18-Feb-2015 12:16 PM
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हवाई किराया सस्एविएशन फ्यूल के दाम गिरने के साथ ही विमान कंपनियों का किराया युद्ध प्रारंभ हो गया। लेकिन ओपेक देशों ने पेट्रोल के दाम बढ़ा दिए हैं इसलिए पेट्रोल-डीजल धीरे-धीरे बढऩे लगेंगे

है। दामों में आ रही कमी धम गई है। जब दाम गिरे थे, तब भी जनता को कोई राहत नहीं थी और दाम बढऩे से महंगाई चढऩे का खतरा मंडरा रहा है। लेकिन दाल, चावल, सब्जी, अनाज, तेल भले ही महंगे हों पर देश की हवाई कंपनियों के बीच प्राइज वार शुरु हो गया है। एयर टिकटों के दाम बहुत तेजी से गिराए जा रहे हैं। देश भर की बजट एयरलाइंस अब राजधानी ट्रेन के किराए के बराबर हवाई सफर कराने की पेशकश कर रही हैं। दिल्ली-मुंबई जैसे व्यस्त रूट पर कुछ एयरलाइंस में राजधानी से लगभग 25 फीसदी तक के कम किराए पर यात्रा की जा सकती है। अगर फर्स्ट क्लास एसी के किराए से तुलना की जाए तो हवाई किराए 50 फीसदी तक कम हैं। उदाहरण के तौर पर स्पाइसजेट मुंबई-दिल्ली के लिए 1,575 रुपए में टिकिट की पेशकश कर रही है जबकि इसी सेक्टर पर राजधानी का सेकंड क्लास एसी का किराया 1,975 रुपये है। अगर इस सेक्टर पर राजधानी का फस्र्ट क्लास एसी का किराया देखा जाए तो यह इंडिगो और स्पाइसजेट के किराए से 50 फीसदी तक अधिक है।
लेकिन कम किरायों का दौर लंबे समय तक चलने की उम्मीद कम है। स्पाइसजेट के एक अधिकारी ने कहा, इस समय यात्रियों को खींचने के लिए विशेष किरायों की पेशकश की जा रही है। इसका मकसद अन्य जरियों से यात्रा करने वाले लोगों को हवाई यात्रियों में बदलना है। ये किराए ज्यादा समय तक नहीं रहेंगे क्योंकि यह कारोबार के लिए फायदेमंद नहीं हैं। पिछले साल एविएशन टरबाइन फ्यूल (एटीएफ) की कीमत 71,000 रुपये किलोलीटर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी। इसके बाद विमान सेवाओं ने टिकिट के साथ ईंधन अधिभार जोड़कर किराए बढ़ा दिए थे। इस वजह से हवाई यात्रियों की संख्या में बड़ी गिरावट आई थी। पिछले नौ महीनों में एयर ट्रैफिक की विकास दर नकारात्मक रही है। हवाई सफर महंगा होने के बाद यात्रियों ने रेलगाड़ी से सफर को तरजीह देनी शुरू कर दी है और इससे रेलवे का ट्रैफिक बढऩे साथ ही आमदनी में भी इजाफा हुआ है।
अप्रैल-नवंबर की अवधि में एयर ट्रैफिक में जहां 4 फीसदी की कमी हुई, वहीं ट्रेन की एयर-कंडीशंड बोगियों में सफर करने वाले यात्रियों की तादाद में 18.33 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इस अवधि में एसी की तीन श्रेणियों से रेलवे की कमाई भी 25 फीसदी बढ़कर 3,135 करोड़ रुपये हो गई। एटीएफ के महंगे दाम के चलते अप्रैल-अगस्त, 2008 के दौरान हवाई किरायों में भारी बढ़ोतरी हुई और कुछ रूट पर यह दोगुने से भी अधिक हो गए। हवाई सफर करने वाले लोगों को खींचने के लिए रेलवे ने अपने एसी के किरायों में 7 फीसदी तक की कमी कर दी। इससे विमान की यात्रा करने वाले लोगों में से बहुत से रेलवे से सफर करने लगे थे। एविएशन के जानकारों का कहना है कि विमान किरायों में हाल की कटौती से एयरलाइंस को यात्रियों की संख्या बढ़ाने में ज्यादा मदद नहीं मिलेगी क्योंकि जनवरी-मार्च का समय आमतौर पर इस सेक्टर के लिए मंदा रहता है। सेंटर फॉर एशिया-पैसिफिक एविएशन (कापा) के प्रमुख (भारत), कपिल कौल के अनुसार, आर्थिक मंदी और इस अवधि में परंपरागत तौर पर यात्रियों की कम संख्या के मद्देनजर किरायों में कटौती से एयरलाइंस को ज्यादा फायदा नहीं होगा। इससे उनकी कमाई पर असर पड़ेगा जो पहले ही प्रति यात्री 500 रुपये तक कम हो चुकी है।
इस बार फुल सर्विस एयरलाइंस भी किराए घटाने में बजट एयरलाइंस से पीछे नहीं हैं। आमतौर पर यह पहल बजट एयरलाइंस करती थी लेकिन इस बार वे पीछे रह गई हैं। कौल का कहना है, च्फुल सर्विस एयरलाइंस ने आक्रामक कीमतों की रणनीति अपनाने में काफी तेजी दिखाई है। किंगफिशर और कुछ अन्य एयरलाइंस के अंतिम समय के किराए भी काफी सस्ते हैं।
पेट्रोल के दाम बढ़ेंगे
पेट्रोल की मंदी थम गई है। ओपेक देशों ने उत्पादन कम तो नहीं किया है लेकिन स्थिर कर दिया है। प्रति बैरल एक समय में 45 डॉलर का था जो बढ़कर 60 डॉलर से ऊपर पहुंच चुका है और दामों का ऊपर जाना जारी है। आने वाले समय में पेट्रोल की कीमतें फिर पुरानी दरों पर पहुंच सकती हैं। पेट्रोल की बढ़ती कीमतें सरकार का सरदर्द भी बढ़ाएंगी। रुपए की मजबूती और सेंसेक्स में चढ़ाव तथा पेट्रोल के दामों में कमी के बावजूद मोदी सरकार महंगाई पर काबू पाने में नाकामयाब ही रही है। सरकार का दावा है कि थोक महंगाई सूचकांक गिरा है लेकिन सच तो यह है कि थोक में महंगाई कम होने के बावजूद जनता को राहत नहीं मिली क्योंकि रिटेल में दाम बढ़े हुए थे। अभी तो दाम घटते दिखाई नहीं दे रहे।
-ज्योत्सना अनूप यादवता, पेट्रोल महंगा