18-Feb-2015 07:18 AM
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दानी समूह को भारतीय स्टेट बैंक द्वारा ऑस्ट्रेलिया में कोल प्रोजेक्ट के लिए जो 6 हजार 1 सौ करोड़ रुपए का कर्ज दिया गया था, वह तो सवालों के घेरे में है ही लेकिन अब यह भी पता चला है कि अदानी

की माइनिंग कंपनी ने ऑस्ट्रेलिया की सत्तासीन लिबरल पार्टी को गत वर्ष 50 हजार ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का डोनेशन दिया था जबकि विपक्षी लेबर पार्टी को 11 हजार ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का डोनेशन कंपनी द्वारा प्रदान किया गया। अदानी समूह ने क्वींसलैंड के पूर्वोत्तर में 16 बिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर खर्च करके ऑस्ट्रेलिया की सबसे बड़ी खदान में माइनिंग शुरू की है। खबर यह है कि क्वींसलैंड में जीतने वाली लेबर पार्टी ने चुनावी अभियान के दौरान जनता से वादा किया था कि वह सत्ता में आने पर पिछली सरकार द्वारा किए गए निर्णय को पलटते हुए खदान को दिए जा रहे सरकारी सहयोग को वापस ले लेगी। इससे 300 से 400 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का घाटा होगा। जाहिर है इससे अदानी समूह और भारतीय स्टेट बैंक की चिंता बढ़ेगी।
यह पहला अवसर नहीं, जब एस.बी.आई. ने अदानी समूह को कर्ज दिया हो। एस.बी.आई. का अदानी समूह में 15,402 करोड़ रुपए का फाऊंडेड एक्सपोजर (जोखिम) है जबकि 4,327 करोड़ रुपए का नॉन फाऊंडेड एक्सपोजर है। कुल मिलाकर एस.बी.आई. ने अदानी समूह को 19,729 करोड़ रुपए का कर्ज दे रखा है। इसके अलावा अलग-अलग बैंकों व वित्तीय संस्थानों ने अदानी समूह के लगभग 96,150 करोड़ का कर्ज दे रखा हा है जिसमें मुख्य तौर पर पॉवर बिजनैस को लगभग 11,500 करोड़, पोर्ट बिजनैस 5,250 करोड़, अदानी पावर महाराष्ट्रा को 3,800 करोड़, अदानी पावर राजस्थान को 3,600 करोड़ जबकि सबसे कम 67 करोड़ रुपए अदानी वल्सपन एक्सपोरेशन लि. को दिया हुआ है।
अदानी समूह भारत के राजनीतिक दलों पर भी मेहरबानी करता आया है। भाजपा और नरेंद्र मोदी से अदानी समूह के मालिकों की निकटता जग-जाहिर है। भाजपा को इस समूह ने पिछले 8 वर्ष के दौरान 4.33 करोड़ रुपए तथा कांग्रेस को 3.15 करोड़ रुपए दान में दिए हैं। जाहिर है दोनों पार्टियों में अदानी समूह की अच्छी-खासी पकड़ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऑस्ट्रेलिया यात्रा के दौरान ऑस्ट्रेलिया में सत्तासीन पार्टी ने अदानी समूह को जो अतिरिक्त सुविधा दी, उसे भी इसी से जोड़कर देखा गया।
किंतु ऑस्ट्रेलिया में अदानी को मिल रहे सरकारी समर्थन पर बहस जारी है। जहां पर अदानी समूह माइनिंग कर रहा है वहां तक रेलवे लाइन बिछाने के लिए ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने सब्सिडी देने का आश्वासन दिया है। लेकिन अब यह योजना खटाई में पड़ सकती है क्योंकि आम चुनाव में विजेता बनकर उभरी लेबर पार्टी पिछली सरकार के फैसलों को पलटने की मंशा रखती है। ऑस्ट्रेलिया की राजनीतिक स्थिति का असर अदानी के प्रोजेक्ट पर अवश्य पड़ेगा।
दरअसल ऑस्ट्रेलिया ने अपने कोयला निर्यात को 70 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए विदेशी कंपनियों को उन क्षेत्रों में माइनिंग की इजाजत दी गई है जो पर्यावरण के लिहाज से नाजुक हैं। पर्यावरणविद आशंका जता रहे हैं कि इतने बड़े पैमाने पर माइनिंग से ग्रेट बैरियर रीफ (मंूगों की चट्टानों) पर दुष्प्रभाव पड़ेगा। अदानी समूह जिस कोल माइन से माइनिंग करेगा, वह 60 मिलियन टन प्रति वर्ष कोयला उत्पादन करेगी। इस खदान में 10 हजार नौकरियां पैदा होंगी और ऑस्ट्रेलियाई सरकार को 22 बिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर टैक्स के रूप में मिलेंगे। भारत की कंपनी का आकार बढ़ेगा लेकिन भारत को कोयला निर्यात हुआ तो फायदा ऑस्ट्रेलिया की जेब में ही जाएगा। इस प्रकार जो लोन दिया गया है उसका उपयोग भारत के हित में नहीं होगा। इसीलिए अदानी समूह पर सरकार की मेहरबानी को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। लोगों का कहना है कि अदानी समूह को अतिरिक्त फायदा पहुंचाना उचित नहीं है सरकार को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए। एसबीआई द्वारा दिए गए कर्ज को भी व्यापारिक न मानते हुए राजनैतिक फैसला बताया जा रहा है।
-कुमार सुबोध