04-Mar-2015 11:38 AM
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मध्यप्रदेश विधानसभा का बजट सत्र बहुत संक्षिप्त रहा। खानापूर्ति ही की गई। विपक्ष मुख्यमंत्री का बहिष्कार कर रहा था। विपक्षी सदन से बाहर थे। वे बजट जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा के लिए

प्रस्तुत नहीं थे। इसलिए सत्ता पक्ष ने भी एक तरह से विपक्ष का बहिष्कार करते हुए आनन-फानन में मध्यप्रदेश का एक लाख 31 हजार 199 करोड़ रुपए का बजट प्रस्तुत कर उसे पारित भी करा लिया। ऐसा पहली बार देखने में आया जब बिना किसी बहस के बजट पारित हो गया। विधानसभा भी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।
विपक्ष व्यापमं पर चर्चा के लिए अड़ा हुआ है। लेकिन साथ ही मुख्यमंत्री को सुनना भी नहीं चाहता। ऐसे में कोई बहस संभव ही नहीं थी। बेहतर होता यदि विपक्ष अपनी बात सदन में कहते। राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान भी पक्ष-विपक्ष में तीखी बहस चल रही थी। उस समय विपक्ष के तेवर देखकर साफ लग रहा था कि किसी तरह की गुंजाइश कम है। विधानसभा में केवल व्यापमं पर ही चर्चा के लिए दबाव बनाया जा रहा है। बजट तो महज एक औपचारिकता है। राज्यपाल ने भी स्वास्थ्य कारणों से बजट अपने अभिभाषण की कुछ लाइनें ही पढ़ीं। उधर स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि जब विपक्ष ने मुख्यमंत्री को बोलने नहीं दिया तो विपक्ष के विधायकों के सवालों का जवाब दें या न दें यह मंत्री ही तय करेंगे। इसीलिए कोई सार्थक बहस नहीं हो पाई। विधानसभा में कई महत्वपूर्ण विधेयक और मुद्दे थे पर कांग्रेस चर्चा करने के मूड में नहीं थी। किसानों की आत्महत्या पर अवश्य कांग्रेस ने थोड़ा हंगामा किया, लेकिन कोई अन्य मुद्दा सामने नहीं आया। संक्षिप्त बजट सत्र से कई सवाल पैदा हो रहे हैं। सरकार ने बीच में ही बजट सत्र क्यों समाप्त किया। क्या सरकार व्यापमं पर चर्चा से बचना चाह रही थी। मुख्यमंत्री का कहना है कि कांग्रेस उन्हीं पुराने आरोपों को लेकर आई है। सवाल यह भी है कि कांग्रेस सदन में बहस के लिए प्रस्तुत थी या नहीं।
बहरहाल कांग्रेस की गैर मौजूदगी में मध्यप्रदेश के वित्तमंत्री जयंत मलैया ने जो बजट प्रस्तुत किया है वह कोई क्रांतिकारी बजट नहीं कहा जा सकता। सरकार का खजाना खाली है इसलिए वित्त मंत्री पर यह दबाव था कि वे खजाना भरने की कोशिश करें पर राहत भरी खबर प्रदेश के बजट के 2 दिन बाद आई, जब केंद्रीय बजट में प्रदेशों को केंद्रीय कर में 10 प्रतिशत हिस्सा अधिक देने और नरेगा की राशि बढ़ाने की घोषणा की गई। लेकिन इन रियायतों से पहले ही मध्यप्रदेश का जो बजट तैयार हुआ उसे ज्यादा राहत भरा नहीं कहा जा सकता। सरकार ने मध्यम वर्ग और गरीबों के लिए कोई विशेष उपाय नहीं किए हैं। मध्यम वर्ग परेशान है। रसोई गैस, पेट्रोल, डीजल समेत तमाम वस्तुओं के दाम प्रदेश में अन्य राज्यों की अपेक्षा ज्यादा हैं। यदि बजट में डाइपर, बैटरी, खिलौने, साइकिल, किताबें, नोट बुक सस्ती हुई हैं तो इससे मध्यम वर्ग को उतनी राहत नहीं मिलेगी क्योंकि उन्हें सबसे ज्यादा राहत खाद्यान्न या ईंधन की कीमतों के कम होने से मिल सकती थी। निर्माण सामग्री महंगी होने से पहले से ही संकट में चल रहे रियल स्टेट को झटका लगेगा।
बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास पर जोर देते हुए 35 हजार करोड़ की सड़क परियोजनाएं शुरू करने की घोषणा की गई है। वैट दरों में बड़ा बदलाव करते हुए सरकार ने एविएशन फ्यूल और ई रिक्शा पर वैट की दर 13 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दी है। वहीं साइकिल को वैट फ्री कर दिया है। इसके अलावा मकान बनाने में प्रयोग आने वाले कच्चे माल पर टैक्स बढ़ाकर रियल एस्टेट सेक्टर को झटका जरूर दिया है।
इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर जैसे बड़े शहरों के विकास की योजना तो है लेकिन हर संभाग को बराबर का महत्व नहीं दिया गया। विपक्ष ने प्रश्नकाल चलने नहीं दिया अन्यथा यह बजट एक अच्छी बहस के साथ भी पारित हो सकता था।
बजट में टीवी, फ्रिज, एयर कंडीशनर, मोबाइल, वाशिंग मशीन, कार सहित अन्य लग्जरी आयटमों पर एक प्रतिशत वैट बढ़ाकर और महंगा कर दिया है। रिवाल्वर और पिस्टल पर भी स्टांप शुल्क लगाया है तो तंबाकू रहित गुटकों पर टैक्स दोगुना कर दिया है। उधर, छोटी छूट देकर सरकार ने बजट को बैलेंस करने का प्रयास भी किया है।
इसमें मुख्य रूप से ईडब्ल्यूएस की तर्ज पर एलआईजी आवास को स्टांप शुल्क से शत-प्रतिशत छूट और शहरी गरीबों के लिए पट्टों की रजिस्ट्रीकरण फीस को घटाकर 1 हजार रुपए किया गया है। गरीबों को राहत शायद पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के दाम घटाने से ज्यादा मिलती। इस बजट में कोई विजन नहीं है और न ही कोई भविष्य का रोडमैप। दुख इस बात का भी है कि बजट का विरोध करने के लिए विपक्ष नहीं था इसलिए बजट बिना किसी बहस के पारित हुआ।
काम की नहीं है कर मुक्ति
- सुपर ई गतिमान सेवा शुरू की जाएगी।
- 500 रुपये तक के जूते एवं चप्पल कर मुक्त
- साइकिल, ट्राइसिकल, रिक्शा और पुर्जे तथा टायर ट्यूब कर मुक्त कर दिए गए।
- नोट बुक्स कर मुक्त कर दी गई।
- तंबाकू रहित पान मसाले पर वैट की दर 27 फीसदी
- फ्लोरिंग स्टोन पर वैट की दरें बढ़ाई गई।
- राज्य के बाहर से आने वाली नैचुरल गैस पर 10 फीसदी का प्रवेश कर
- स्पोर्ट्स क्लब को मनोरंजन कर से मुक्त कर दिया गया है।
- श्रम विभाग के लिए 182 करोड़ रुपये का प्रावधान
- करीब 40 वस्तुओं से वैट हटाने की घोषणा बजट में की गई है।
- एविएशन फ्यूल और गैस पर लगेगा 4 प्रतिशत वैट।
- साइकिल सामान और कृषि यंत्रों को वैट मुक्त कर दिया गया है।
आंकड़ों में बजट
वित्त वर्ष में राज्य का राजस्व खर्च 1,08,834 लाख करोड़ और राजस्व प्राप्तियां 1,14,422 अनुमानित है। हालांकि 2015-16 के दौरान राजस्व घाटा 16,745 रहने का अनुमान है। वित्त मंत्री के अनुसार राजकोषीय घाटा 2.99 फीसदी रहेगा, जो कि राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम 2005 द्वारा निर्धारित सीमा के भीतर है। इस साल सरकार के पास 18 हजार करोड़ रुपए के ऋण वितरण का लक्ष्य है। कुल राजस्व व्यय एक लाख आठ हजार 834 करोड़ रुपये और कुल राजस्व प्राप्तियां एक लाख 14 हजार 422 करोड़ रुपये होने से राजस्व आधिक्य 5,587 करोड़ रुपये अनुमानित है। साल 2015-16 के लिये राजकोषीय घाटे का अनुमान 16745 करोड़ रुपये है। यह राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 2.99 प्रतिशत अनुमानित है, जो मध्य प्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम 2005 द्वारा निर्धारित सीमा में है।
