत वर्ष 20.15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मध्यप्रदेश द्वारा गेहूँ में उत्पादकता में विगत वर्ष 20.15 फीसदी की वृद्धि करते हुए प्रति हेक्टेयर औसत 29.76 क्विंटल गेहूँ का उत्पादन प्राप्त किया गया। मध्यप्रदेश में गेहूँ 57 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में लिया जाता है। प्रदेश में वर्ष 2014-15 में 200 लाख मीट्रिक टन गेहूँ उत्पादन का अनुमान है।
सर्वाधिक स्वच्छ एवं सुन्दर वार्ड होंगे पुरस्कृत
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने घोषणा की कि इंदौर नगर निगम क्षेत्र में सर्वाधिक स्वच्छ एवं सुन्दर वार्ड को पुरस्कृत किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने नगर में विभिन्न जगह पर सफाई कार्यक्रमों में भाग लिया। सबसे पहले एयरपोर्ट रोड स्थित पंचशील नगर पहुँचे। यहाँ उन्होंने कचरा उठाकर सफाई अभियान का शुभारंभ किया।

मत्स्य महासंघ ने दी 1.75 करोड़ की रॉयल्टी
मध्यप्रदेश मत्स्य महासंघ ने 1 करोड़ 75 लाख रॉयल्टी की राशि का चेक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भेंट किया है। पिछले साल भी इस संस्था ने 1 करोड़ 31 लाख की रायल्टी राशि का चेक भेंट किया था। उल्लेखनीय है कि सुनियोजित प्रयासों के फलस्वरूप पिछले साल मत्स्य-उत्पादन में 32 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई थी। वर्ष 2014-15 में 34 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है। मत्स्य-पालकों के लिए दुर्घटना बीमा योजना, मछुआ आवास योजना, जनश्री बीमा योजना, आजीविका सहयोग योजना, क्रेडिट कार्ड योजना, शिक्षा प्रोत्साहन, जनदीप जैसी कई अनूठी योजनाएं संचालित हैं।
ताल-तलैया और नदियों की रक्षा करने का संकल्प
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोगों से झील, ताल-तलैयों, नदियों और सभी प्रकार के जल स्त्रोतों की रक्षा करने, उन्हें साफ-सुथरा रखने और सुंदर बनाने का संकल्प लेने का आव्हान किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब विकास के साथ लोगों की प्रसन्न्ता का स्तर बढ़ाने की दिशा मेें आगे बढ़ेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि  भारत में जल की आराधना करने की परंपरा है। झीलें और नदियां मानव सभ्यता के विकास की साक्षी रही हैं। पानी से जुडऩे और इसे बचाने का काम जनता की भागीदारी के बिना नहीं हो सकता।

किसान भी हुए पुरस्कृत
प्रदेश के एक-एक महिला और पुरुष किसान को भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों कृषि कर्मण अवार्ड हासिल हुआ। इन्हें पुरस्कार के रूप में ट्राफी के साथ एक-एक लाख रुपये दिये गये। सम्मानित होने वाली महिला कृषक खंडवा जिले के केहलारी ग्राम की रेखा सैनी हैं। इन्होंने अपनी कुल 1.820 हेक्टेयर भूमि को आदर्श प्रक्षेत्र के रूप में विकसित किया है। इस रकबे में से कुल एक हेक्टेयर क्षेत्र ही सिंचित है, सैनी इस भूमि का प्रयोग अधिकतम उत्पादन के लिये करती हैं। पुरस्कार पाने वाले भोपाल के पास फंदा विकासखंड के ग्राम परवलिया सड़क के जैविक किसान मनोहर पाटीदार की कृषि विकास गतिविधियों में लगातार सक्रियता से अलग पहचान बनी है। मनोहर पाटीदार पुरातन पद्धति पर आधारित जैविक खेती के प्रयोग करने में भी अग्रणी हैं। पिछले वर्ष में पाटीदार ने अपने 2.279 हेक्टेयर रकबे में गेहूँ की जीडब्ल्यू 366 किस्म बोई जिसमें अनुशंसित उर्वरक की मात्रा के साथ गोबर की खाद का भी समुचित प्रयोग किया।
उत्कृष्ट नवाचार के लिए प्रदेश को राष्ट्रीय पुरस्कार
मध्यप्रदेश द्वारा एकीकृत जलग्रहण क्षेत्र प्रंबधन कार्यक्रम के परिणाममूलक क्रियान्वयन के लिए अपनाये जा रहे नवाचारों की सराहना करते हुए भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा 19 फरवरी, 2015 को नई दिल्ली में एक समारोह में प्रदेश को इस राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा । प्रदेश में वाटरशेड परियोजनाएं एकीकृत जलग्रहण क्षेत्र प्रबंधन कार्यक्रम में क्रियान्वित की जा रही हैं। कार्यक्रम का उद्देश्य वर्षा आधारित खेती वाले क्षेत्रों में जल संरक्षण, संवर्धन तथा मृदा संरक्षण का कार्य करना है, जिससे कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी कर संवहनीय ग्रामीण आजीविका सुनिश्चित की जा सके। वर्तमान में प्रदेश में 29.35 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 3522 करोड़ की परियोजनाएं संचालित हैं।
वाटरशेड प्रबंधन और भूमि विकास का राष्ट्रीय सम्मान
मध्यप्रदेश को वाटरशेड प्रबंधन और भूमि विकास कार्यों में प्रशंसनीय नवाचारों के लिये नई दिल्ली में राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा गया। केन्द्रीय पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी वीरेन्द्र सिंह ने गरिमापूर्ण समारोह में यह पुरस्कार प्रदान किया। उन्होंने मध्यप्रदेश के प्रयासों को अनुकरणीय बताते हुए अपनाये गये नवाचारों की प्रशंसा की। प्रदेश की ओर से संयुक्त आयुक्त ग्रामीण विकास श्री विकास दवे ने सम्मान को ग्रहण किया। उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में जलग्रहण क्षेत्र प्रबन्धन में परिणाममूलक कार्य के लिये रिमोट सेंसिंग आधारित कार्य-प्रणाली को श्रेष्ठ श्रेणी में रखते हुए केन्द्र ने बेस्ट प्रेक्टिसेस सम्मान दिया है। प्रदेश में कार्यक्रम में वर्षा आधारित खेती वाले क्षेत्रों में जल-संरक्षण, संवर्धन तथा मृदा-संरक्षण का कार्य किया जा रहा है ताकि कृषि उत्पादन में बढ़ोत्तरी कर संवहनीय ग्रामीण आजीविका सुनिश्चित की जा सके। वर्तमान में प्रदेश में 29 लाख 35 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में 3522 करोड़ लागत की परियोजनाएं संचालित हैं।
सूचना प्रौद्योगिकी में नवाचारों के लिये मध्यप्रदेश बधाई का पात्र
केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रकाश जावड़ेकर ने  वनों में स्थित गाँवों में काम करने वाले श्रमिकों को उन्हीं के गाँव में ऑनलाइन भुगतान और सूचना प्रौद्योगिकी में नवाचारों के लिये मध्यप्रदेश वन विभाग को बधाई दी। योजना की प्रशंसा करते हुए जावड़ेकर ने कहा कि यह योजना चलती रहेगी क्योंकि भारत में प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत साढ़े 12 करोड़ लोग के खाते खोले जा चुके हैं।
-विकास दुबे

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