18-Feb-2015 08:17 AM
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इस सप्ताह प्रदर्शित फिल्म रॉय को देखकर ऐसा लगा कि निर्देशक ने जिस बेमन के साथ फिल्म बनाई उससे ज्यादा बेमन से कलाकारों ने इसमें काम किया। फिल्म का गीत संगीत इसके प्रदर्शन से पहले

जिस तरह हिट हुआ उससे दर्शकों को इस फिल्म से काफी आस बंध गयी थी लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी। लगता है कि निर्देशक ने फिल्म को पूरा करने में भी काफी समय लिया क्योंकि कई जगह आपको ऐसा लगेगा कि किरदार अचानक ही कहीं और मुड़ जा रहे हैं।
फिल्म की कहानी कबीर ग्रेवाल (अर्जुन रामपाल) के इर्दगिर्द घूमती है। कबीर एक सफल फिल्म निर्देशक है। वह अब तक दो सफल एक्शन थ्रिलर फिल्म बना चुका है। तीसरी फिल्म के लिए जब उससे एक प्रोडक्शन कंपनी संपर्क करती है तो वह शुरू में तैयार नहीं होता लेकिन अपनी सहयोगी के समझाने पर तैयार हो जाता है। वह पटकथा और कलाकारों के चयन पर काम करने के लिए मलेशिया जाता है। वहां उसकी मुलाकात आयशा (जैकलीन फर्नांडीज) से होती है। आयशा भी फिल्म निर्देशक है। लेकिन इन दोनों निर्देशकों की रुचियां अलग हैं। जहां कबीर पैसे के लिए फिल्में बनाता है वहीं आयशा अवार्ड हासिल करने के लिए ही फिल्में बनाना पसंद करती है और इसीलिए उसकी फिल्मों का बजट भी सीमित होता है। इन दोनों के बीच मुलाकातों के साथ ही नजदीकियां बढऩे लगती हैं।
कबीर जिस फिल्म को बनाना शुरू करता है उसका हीरो रॉय (रणबीर कपूर) है। रॉय पेंटिंग चोर भी है। रॉय की एंट्री होने के बाद कहानी में कुछ नये घुमाव आते हैं। अभिनय के मामले में सभी कलाकार सोये सोये से रहे। अर्जुन रामपाल का लुक अच्छा लगा और वह अपनी भूमिका में जमे हैं। इसी तरह रणबीर कपूर ने भी इस फिल्म से अपने प्रशंसकों को निराश ही किया। जैकलीन ने जरूर दर्शकों का कुछ मनोरंजन अपने नृत्य और कुछ अपनी ब्यूटी परोस कर किया। फिल्म का गीत संगीत आजकल काफी सुना जा रहा है। फिल्म की फोटोग्राफी काफी अच्छी है। निर्देशक विक्रमाजीत सिंह की यह फिल्म काफी सुस्त रफ्तार से भी आगे बढ़ती है जिससे हॉल में बैठे दर्शक बोर होते दिखे।