मोदी की चीन यात्रा : बर्फ पिघलेगी
18-Feb-2015 01:22 PM 1234782

मोदी की चीन यात्रा : बर्फ पिगत वर्ष सितंबर माह में जब चीन के राष्ट्रपति शी जिन पिंग की आगवानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में की, तो भारत-चीन के रिश्तों में गर्मजोशी दिखाई दी। लेकिन उसके बाद मोदी की अमेरिका यात्रा और ओबामा की भारत यात्रा ने चीन की चिंता को बढ़ा दिया। श्रीलंका में सत्ता परिवर्तन भी चीन को चिंता में डाल गया। मोदी के सत्तासीन होने के बाद से ही भारत दक्षिण एशिया में चीन की घेराबंदी को तोडऩे में लगा है। कुछ हद तक नेपाल, भूटान और श्रीलंका में सफलता भी मिली है। इसीलिए चीन का रुख बदल गया है। चीन दक्षिण चीन सागर में भारत और अमेरिका की बढ़ती दिलचस्पी को भी गंभीरता से ले रहा है। इसीलिए चीन में पुतिन को बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया गया है। चीन अपनी शक्ति का प्रदर्शन भी करने वाला है।
भारत की दिक्कत यह है कि वह चीन पर एक सीमा तक ही भरोसा कर सकता है। जिस तरह युद्ध के समय चीन ने भारत का भरोसा तोड़ा था, उसके बाद से भारत हमेशा चीन को शंका की दृष्टि से ही देखता आया है। लेकिन ओबामा की यात्रा से चीन में जो संदेह उत्पन्न हुआ, उसे विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की यात्रा के बाद बहुत हद तक नियंत्रण में लाया जा सका। चीनी राष्ट्रपति ने भी प्रोटोकॉल को दरकिनार कर सुषमा स्वराज से मुलाकात की और वहां सरकारी टीवी में भी स्वराज के कार्यक्रमों को व्यापक कवरेज दी।
कई चीनी विश्लेषकों ने चीन-भारत सीमा से जुड़ी समस्या को सुलझाने के लिए धैर्य और सावधानी बरतने की अपील की है लेकिन इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि चीन को अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भारत के संशयों के निवारण के लिए इस अवसर का लाभ लेना चाहिए। इन परियोजनाओं के लिए राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 40 अरब डॉलर का आवंटन किया है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का कहना है कि भारत आंख मूंदकर समर्थन नहीं देगा बल्कि जहां भागीदारी होगी वहां सहयोग करेगा।  राष्ट्रपति शी जिनपिंग नरेंद्र मोदी की मई में होने वाली चीन यात्रा को खास बनाने की कोशिश कर रहे हैं। जिनपिंग मोदी को अपना गृहनगर फ्युपिंग भी दिखाएंगे जो जियान प्रांत में है। मोदी चीन आने वाले पहले ऐसे विदेशी नेता होंगे जिन्हें शी जिनपिंग अपने गृहनगर की सैर कराएंगे। पिछले साल सितंबर में जब चीन के राष्ट्रपति भारत यात्रा पर आए थे तो मोदी ने उनकी अगवानी अपने गृहराज्य गुजरात में की थी। मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में कई बार चीन की यात्रा की है और यहां सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी नेतृत्व के साथ उनके अच्छे संबंध माने जाते हैं। ये अटकलें भी जोरों पर हैं कि मोदी जब प्रधानमंत्री के रूप में अपनी प्रथम चीन यात्रा पर आएंगे तो वह नए मार्ग से कैलाश मानसरोवर जाएंगे।
मोदी सरकार चीन की कंपनियों के भारत में निवेश करने की राह आसान करने की योजना भी बना रही है। सरकार इस पड़ोसी देश से निवेश जुटाना चाहती है और मई में मोदी की चीन यात्रा से पहले दोनों देशों के रिश्तों में मिठास घोलना चाहती है। अब तक भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने टेलीकॉम, पावर और दूसरे सेक्टर्स में चाइनीज कंपनियों के निवेश को हतोत्साहित करने या उसे रोकने के लिए सरकार को मना रखा था। उनकी दलील यह रही है कि चाइनीज निवेश से राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर पड़ सकता है। चीन की सेना और खुफिया एजेंसियों का वहां की कंपनियों से तालमेल होने की चिंताएं भी रही हैं, खासतौर से टेलीकॉम सेक्टर में। हालांकि अब विदेश मंत्रालय के दबाव में गृह मंत्रालय कदम बढ़ा रहा है ताकि मोदी के बीजिंग रवाना होने से पहले नई नीति बना ली जाए। गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार- चाइनीज इनवेस्टमेंट और मानव संसाधन के बारे में मौजूदा नीतिगत रूपरेखा पुरानी पड़ गई है। नई पॉलिसी बनाई जा रही है, जिसमें साफ तौर पर उन सेक्टर्स को चिन्हित किया जाएगा, जिनमें चीन की कंपनियां एंट्री कर सकेंगी। इसमें यह भी बताया जाएगा कि किन मामलों में उन्हें कुछ शर्तों के साथ इजाजत दी जाएगी और किन मामलों में इजाजत नहीं होगी। भारत चीन के निवेश के बारे में अमेरिकी रुख का अध्ययन कर रहा है और यह देख रहा है कि अमेरिका ने किन सेक्टर्स को खोला है। पिछले साल भारत यात्रा के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पांच वर्षों में भारत में 20 अरब डॉलर के निवेश का वादा किया था।  हालांकि चीन ने शिकायत की है कि अगर उसे पाकिस्तान, ईरान, सोमालिया और सूडान के साथ उन देशों की लिस्ट में बनाए रखा गया, जिनके कारोबारियों को सख्त वीजा और सुरक्षा नियमों का पालन करना होता है, तो निवेश का वादा पूरा नहीं हो सकेगा। चीन गईं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इंडिया-चाइना मीडिया फोरम को बताया कि भारत चीनी कंपनियों के लिए अपने यहां बिजनेस करना आसान बनाएगा। इस मुद्दे पर जनवरी से ही गृह और विदेश मंत्रालयों के अधिकारियों की खुफिया एजेंसियों के अधिकारियों के साथ कई बैठकें हुई हैं।
-टीपी सिंह

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