डिप्लोमेसी के लिए मिशन प्रमुखों का सम्मेलन
18-Feb-2015 07:47 AM 1234778

जब देश दिल्ली चुनाव की जद्दोजेहद में लगा हुआ था उस वक्त राजधानी में ही मिशन प्रमुखों का सम्मेलन चल रहा था। 7 से 10 फरवरी तक चले इस सम्मेलन में डिप्लोमेसी को विकास के लिए प्रमुख एजेंडा बताते हुए प्रधानमंत्री ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि राजदूत, देश की संस्कृति और आकांक्षाओं का प्रतीक रहते हैं। नरेंद्र मोदी सत्तासीन होने के बाद से ही विदेश नीति पर जमकर कार्य कर रहे हैं। मोदी का मकसद है कि भारतीय डिप्लोमेसी विदेश में इतनी मजबूत हो कि भारत को सभी मोर्चों पर भरपूर समर्थन और सहयोग मिलता रहे। मोदी देव्यानी प्रकरण जैसे अप्रिय प्रसंगों को भारत की छवि के लिए अनुचित मानते हैं। कुछ समय पूर्व रक्षा मंत्री ने भी कहा था कि यूपीए कार्यकाल के दौरान भारत विदेशों में अपनी डीप एसेट कायम रखने में असफल रहा था।

इसीलिए जब 117 देशों के भारतीय राजदूत और उच्चायुक्त दिल्ली में जुटे तो राजनीतिक मंत्रणाओं के साथ-साथ डिप्लोमेसी में जनसाधारण की भागीदारी पर भी विशेष चर्चा हुई। सरकार का कहना है कि इसका मकसद कूटनीति को जनता के नजदीक लाना, उनके सरोकारों का हल करना और डिप्लोमेसी को अधिक पारदर्शी बनाना है।

हालांकि सम्मेलन का विषय विकास के लिये डिप्लोमेसीÓ विचार मंथन का मुख्य बिंदु था लेकिन एक नई पहल तहत इस बार इस सम्मेलन में मिशनों के कामकाज के बारे में जनता के विचारों और सुझावों पर विशेष चर्चा की गई और उसके अनुरूप रास्ता बनाया गया। साथ ही पहली बार डिप्लोमेसी और राज्यों के बीच ताल-मेल बढ़ाये जाने पर भी व्यापक विचार किया गया। इस सम्मेलन से पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने विभिन्न विभागों के प्रमुखों के साथ अनौपचारिक रूप से तमाम मुद्दो पर विचर-विमर्श किया था। इस सम्मेलन में इस बात पर व्यापक जोर दिया गया कि भारत के विकास में डिप्लोमेसी क्या भूमिका अदा कर सकती है?  सरकार का कहना था कि मेक इन इंडियाÓ जैसे कार्यक्रम इसी पहल का हिस्सा हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन मिशनों के काम-काज के बारे में जानकारी लिये जाने के साथ-साथ कुछ समय पूर्व ट्वीट कर मिशनों के काम-काज के बारे में जनता के विचार व सुझाव भी मांगे थे। मंत्रालय का सक्रिय सोशल मीडिया इस जन भागीदारी अभियान में अहम भूमिका निभा रहा था। इस बार इस सम्मेलन में विदेश मंत्रालय तथा विभिन्न राज्यों के साथ ताल-मेल भी विचार-विमर्श किया गया। इस विषय पर विचार-विमर्श इस तरह के सम्मेलन में पहली बार हुआ। इराक से केरल की हाल में मुक्त कराई गईं 11 नर्सों की रिहाई की सूचना विदेश मंत्री ने केरल के मुख्य मंत्री को निजी तौर पर दी थी। पिछले कुछ समय से विदेश मंत्रालय राज्यों से जुड़े विभिन्न मसलों को लेकर राज्यों से ताल-मेल बढ़ा रहा है। विदेशी मिशनों के सम्मेलन में यह बात खास उभरकर सामने आई।

तमाम मुद्दों के अलावा विदेश नीति संबंधी तमाम नियमित पहलुओं पर भी इस सम्मेलन में चर्चा की गई। मसलन, विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मसलों पर भारत की राय और इनका भारत पर असर जैसे मुद्दों पर इस सम्मेलन में व्यापक विचार-विमर्श हुआ। मोदी की ताजपोशी के बाद भारतीय विदेश नीति सम्मेलन का विशेष विषय थी। इस अवसर पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा कि हम अपने पड़ोसियों को नहीं बदल सकते। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को याद दिलाया कि प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में सार्क देशों के प्रमुखों को बुलाकर जिस डिप्लोमेसी की शुरुआत की गई थी उसे आगे बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पड़ोसियों को यह संदेश देने की आवश्यकता है कि या तो तनाव में रहो या फिर सुखद भविष्य के लिए शांतिपूर्ण रिश्ते बनाए रखो। राष्ट्रपति ने पेशावर हमले से लेकर तमाम आतंकी घटनाओं पर चिंता प्रकट की और कहा कि आतंकवाद शैतानी उद्यम है। उन्होंने मिशन के प्रमुखोंं से आग्रह किया कि वे इस चुनौती से दृढ़ता से निपटने का रास्ता तलाशें और भारत की छवि सारे विश्व में सही तरीके से प्रस्तुत करें।

इस बीच केंद्र सरकार ने सम्मेलन के दौरान ही मिस्त्र के राजदूत नवदीप सूरी को ऑस्ट्रेलिया में नया राजदूत नियुक्त किया। प्रधानमंत्री गत वर्ष ही ऑस्ट्रेलिया गए थे। उधर दक्षिण कोरिया में भारतीय राजदूत वेणू प्रकाश को कनाडा में नया राजदूत बनाया गया है, जहां प्रधानमंत्री इस वर्ष जाने वाले हैं।

ऋतेंद्र माथुर

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