शेरों को रास नहीं आया यूपी
03-Jan-2015 05:18 AM 1234958

उत्तरप्रदेश में दो शेरों की दहाड़ अब सुनाई नहीं देगी। इन शेरों की मौत ने कई सवाल खड़े किए हैं। अक्टूबर और नवंबर में लक्ष्मी और विष्णु नामक शेर किसी अंजान संक्रमण के शिकार हो गए। दरअसल इन दोनों को 10 सितंबर को कानपुर के चिडिय़ाघर से लाया गया था। लंबी यात्रा के दौरान पिंजरे में बंद रहने के कारण दोनों को कई जगह चोट भी लगी और उनके जख्मों से खून भी बह रहा था। इन्हें अलग रखा गया था लेकिन संक्रमण फैलता गया, जब तक वन विभाग के अधिकारी जाग्रत होते तब तक संक्रमण गहरा पहुंच चुका था और इसी संक्रमण ने दोनों की जान ले ली।

लॉयन सफारी इटावा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की स्वप्न परियोजना है, किंतु उनका स्वप्न इस तरह की लापरवाहीपूर्ण मौतों के कारण साकार होता नजर नहीं आ रहा। यदि यही आलम रहा तो सफारी में और भी कई मौतें देखने को आ सकती हैं। संरक्षित अभ्यारणों और चिडिय़ाघरों में जब इस तरह की मौतें होती हैं तो कई सवाल खड़े होते हैं। दिक्कत यह है कि जितने भी सिंह जोड़ों को इटावा सफारी के लिए लाया जा रहा है उन्हें ब्रीडिंग के लिए एक तरह से नजरबंद करके ही रखना पड़ता है क्योंकि खुले में छोडऩे के लायक यह सफारी अभी बनी नहीं है, काम चल रहा है।
सफारी में शेरों को खुले में विचरण के लिए छोडऩे में अभी एक साल का समय लगेगा। फिलहाल सफारी की भौगोलिक स्थिति ऐसी नहीं है जिसमें शेरों को छोड़ा जा सके। अभी वहां काफी काटें हैं। शेरों के पंजे गद्देदार व मुलायम होते हैं और इन्हें काटों से नुकसान पहुंच सकता है। ब्रीडिंग सेंटर को तो पूरी तरह से कांटा मुक्त कर दिया गया है। अब जब पूरे परिसर से कांटे तथा अन्य नुकीली वस्तुओं को हटा दिया जाएगा तभी शेरों को खुले में छोड़ा जाएगा। नियमों के अनुसार लॉयन सफारी को पर्यटकों के लिए तभी खोला जाएगा जब इसमें कम से कम दस शावक हो जाएंगे। इसीलिए ब्रीडिंग का कार्य शुरू करा दिया गया है ताकि जल्द ही सफारी क्षेत्र में दस शावक हो जाएं और इसे पर्यटकों के लिए खोला जा सके।
सवाल यह है कि जब बीमारी का पता लगाने में डॉक्टर नाकाम हो चुके हैं, तो फिर इलाज किस बीमारी का कर रहे थे? यह बात हर किसी के समझ से परे मानी जा रही है। बीमारी पता करने के लिए परीक्षण दर परीक्षण किये जा रहे थे। लॉयन सफारी के शेरों को कौन सी बीमारी ने घेरा हुआ है यह पकड़ा नही जा सका। शेरों के बीमार होने और उनकी मौत के सही कारणों का पता नहीं लग पाने के बाद अफसरों पर कोई असर नहीं है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने पिता मुलायम सिंह के ड्रीम प्रोजेक्ट लॉयन सफारी को पूरा करने के लिए तनमयता से जुटे हुए हैं। लेकिन वन अमले के आला अफसर इस ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करने के नाम उनको गुमराह कर लाखों रुपए बरबाद करने में जुटे हुए हंै।
सरकारी धन की यह बरबादी मुख्यमंत्री के लॉयन सफारी में अवलोकन करने के नाम पर बड़े तादात में अफसरों की आमद के बहाने हो रही है। सिर्फ इतना ही नहीं राजधानी लखनऊ से वन विभाग के अफसरों की भारी फौज इटावा आकर मौज मस्ती करके लौट जाती है। लेकिन लक्ष्मी और विष्णु के संग जिन अधिकारियों को आना था वे नहीं आए, इस कारण उनकी देखभाल समय पर नहीं हो सकी। दोनों के घाव बढ़ते ही गए। मृत शेरों के शरीर को देखने से साफ पता चलता है कि उनकी बुरी तरह दुर्गति के बाद मृत्यु हुई है।
घावोंं में संक्रमण इतना ज्यादा फैल गया था कि ग्लूकोज और बाकी दवाओं का जरा भी असर नहीं हुआ। हालांकि वन विभाग के कर्मचारी और अधिकारी इस मामले को दबाने में लगे हैं, लेकिन इस प्रकरण में इटावा ने इस अभ्यारण्य के भविष्य पर सवाल खड़े किए हैं। आने वाले दिनों में ब्रीडिंग के लिए देश के कई चिडिय़ाघरों से सिंह यहां लाए जाएंगे लेकिन इसी तरह सिंहों की मृत्यु होती रही तो यह प्रोजेक्ट किसी काम का नहीं रहेगा।

  • आर.के. बिन्नानी
FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^