18-Feb-2015 01:33 PM
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नरेंद्र मोदी के सत्तासीन होने के बाद से नौकरशाही बेचैन है। दो बड़े नौकरशाहों को हटा दिया गया है। इसरो मेंं पहली बार एक नौकरशाह को भेजा गया
है। कई विभागों में भी बदलाव किया गया है, मंत्रियों को उनके पसंद के अफसर नहीं दिए गए हैं और इन सबसे बढ़कर नौकरशाहों को समय पर आने का फरमान भी कुछ रास नहीं आ रहा है, सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों के इस्तीफे की तो बात ही अलग है।
पिछले दिनों जब पूर्व केंद्रीय मंत्री मतंग सिंह को सारदा चिटफंड मामले में गिरफ्तार करने से रोकने के लिए गृह सचिव अनिल गोस्वामी ने दबाव बनाया, तो सरकार ने गृह सचिव को हटा दिया। इससे पहले विदेश सचिव सुजाता सिंह को भी रिटायरमेंट के 7 माह पूर्व हटा दिया गया था। गृह सचिव का मामला थोड़ा अलग है क्योंकि उन्होंने सीबीआई पर दबाव बनाने की कोशिश की और एक दागी पूर्व मंत्री की ढाल बनकर खड़े हो गए। मतंग सिंह गिरफ्तार हो चुके हैं और सीबीआई उनसे 7 घंटे से ज्यादा पूछताछ कर चुकी है। लेकिन दिलचस्प यह है कि अनिल गोस्वामी उन्हें बचाने की कोशिश क्यों कर रहे थे? सीबीआई अवश्य ही इस रहस्य को जानना चाहेगी, क्योंकि सारदा घोटाले से जुड़े नौकरशाहों की छानबीन का दौर शुरू हो चुका है। उधर सुप्रीम कोर्ट ने भी तृणमूल सरकार को झटका देते हुए साफ कर दिया है कि वह सारदा घोटाले की जांच अपने हाथ में नहीं ले सकता। अनिल गोस्वामी जैसे कद्दावर ब्यूरोक्रेट की विदाई मेंं सरकार ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह भ्रष्टाचार बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगी। गोस्वामी के प्रति रुख तो पिछले वर्ष ही बदल चुका था, जब गोस्वामी ने अपनी पत्नी को जज बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के जजों पर दबाव बनाने की कोशिश की थी।
किंतु सुजाता सिंह को हटाकर नए विदेश सचिव के रूप में अमेरिका में राजदूत एस जयशंकर को लाने का फैसला मोदी की कार्यशैली का एक दूसरा उदाहरण है। सुजाता सिंह का कहना है कि उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया गया और उनका रिकार्ड खराब किया गया, क्या यह जरूरी था? सुजाता सिंह को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अचानक फोन करके कहा कि प्रधानमंत्री एस जयशंकर को विदेश सचिव नियुक्त करना चाहते हैं, सुजाता ने अपना इस्तीफा पहले ही तैयार कर रखा था लेकिन इस्तीफा देने पर वे सेवानिवृत्ति के लाभ से वंचित हो जातीं। लिहाजा उन्होंने प्रधानमंत्री के निर्देशानुसार एक पत्र भेजकर समय से पहले सेवानिवृत्ति मांग ली। सुजाता के पत्र में प्रधानमंत्री के निर्देशानुसारÓ एक ऐसा संवेदनशील शब्द है, जिसे आगामी समय में विपक्ष भुनाने की कोशिश अवश्य करेगा। कांग्रेस के प्रवक्ता पीसी चाको ने तो साफ कह दिया है कि प्रधानमंत्री तानाशाह बन रहे हैं, नौकरशाही अकुला रही है। सच में मोदी की कार्यशैली से अकुलाई नौकरशाही कहीं 2019 के चुनाव के समय मोदी का बेड़ा गर्क न कर दे।
मोदी की सफल विदेश यात्राओं में सुजाता सिंह का व्यापक योगदान था। उन्होंने ईमानदारी और निष्ठा से अपना काम किया और भारत की विदेश नीति भी सशक्त हुई तथा देश की छवि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुधरी। सुषमा स्वराज के साथ सुजाता सिंह बहुत सहज थीं, लेकिन अचानक जयशंकर को लाना किसी गंभीर परिवर्तन की नहीं बल्कि बीमारी की शुरुआत भी हो सकती है। योग्य नौकरशाहों को हटाने से मोदी को काम करने में दिक्कत आएगी। वैसे भी उनके आने के बाद से बहुत कुछ बदला है। सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्यों ने सामूहिक इस्तीफे दे दिए। मोदी सरकार ने गृह सचिव अनिल गोस्वामी और विदेश सचिव सुजाता सिंह के अलावा डीआरडीओ प्रमुख अविनाश चंदर की भी छुट्टी की। अब ग्रामीण विकास सचिव एलसी गोयल को नया गृह सचिव नियुक्त किया गया है। सरकार ने चंदर को हटाने का आदेश उन्हें देने से पहले कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की वेबसाइट पर डाला, फिर बाद में हटा लिया। चंदर पिछले साल 30 नवंबर को रिटायर हुए थे। तब सरकार ने उन्हें एक्सटेंशन पर काम करने की अनुमति दी। अब 45 दिन बाद ही क्यों हटा दिया? चंदर ने हाल में ही कहा था कि डीआरडीओ को हर साल 300-350 वैज्ञानिकों की जरूरत है। सरकार से मैनपावर बढ़ाने को कहा है। प्रोजेक्ट्स में देरी के लिए क्या अकेले चंदर जिम्मेदार हैं? साथ ही अरविंद मायाराम को वित्त सचिव से अन्य विभाग में ट्रांसफर किया गया और राजीव टकरू का भी राजस्व सचिव के पद से ट्रांसफर हुआ। के दुर्गा प्रसाद को एसपीजी प्रमुख और शंकर अग्रवाल को शहरी विकास सचिव के पद से ट्रांसफर किया गया है।
फिलहाल मोदी सरकार में प्रमुख भूमिका में नजर आने वालों में नृपेंद्र मिश्रा, पीएमओ में प्रधान सचिव हैं। पी के मिश्रा, पीएमओ में अतिरिक्त सचिव हैं। राजीव महर्षि को वित्त सचिव और हंसमुख अढिय़ा को वित्तीय सेवा सचिव बनाया गया है।