04-Feb-2015 06:27 AM
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कृषि विभाग ने लिखा बीमा कंपनी को पत्र, दावत अग्निकांड : जांच के बाद ही मिले बीमा राशि
ध्यप्रदेश में चावल की खेती कराने के नाम पर दावत फूड्स कंपनी ने अपना करोबार रायसेन जिले के मण्डीदीप औद्योगिक क्षेत्र में चालू किया था, दावत ने किसानों को बेवकूफ बनाने के नाम पर बीज देकर बासमती चावल उगाने की सीख दी। दावत कंपनी के कर्ताधर्ताओं ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को झांसे में डालकर सबसे पहले उन्हीं के गृहक्षेत्र बुदनी और उसके आसपास के इलाके में चावल की खेती के नाम पर छल किया। पहले मंडी शुल्क की चोरी, सेल्स टैक्स की चोरी और अब अपने ही संस्थान में आग लगाकर इंश्योरेंस कंपनी से दावा लेने की कोशिश कर रहा है। आग कब लगी, कैसे लगी और किसने लगाई? यह तो शोध का विषय है, परन्तु यह सही बात है कि आग लगी थी और आग में नष्ट हुए धान की कीमत जो आंकी गई है, उसका 10 प्रतिशत भी नुकसान दावत फूड्स को नहीं हुआ है। पंजाब से आए हुए उद्योगों के नाम पर पूरे प्रदेश में इसी तरह से छल किया जाता है। आग लगाने के बाद दावत कंपनी ने बीमा कंपनी से दावा लेने के लिए श्रम विभाग द्वारा जो प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की थी, उस मामले में सरकार के जवाबदार अधिकारी दावत फूड्स को बीमा कंपनी से क्षतिपूर्ति राशि दिलाने के लिए कंपनी के साथ सेटिंग क रके उक्त एफआईआर को खात्मा लगाने के प्रयास कर रहे हैं। हालांकि खात्मा अभी लगा नहीं है। अब खात्मा लगाने वाले अधिकारियों को सोचना पड़ेगा कि खात्मा लगाया जाए या नहीं लगाया जाए। क्योंकि उक्त मामले के संज्ञान में आते ही कृषि विभाग के अधिकारियों ने बीमा कंपनी को चि_ी लिखकर 4 बिन्दुओं की जांच के उपरांत ही बीमा सेटल करने की बात कही है।
मध्यप्रदेश के किसानों से छल करने वाली मंडीदीप में दावत फूड्स लि. के प्रांगण में रखे 180 कराड़ रुपए के धान के अग्निकांड में जल जाने के बाद 128 करोड़ रुपए की राशि क्षतिपूर्ति के रूप में दि ओरियंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से मांगी जा रही है, उसे लेकर किसान कल्याण तथा कृषि विभाग मध्यप्रदेश शासन के उप सचिव बीएस धुर्वे ने ओरियंटल इंश्योरेंस कंपनी को पत्र लिखा है कि दावत कंपनी को 189.72 करोड़ रुपए की हानि का दावा देने से पूर्व यह सुनिश्चित कर लिया जाए कि वह बासमती धान किसानों से ही क्रय किया गया था। संबंधित कृषकों की सूची दावत फूड्स लिमिटेड मंडीदीप से प्राप्त कर उसका सत्यापन करने के बाद ही कोई कार्रवाई होनी चाहिए। पत्र में यह भी लिखा है कि उक्त कंपनी द्वारा प्रस्तुत दावे के निराकरण के पूर्व बासमती धान के स्टाक का सत्यापन कराने के बाद ही सत्यापित स्टाक का भुगतान किया जाना विधि अनुकूल होगा। पत्र में बीमा कंपनी को सलाह दी गई है कि वह यह सुनिश्चित कर ले कि बासमती धान जलने की घटना किसी षड्यंत्र या आपराधिक कृत्य का परिणाम तो नहीं है या यह प्रकरण किसी मानवीय चूक के कारण तो घटित नहीं हुआ है। इस पत्र से साफ है कि दावत राइस मिल में लगी आग को प्रशासन भी संदेहास्पद मान रहा है।
ज्ञात रहे कि वर्ष 2014 में मंडीदीप स्थित दावत फैक्ट्री में एक साल के भीतर चौथी बार आग लगी जिसमें किसानों की 8 लाख 15 हजार धान की बोरिया जलकर नष्ट हो गई थी। इस मामले में कारखाना अधिनियम 1948 की धज्जियां उड़ाते हुए लापरवाही कर किसानों की कीमती धान के भंडारण की बात सामने आई थी। ऐसा प्रतीत हुआ कि इस अग्निकांड को रोकने के लिए मिल प्रबंधन ने पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं किए। अब कंपनी बीमा दावा चाहती है। लेकिन सवाल वही है कि लापरवाही की सजा किसे दी जाएगी।
किसान कल्याण तथा कृषि विभाग के पत्र के बाद दावत राइस मिल को बीमा का क्लेम आसानी से नहीं मिलेगा। इस राइस मिल को कतिपय कारणों से सरकार के कुछ ताकतवर लोगों का आशीर्वाद भी मिलता रहा है। कंपनी ने सरकार में अपने संपर्कों का फायदा उठाकर मंडी शुल्क में दी जाने वाली छूट भी हासिल कर ली थी। अब कंपनी की कलई खुल रही है। सही तरीके से जांच पड़ताल हो तो उन अधिकारियों के नाम भी सामने आ जाएंंगे जिन्होंने कंपनी को मनमानी करने की छूट दे रखी थी। अग्निकांड के भी बहुत से रहस्यों पर से पर्दा उठना बाकी है।
