बिल गेट्स पी सकते हैं तो हम क्यों नहीं?
19-Jan-2015 10:53 AM 1234862

पा  नी की समस्या के प्रभावी समाधान के लिए ओमनीप्रोसेसर एक अच्छी तकनीक है, जिसका स्वागत किया जाना चाहिए। बिल गेट्स ने शौचालय के दूषित जल से स्वच्छ पेयजल बनाने का जो प्रोजेक्ट हाथ में लिया है उसके तहत ओमनीप्रोसेसर नामक प्लांट बनाया जाता है। जो गंदे से गंदे पानी को भी मिनरल वॉटर के समान स्वच्छ और पीने योग्य बना देती है। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने सिएटल की एक कंपनी जैनीकी बायोएनर्जी के साथ तालमेल किया है। इस तकनीक में 1 लाख लोगों के मल-मूत्र से 86 हजार लीटर पेयजल प्राप्त किया जा सकता है, जो 17,200 वयस्कों के दिनभर के पेयजल की आवश्यकता की पूर्ति कर सकता है। प्लांट में लगी मशीनों में इंसानी मल-मूत्र को 1000 डिग्री सेल्सियस के ऊंचे तापमान पर जलाया जाएगा, ताकि उसमें मौजूद बदबू निकल जाए। इस तापमान पर प्रोसेस करने के बाद यह अमेरिका में एमिशन के लिए तय मानकों पर खरा उतरेगा। बिल गेट्स ने दावा किया कि भारत जैसे देशों के लिए यह नई तकनीक गेम चेंजर साबित हो सकती है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक साल खराब साफ-सफाई के कारण बीमारियों से 700,000 बच्चों की मौत होती है। यदि हम इस प्रकार की सुरक्षित तकनीक का विकास कर सकते हैं, तो इससे इंसानी मल-मूत्र से गंदगी फैलने की संभावना भी कम हो जाएगी। बच्चों का स्वास्थ्य सुरक्षित हो सकेगा। बिल गेट्स के साथ मिलकर काम कर रहे जैनेकी बॉयोएनर्जी के संस्थापक पीटर जैनेकी ने इस प्रोजेक्ट के तहत प्लांट की स्थापना और उसकी लागत का अनुमान लगाने के लिए भारत और अफ्रीका जैसे देशों का दौरा किया। बिल गेट्स का कहना है कि उनका उद्देश्य इस प्लांट को लगाने की लागत को कम करने का है, ताकि भारत जैसे देश में कम निवेश के साथ इसे वेस्ट ट्रीटमेंट बिजनेस के रूप में भी शुरू किया जा सके।
क्या है ओमनीप्रोसेसर
ओमनीप्रोसेसर नामक यंत्र में भाप, दाह और फिल्टरेशन से पानी बनता है। इसका अंतिम उत्पाद किसी बॉटल्ड वाटर के समान है। मानव गंदगी से पानी बनाने का विचार एक ऐसा ही विचार है जिसे खुद बिल गेट्स ने समर्थन दिया है। इस मशीन के बारे में स्वयं बिल गेट्स ने अपने ब्लॉग पर लिखा है कि मैंने खुद इस मशीन की कार्यप्रणाली को देखा और इससे बनाया गया पानी भी पिया। कम से कम 2 अरब लोग दुनिया में लैट्रिन्स का इस्तेमाल करते हैं जिन्हें समुचित तरीके से ड्रेन नहीं किया जाता है जबकि अन्य लोग खुले में शौच करते हैं। इस गंदगी में भी लाखों लोगों के लायक पानी होता है। यह गंदगी पेयजल को भी दूषित करती है जिसके घातक परिणाम होते हैं। दूषित पेयजल से प्रतिवर्ष सारी दुनिया में करीब 7 लाख बच्चों की मौतें होती हैं। इसके कारण लाखों की संख्या में दुनिया में मानसिक और शारीरिक कमियों के साथ बच्चे पैदा होते हैं। ओमनीप्रोसेसर बनाने वाली फर्म का कहना है कि 15 लाख डॉलर का यह प्लांट (संयंत्र) करीब एक लाख लोगों के समुदाय की पानी की जरूरतों को पूरा कर सकता है। गेट्स का कहना है कि इस समस्या का हल पश्चिमी देशों में बनने वाले टॉयलेट्स भी नहीं हैं, क्योंकि इनके लिए भी आपको सीवर लाइनों के भारी निर्माण करने होते हैं और ट्रीटमेंट प्लांट्स बनाने पड़ते हैं, जो कि गरीब देशों के लिए व्यवहार्य नहीं हैं। इसलिए अब योजना यह है कि ओमनीप्रोसेसर को मानव गंदगी का सुरक्षित संग्राहक बनाया जाए। इस मशीन को विकसित करने वाले पीटर जानिकी और उनके परिवार ने इस काम को अपने हाथ में लिया और वे लोग अनेक बार अफ्रीका और भारत की यात्रा पर गए। इन यात्राओं से उन्हें समस्याओं की गंभीरता का अंदाजा लगा था। प्लांट को बड़े पैमाने पर बनाने के लिए फाउंडेशन जैनिकी का वित्तपोषण भी कर रहा है। इसी के साथ फाउंडेशन सेनेगल की राजधानी डकार में ओमनीप्रोसेसर को स्थापित करने की शुरुआत करने जा रही है।
दो अरब लोगों को नहीं मिलता है पीने का साफ पानी
दुनिया में करीब 2 बिलियन लोग (पूरे विश्व की कुल जनसंख्या के 35 प्रतिशत लोगों) को साफ-सफाई की बेहतर सुविधा न होने से पेयजल से जुड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। कई बार यह बात सामने आई है कि पेयजल आपूर्ति दूषित होने और उसमें मल-मूत्र जैसे हानिकारक पदार्थ मिले होने के चलते लोगों का जीवन खतरे में पड़ रहा है।

धर्मेन्द्र सिंह कथूरिया

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