नवीन सड़कों पुलों निर्माण
प्रदेश में सड़कों का उल्लेख करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि प्रदेश में संभागीय मुख्यालयों को चार लेन, जिला मुख्यालयों को दो लेन और आगामी पांच वर्षों में लगभग 19 हजार किलोमीटर की मुख्य जिला-सड़कों का उन्नयन किया जायेगा। उन्होंने बताया कि वर्ष 2015-16 में लोक निर्माण विभाग के तहत दो हजार 500 किलोमीटर नवीन सड़कों का निर्माण और 50 पुलों के निर्माण का लक्ष्य है।
स्कूलों में बनेंगे शौचालय
वित्त मंत्री ने कहा कि स्वच्छ भारत स्वच्छ विद्यालय अभियान के तहत प्रदेश के समस्त विद्यालयों में शौचालय निर्माण का संकल्प लिया गया है। वर्तमान में प्रदेश की शालाओं में 25 हजार 817 शौचालयों के निर्माण और 23 हजार 359 बेकार पड़े शौचालयों की मरम्मत तथा पुनरुद्धार की आवश्यकता है, जिसमें 552 करोड़ रुपये का व्यय भार संभावित है। कृषि को लाभ का धंधा बनाये जाने का संकल्प व्यक्त करते हुए वित्त मंत्री ने शक्ति चलित कृषि यंत्रो लेजर लैंड लेवलर, सीड कम फर्टिलाइजर डिल, रीपर कम बाइंडर और स्ट्रा रीपर और रेक तथा श्रेडर को कर-मुक्त किये जाने की घोषणा की।
नई परंपरा की शुरुआत
मध्यप्रदेश की विधानसभा में बजट मात्र डेढ़ मिनट में बिना चर्चा के पारित कर दिया गया। मंत्रियों सहित सत्ता पक्ष ने जमकर हंगामा मचाया। एक तरह से वे विपक्ष के हंगामे का जवाब हंगामे से देना चाह रहे थे। उन्होंने प्रश्नकाल चलने नहीं दिया और कांग्रेसी विधायकों को बोलने नहीं दिया। ठीक उसी तर्ज पर जिस तर्ज पर कांग्रेसी विधायक मुख्यमंत्री को बोलने नहीं दे रहे थे। संसदीय कार्यमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने शासकीय काम निपटाने का हवाला देकर सदन की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने का प्रस्ताव रख दिया, जिसे स्वीकार कर लिया गया। हंगामे के कारण जनहित के मुद्दे हासिये पर चले गए। विपक्ष के 800 सवाल अनुत्तरित रहे। कई ध्यानाकर्षण, 15 अशासकीय संकल्प लैप्स हो गए, 5200 सवालों के जवाब सिर्फ प्रश्रोत्तरी में ही अब देखे जा सकेंगे। सत्र की बीच में समाप्ति के लिए कौन जिम्मेदार है? पक्ष या विपक्ष? जिम्मेदार कोई भी हो, नुकसान जनता का ही हुआ है। यदि पक्ष-विपक्ष सदन में बहस करने की बजाय हंगामा मचाना चाहते हैं, तो सदन का औचित्य ही क्या है? क्यों जनता का पैसा व्यर्थ बहाया जा रहा है? ये सवाल बार-बार पूछे जाएंगे। अब जाकर सरकार चेती है और सदन में विधायकों के आचरण को नियमों से नियंत्रित करने की तैयारी की जा रही है। यह प्रावधान अगले सत्र से लागू होंगे। लेकिन इससे अंकुश लगेगा, इसमें संदेह ही है। क्योंकि जब हंगामा होता है, तो सारे नियम-कानून एक तरफ धरे रह जाते हैं।
-बृजेश साहू