पीडीपी-भाजपा गठबंधन
04-Mar-2015 10:55 AM 1234763

अंतत: भाजपा और पीडीपी के बीच गठबंधन बन ही गया। भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब किसी दक्षिणपंथी दल ने कश्मीर को लेकर कट्टरता  की हद तक बयानबाजी करने वाले दल से तालमेल किया। इससे पहले नेशनल कांफे्रंस एनडीए सरकार में रह चुकी है। लेकिन तब भाजपा कश्मीर में इतनी शक्तिशाली नहीं थी। इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा घाटी में खाता खोलने में असफल रही तो कांग्रेस और पीडीपी हिंदू बहुल क्षेत्रों में पिछड़े। इसी वजह से आवश्यकता महसूस की जा रही थी कि कोई ऐसा फार्मूला तलाशा जाए जिससे राज्य की नई सरकार में पूरे राज्य का उचित प्रतिनिधित्व हो। देखा जाए तो भाजपा और पीडीपी का तालमेल इस कसौटी पर खरा उतरता है, लेकिन सवाल वही है कि कब तक। अंग्रेजी में एक मुहावरा है ञ्जद्धद्गह्म्द्ग ड्डह्म्द्ग द्यशह्लह्य शद्घ ह्यद्यद्बश्चह्य ड्ढद्गह्ल2द्गद्गठ्ठ ह्लद्धद्ग ष्ह्वश्च ड्डठ्ठस्र ह्लद्धद्ग द्यद्बश्चह्य संभवत: इसीलिए गुलाम नबी आजाद ने पहले टिप्पणी करते हुए कहा कि हमें तब तक यकीन नहीं आएगा जब तक सरकार नहीं बनती। निश्चित रूप से भाजपा और पीडीपी का तालमेल यकीन की हद से बाहर का निर्णय है। राजनीति के दो अलग छोर पर दोनों दल खड़े हैं। भाजपा देश की अखंडता के लिए धारा 370 को खत्म करना और कश्मीर के भारत में संपूर्ण विलय को अंजाम देना आवश्यक समझती है। वहीं पीडीपी कश्मीर को अधिक से अधिक स्वायत्तता और आत्म निर्णय को सहमति प्रदान करती आई है। देखना है कि भाजपा जब उत्तरप्रदेश, बिहार जैसे राज्यों में चुनाव प्रचार करेगी तो भाजपा के नेताओं के मुखमंडल से कश्मीर के विषय में क्या उद्गार निकलते हैं। क्या वे अब भी धारा 370 पर उतना ही कठोर रवैया अपनाएंगे।
बहरहाल इन तमाम आशंकाओं के बीच कश्मीर में सरकार की उम्मीद बंधी है। इस सरकार में पीडीपी संरक्षक मुफ्ती मुहम्मद सईद गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री होंगे। इसके अलावा बीजेपी के निर्मल सिंह उपमुख्यमंत्री हो सकते हैं। सरकार में दोनों ही पार्टियों के 6-6 मंत्री होगे। बताया जा रहा है कि दोनों ही दलों के बीच एएफएएसपीए और अनुच्छेद 370 जैसे विवादित मसलों को लेकर आम सहमति बन चुकी है। इसी संबंध में बातचीत करने पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मिलने पहुंचीं थी। मुलाकात के बाद दोनों नेता एकसाथ मीडिया के सामने आए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुफ्ती मोहम्मद सईद की मुलाकात भी आत्मीयता भरे माहौल में सम्पन्न हो गई। इस दौरान दोनों नेताओं बातचीत के आधार पर गठबंधन के एजेंडे को अंतिम स्वरूप दियो, जिसे एजेंडा फॉर एलायंस नाम से राज्य व देश की जनता के लिए जारी किया गया।
अहम मुद्दों पर बनी सहमति
पिछले साल दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में पीडीपी को 87 सदस्यीय विधानसभा में 28 सीटें मिली हैं और वह सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। बीजेपी को 25 सीटें मिली हैं। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती का कहना है कि चुनावों में मिले अजीब जनादेश की वजह से सरकार बनाने को लेकर लंबा समय लगा और बातचीत का लंबा दौर चला। उन्होंने कहा कि खंडित जनादेश के बाद पीडीपी और बीजेपी सरकार बनाने के लिए एक साथ आए हैं। एक साझा न्यूनतम कार्यक्रम बनाए जाने की जरूरत थी। जिसे पीएम और मुफ्ती मोहम्मद सईद की मुलाकात के बाद अंतिम रुप दे दिया गया।
- अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर पीडीपी पहले बीजेपी से लिखित आश्वासन मांग रही थी। अब पीडीपी मौखिक आश्वासन पर मानती दिख रही है। ऐसे में अनुच्छेद 370 को लेकर साझा कार्यक्रम में राज्य सरकार जनता की भावनाओं का सम्मान करेगी, लिखा होगा।
- अफस्पा का मामला एक समिति के हवाले कर दिया जाएगा। भविष्य में इस समिति की सिफारिश पर धीरे-धीरे शांतिपूर्ण इलाकों से अफस्पा की विदाई होगी।
- पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों के मुद्दे को मानवीय आधार पर निपटाने को लेकर सहमति बनी है। महबूबा के मुताबिक, हालांकि कुछ राजनीतिक मुद्दों को लेकर दोनों पार्टियों के परंपरागत विचार अलग-अलग हैं। लेकिन, दोनों पार्टिया गंभीरता अपने प्रमुख नेताओं की मुलाकात के दौरान बीच के रास्ते को अहम रूप देंगी।
-धर्मेन्द्र सिंह कथूरिया

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