द्यभोपाल से श्याम सिंह सिकरवारध्यप्रदेश में चावल की खेती कराने के नाम पर दावत फूड्स कंपनी ने अपना करोबार रायसेन जिले के मण्डीदीप औद्योगिक क्षेत्र में चालू किया था, दावत ने किसानों को बेवकूफ बनाने के नाम पर बीज देकर बासमती चावल उगाने की सीख दी। दावत कंपनी के कर्ताधर्ताओं ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को झांसे में डालकर सबसे पहले उन्हीं के गृहक्षेत्र बुदनी और उसके आसपास के इलाके में चावल की खेती के नाम पर छल किया। पहले मंडी शुल्क की चोरी, सेल्स टैक्स की चोरी और अब अपने ही संस्थान में आग लगाकर इंश्योरेंस कंपनी से दावा लेने की कोशिश कर रहा है। आग कब लगी, कैसे लगी और किसने लगाई? यह तो शोध का विषय है, परन्तु यह सही बात है कि आग लगी थी और आग में नष्ट हुए धान की कीमत जो आंकी गई है, उसका 10 प्रतिशत भी नुकसान दावत फूड्स को नहीं हुआ है। पंजाब से आए हुए उद्योगों के नाम पर पूरे प्रदेश में इसी तरह से छल किया जाता है। आग लगाने के बाद दावत कंपनी ने बीमा कंपनी से दावा लेने के लिए श्रम विभाग द्वारा जो प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की थी, उस मामले में सरकार के जवाबदार अधिकारी दावत फूड्स को बीमा कंपनी से क्षतिपूर्ति राशि दिलाने के लिए कंपनी के साथ सेटिंग क रके उक्त एफआईआर को खात्मा लगाने के प्रयास कर रहे हैं। हालांकि खात्मा अभी लगा नहीं है। अब खात्मा लगाने वाले अधिकारियों को सोचना पड़ेगा कि खात्मा लगाया जाए या नहीं लगाया जाए। क्योंकि उक्त मामले के संज्ञान में आते ही कृषि विभाग के अधिकारियों ने बीमा कंपनी को चि_ी लिखकर 4 बिन्दुओं की जांच के उपरांत ही बीमा सेटल करने की बात कही है।
मध्यप्रदेश के किसानों से छल करने वाली मंडीदीप में दावत फूड्स लि. के प्रांगण में रखे 180 कराड़ रुपए के धान के अग्निकांड में जल जाने के बाद 128 करोड़ रुपए की राशि क्षतिपूर्ति के रूप में दि ओरियंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से मांगी जा रही है, उसे लेकर किसान कल्याण तथा कृषि विभाग मध्यप्रदेश शासन के उप सचिव बीएस धुर्वे ने ओरियंटल इंश्योरेंस कंपनी को पत्र लिखा है कि दावत कंपनी को 189.72 करोड़ रुपए की हानि का दावा देने से पूर्व यह सुनिश्चित कर लिया जाए कि वह बासमती धान किसानों से ही क्रय किया गया था। संबंधित कृषकों की सूची दावत फूड्स लिमिटेड मंडीदीप से प्राप्त कर उसका सत्यापन करने के बाद ही कोई कार्रवाई होनी चाहिए। पत्र में यह भी लिखा है कि उक्त कंपनी द्वारा प्रस्तुत दावे के निराकरण के पूर्व बासमती धान के स्टाक का सत्यापन कराने के बाद ही सत्यापित स्टाक का भुगतान किया जाना विधि अनुकूल होगा। पत्र में बीमा कंपनी को सलाह दी गई है कि वह यह सुनिश्चित कर ले कि बासमती धान जलने की घटना किसी षड्यंत्र या आपराधिक कृत्य का परिणाम तो नहीं है या यह प्रकरण किसी मानवीय चूक के कारण तो घटित नहीं हुआ है। इस पत्र से साफ है कि दावत राइस मिल में लगी आग को प्रशासन भी संदेहास्पद मान रहा है।
ज्ञात रहे कि वर्ष 2014 में मंडीदीप स्थित दावत फैक्ट्री में एक साल के भीतर चौथी बार आग लगी जिसमें किसानों की 8 लाख 15 हजार धान की बोरिया जलकर नष्ट हो गई थी। इस मामले में कारखाना अधिनियम 1948 की धज्जियां उड़ाते हुए लापरवाही कर किसानों की कीमती धान के भंडारण की बात सामने आई थी। ऐसा प्रतीत हुआ कि इस अग्निकांड को रोकने के लिए मिल प्रबंधन ने पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं किए। अब कंपनी बीमा दावा चाहती है। लेकिन सवाल वही है कि लापरवाही की सजा किसे दी जाएगी।
किसान कल्याण तथा कृषि विभाग के पत्र के बाद दावत राइस मिल को बीमा का क्लेम आसानी से नहीं मिलेगा। इस राइस मिल को कतिपय कारणों से सरकार के कुछ ताकतवर लोगों का आशीर्वाद भी मिलता रहा है। कंपनी ने सरकार में अपने संपर्कों का फायदा उठाकर मंडी शुल्क में दी जाने वाली छूट भी हासिल कर ली थी। अब कंपनी की कलई खुल रही है। सही तरीके से जांच पड़ताल हो तो उन अधिकारियों के नाम भी सामने आ जाएंंगे जिन्होंने कंपनी को मनमानी करने की छूट दे रखी थी। अग्निकांड के भी बहुत से रहस्यों पर से पर्दा उठना बाकी है।
- भोपाल से श्याम सिंह सिकरवार