04-Mar-2015 07:58 AM
1234869
पेट्रोलियम मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, कोयला मंत्रालय, ऊर्जा मंत्रालय और कैग के दफ्तरों से कार्पोरेट जासूसी में शामिल गिरोहों का पर्दाफाश होना कई अहम सवाल खड़े कर रहा है। यह सभी
महत्वपूर्ण मंत्रालय हैं और देश की सुरक्षा से लेकर देश की आर्थिक स्थिति के बारे में सारा लेखा-जोखा इन मंत्रालयों के पास गोपनीय फाइलों में उपलब्ध रहता है। लेकिन इस गोपनीयता को किसके इशारे पर भंग किया जा रहा था। इसका क्या मकसद था। कार्पोरेट घराने जासूसी क्यों करा रहे थे। ये कई अहम सवाल हैं, जिनका उत्तर तलाशना होगा। इनमें से कुछ दस्तावेजों को चीन और पाकिस्तान में बेचने की अफवाह भी फैली है। यदि इस अफवाह में सच्चाई है तो यह एक गंभीर जासूसीकांड हो सकता है। जबसे अमेरिका में वाटरगेट हुआ है तब से मीडिया इस तरह के हर कांड को गेट प्रत्यय लगाकर कोलगेट, स्नूपगेट, पेट्रोगेट वगैरह बोलते हुए मामलों का सरलीकरण करने की कोशिश करता है, लेकिन हर जासूसी या घोटाला अलग तरह का है। इसकी किसी से तुलना नहीं की जा सकती। इस मामले में गिरफ्तार पूर्व पत्रकार शांतनु सैकिया ने कहा है कि ये घोटाला 10 हजार करोड़ का है। छोटी सी गोपनीय जानकारी भी करोड़ों का लाभ करा सकती है, इसीलिए बड़ी-बड़ी कंपनियां जासूसी के जरिए जानकारी जुटाती हैं, लेकिन पहली बार यह जासूस गृहमंत्रालय तक जा पहुंची है। इसीलिए दिल्ली पुलिस ने रिलायंस के दो बड़े अधिकारी को पूछताछ के लिए बुलाया था। रिलायंस के रघुरमन डीजीएम के पद पर तैनात हैं। इनका कार्यालय शास्त्री भवन से कुछ सौ मीटर की दूरी पर स्थित ली-मेरीडियन होटल में है। पुलिस ने कार्यालय में छापेमारी भी की है और कुछ कागजात जब्त किए हैं। रिलायंस के कुछ और अधिकारियों को पूछताछ के लिए नोटिस भेजा जाएगा।
देश के अहम मंत्रालयों के गोपनीय दस्तावेजों की बिक्री का मार्केट कितना बड़ा है इस बात का खुलासा लोकेश नामक दलाल की गिरफ्तारी के बाद हुआ है। लोकेश 10 से अधिक एनर्जी कंसलटेंट कंपनियों को गोपनीय दस्तावेज बेचा करता था। इसके बदले उसे मोटी रकम मिलती थी। लोकेश की गिरफ्तारी को दिल्ली पुलिस जासूसी कांड में बड़ी कामयाबी मान रही है। पिछले कई सालों से लोकेश मंत्रालयों के कर्मचारियों को लालच देकर गोपनीय दस्तावेज लीक करवा रहा था। लोकेश मंत्रालयों (पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस,उर्जा और कोयला) में तैनात कर्मचारियों को आने वाले सभी नए दस्तावेजों की फोटो कापी करने के लिए कहता था। बाद में कर्मचारी रुपये लेकर इन दस्तावेजों को लोकेश को सौंप देते थे। कागजात मिलने के बाद लोकेश अपनी कंपनी इंफ्रालाइन, शांतनु सैकिया की कंपनी, प्रयास जैन की कंसलटेंसी, केयर्न्स, एस्सार, रिलांइस समेत दस से अधिक कंपनियों को यह दस्तावेज दिखाकर बेच देता था। बदले में उसे मोटी रकम चुकाई जाती थी। लोकेश की जड़े तीनों ही मंत्रालय में खूब गहरी हैं। पिछले चार-पांच सालों से वह अहम दस्तावेज लीक करवाकर बेच रहा है। लोकेश के पिता कोयला मंत्रालय में कार चालक थे। इसी की वजह से उसकी मंत्रालय में पहचान हुई। किसकी मदद से उसने नकली आईकार्ड बनवाए और वह किस-किस के पास आता-जाता था फिलहाल इसकी तहकीकात की जा रही है।
रक्षा मंत्रालय से भी कुछ दस्तावेज चुराए जाने की बात सामने आई है। रक्षा मंत्रालय में जासूसी के लिए आने वालों को फर्जी आईडी मुहैया कराने के आरोप में मंत्रालय के एक कर्माचारी को गिरफ्तार किया गया है। आरोप है कि वीरेंद्र नाम का यह चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी फर्जी आईडी मुहैया कराता था। इस सिलसिले में दिल्ली पुलिस ने कुछ अन्य सरकारी कर्मचारियों से भी 6 घंटे तक पूछताछ की। बता दें कि इस मामले में पेट्रोलियम मंत्रालय के कुछ कर्मचारियों की पहले ही गिरफ्तारी हो चुकी है। समझा जा रहा है कि उन्हीं से पूछताछ के बाद वीरेंद्र गिरफ्तार किया गया है।
कई रैकेट शामिल
दिल्ली पुलिस कॉरपोरेट जासूसी में कई और रैकेट का खुलासा कर सकती है। पुलिस के मुताबिक, दूसरा रैकेट पेट्रोलियम के साथ ही ऊर्जा और कोयला मंत्रालयों से गोपनीय दस्तावेज चुराता था। इस मामले में नई एफआईआर दर्ज की गई है। चोरी, धोखाधड़ी, अनाधिकृत प्रवेश और आपराधिक साजिश की धाराओं में ये मामले दर्ज किए गए हैं। जल्द ही और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। अभी तक कुल 12 लोगों को पकड़ा गया है जो छोटे कर्मचारी हैं। पुलिस को कोयला मंत्रालय के एक कर्मचारी राजीव सिंह और लोकेश के कुछ साथियों की भी तलाश है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय, कोयला मंत्रालय और ऊर्जा मंत्रालय के बाद गोपनीय दस्तावेज चुराकर बेचने के रैकेट की आंच प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करने वाले कैग (नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक) तक पहुंच गई है। कैग चौथा विभाग है, जहां इस रैकेट की उपस्थिति मिली है। सूत्रों ने दावा किया है कि कैग से आर्मी के ऑडिट विभाग से कुछ दस्तावेज चोरी हुए हैं। क्राइम ब्रांच ने उत्तम नगर में रहने वाले कैग के एक अस्थाई कर्मचारी समेत कुछ कर्मचारियों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। वीरेंद्र कैग के एम-ब्लॉक, चर्च रोड पर स्थित कार्यालय में अस्थाई कर्मचारी है। यहां कैग की रिपोर्ट में आर्मी का ऑडिट किया जाता है। इसके अलावा कैग के कुछ और लोगों को पूछताछ के लिए बुलाया गया है।
-दिल्ली से ऋतेंद्र माथुर