02-Mar-2013 09:12 AM
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कर्नाटक की राजधानी बेंगलोर में एक चित्रकला प्रदर्शनी से जब कथित रूप से कुछ चित्र इस आधार पर हटा लिए गए कि उनसे हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचता है तो प्रदेश में बड़ा बवाल मचा। किसी भी प्रकार की कट्टरपंथी कोशिशों के विरुद्ध बवाल मचना गलत नहीं है। इस तरह के कदमों को प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता, लेकिन इन बवाल मचाने वालों ने बैंगलोर में फलती-फूलती देह की मंडी पर एक भी सवाल खड़ा नहीं किया। आज आलम यह है कि मुंबई से बेरोजगार हुई बार गर्ल ने बैंगलोर की रातों को गुलजार कर रखा है और पुलिस तमाशा देखती रहती है। इसी कारण बैंगलोर अब देश की सेक्स डेस्टीनेशन में शुमार हो गया है तथा यहां ऐश करने के लिए देश के कोने-कोने से लोग आते हैं।
हालाँकि डांस बार पर रोक तकनीकी रूप से जारी है मगर अब इन्हें शर्तों पर खोला गया है। शर्त है कि यहाँ पर लड़कियों का नाच नहीं होगा। वो सिर्फ बार में बैरे का काम करेंगी। यानी अब वो इन बारों में सिर्फ शराब परोसेंगी। नयी शर्तों के बाद ये डांस बार लेडीज़ बारÓ के नाम से जाने जा रहे हैं। बंगलौर के अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर टी सुनील कुमार का कहना है कि डांस बार पर प्रतिबन्ध आज भी जारी है मगर डिस्को चलाने के लिए लाइसेंस दिए जा रहे हैं। डिस्को में सिर्फ जोड़े जाते हैं जो वहां जाकर डांस करते हैं। वहां पर पहले से लड़कियां नहीं होतीं हैं जबकि डांस बार में लड़कियां पहले से मौजूद रहती हैं और वो वहां नाचती हैं। हमने इसकी इजाज़त नहीं दी है। अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर का कहना है कि जिन लेडीज बारों को खोले जाने की अनुमति दी गई है वहां पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। बार संचालकों से कहा गया है कि वो सारी गतिविधियों को कैमरे में कैद करें।
मगर कुछ लोग इस फैसले से खुश नहीं हैं क्योंकि वो कहते हैं सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने का फैसला आम आदमी की निजता में दखलंदाजी है। मगर पुलिस का कहना है कि ये बार में जिस्मफरोशी को रोकने की दृष्टि से किया गया है। सुनील कुमार के अनुसार लोगों को पता रहेगा कि उनकी हर गतिविधि कैमरे में रिकॉर्ड हो रही है तो वो एहतियात बरतेंगे। लेडीज बार खुलने से विवाद भी बढ़ता जा रहा है क्योंकि अब डिस्को चलाने वाले और लेडीज बार संचालक आमने-सामने आ गए हैं। लेडीज बार संचालकों का कहना है कि इस मामले में पुलिस दोहरा मापदंड अपना रही है। उनका आरोप है कि जहाँ उनके लिए नियम को कड़ा कर दिया गया है वहीं डिस्को की आड़ में लड़कियों को ग्राहकों के सामने परोसा जा रहा है। इस बार की ज़्यादातर लड़कियां हिंदी भाषी हैं जो आगरा, ग्वालियर और पंजाब की रहने वाली हैं। पहले ये मुंबई के बार में काम किया करती थीं। फिर बार के बंद होने के बाद ये बंगलौर चली आईं। सबका कहना था कि बंदी के दिनों में वो बड़ी मुश्किल से अपना गुजारा कर पाती थीं। उनका कहना है कि वो शादी या फिर दूसरे समारोह में नाच कर किसी तरह गुजर किया करती थीं। वैसे डांस बार की लड़कियां बताती हैं कि एक बार डांसर का जीवन 16 वर्ष की उम्र से शुरू होता है। जैसे-जैसे उम्र ढलती है, इन्हें कोई नहीं पूछता। बाद की जि़न्दगी बेहद तकलीफदेह बन कर रह जाती है क्योंकि इनकी कीमत इनके चेहरे से लगाई जाती है। ज्यादा उम्र वाली औरतों का बार में कोई काम नहीं। जो ग्राहक इन पर कुछ साल पहले तक पैसे लुटाया करते थे, अब इनकी तरफ मुड़ कर देखते भी नहीं। बैंगलोर ही नहीं दक्षिण भारत के प्राय: सभी प्रमुख बड़े शहरों में नाच गाने के नाम पर वेश्यावृत्ति का धंधा तेजी से चल रहा है। एक अनुमान के मुताबिक संपूर्ण उत्तर भारत से सैंकड़ों लड़कियां प्रतिवर्ष तस्करी के द्वारा दक्षिण भारत पहुंचाई जाती है। जहां पर डांस बारों का प्रचलन अब पहले की अपेक्षा काफी बढ़ गई हैं। कुछ समय पूर्व राष्ट्रीय क्राइम ब्यूरो ने भी एक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए दक्षिण भारत में तेजी से बढ़ रहे देह व्यापार पर चिंता प्रकट की थी।
आरके बिन्नानी