02-Mar-2013 08:57 AM
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लगता है केंद्र सरकार और हिमाचल सरकार ने योग गुरु रामदेव को पूरी तरह पस्त करने की तैयारी कर ली है। केंद्र सरकार के प्रवर्तन निदेशालय का शिकंजा वैसे ही रामदेव के ऊपर कसा हुआ है और अब हिमाचल प्रदेश में रामदेव को दी गई 96.8 बीघा जमीन का पट्टा रद्द करके सरकार ने आर-पार की लड़ाई छेड़ दी है। यही नहीं हिमाचल में तो रामदेव का प्रवेश ही रोक दिया गया है। साधु कुल में योग पीठ के उद्घाटन कार्यक्रम में रामदेव को रोका जाना इस बात का प्रमाण है कि केंद्र सरकार ने रामदेव के साम्राज्य को पूरी तरह ध्वस्त करने की तैयारी कर ली है और अब राज्यों की कांग्रेसी सरकारें भी रामदेव के विरोध में खुलकर सामने आ गई हैं। उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार बनने से रामदेव पहले ही परेशानी में घिरे हुए हैं, उनके हर्बल फूड पार्क को पानी में हानिकारक रसायन मिलने पर हरिद्वार में नोटिस थमा दिया गया है। लेकिन अब हिमाचल में भी उनकी परेशानियां बढ़ गई हैं। भाजपा सरकार ने वर्ष 2010 में 1 रुपए प्रतिवर्ष की सांकेतिक राशि पर पतंजलि योगपीठ को सोलन जिले के साधुकुल के निकट लगभग 28 एकड़ जमीन (96.8 बीघा) पट्टे पर दी थी। कांग्रेस उस समय विपक्ष में थी और उसने इस जमीन दिए जाने का जोरदार विरोध किया था। सत्ता में आते ही कांगे्रस ने सबसे पहले जमीन के कागज मंगवाए और अब कुछ माह लगभग डेढ़ माह के भीतर ही यह लीज निरस्त कर दी गई है। इस बीच बाबा रामदेव ने केंद्र सरकार पर उन्हें बदनाम करने का भी आरोप लगाया है और यह कहा है कि सरकार ने उन्हें उस दाम के लिए नोटिस भेजा है जो आयकर के कानूनों के तहत आयकर से मुक्त हैं।
बाबा रामदेव से केंद्र सरकार की लड़ाई पुरानी है। यह लड़ाई उस वक्त खुलकर सामने आ गई थी जब बाबा रामदेव और उनके समर्थक दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन पर बैठ गए थे। केंद्र सरकार ने रामदेव को मनाने की भरसक कोशिश की लेकिन रामदेव राजी नहीं हुए। हालांकि सरकार का कहना था कि रामदेव ने पहले हामी भरी और उसके बाद धोखे से आंदोलन जारी रखा। इस आंदोलन पर सरकार कहर बनकर टूट पड़ी थी, जिसके बाद सरकार की लानत-मलानत भी हुई थी, लेकिन कांग्रेस ने बाद में जो सियासी चालें चलीं उसके बाद रामदेव को लगातार परेशानियां उत्पन्न होती गईं। प्रवर्तन निदेशालय ने गत वर्ष विदेशी मुद्रा विनिमय कानूनों के कथित उल्लंघन पर रामदेव बाबा और उनके दो ट्रस्टों के खिलाफ नोटिस भी जारी किए थे, बताया जाता है कि यह नोटिस 60 लाख रुपए के कथित भुगतान के खिलाफ जारी किए गए थे। इसी तरह के नोटिस उनके करीबी बालकृष्ण के खिलाफ एक खाद्य फर्म के सह निदेशक होने के लिए भी जारी किए गए थे। इस बीच बालकृष्ण की गिरफ्तारी भी हुई और उधर रामदेव को जब नोटिस दिया गया तो उन्होंने कहा कि सरकार ने 70 करोड़ रुपए के दान पर 35 करोड़ रुपए का टैक्स लगाया है जो कि सरासर गलत है।
काली कमाई को भारत लाने के लिए प्रयासरत रामदेव का आर्थिक साम्राज्य भी कहीं न कहीं सरकार की नजरों में किरकिरी बनता रहा है। सोलन में जिस जमीन की लीज रद्द की गई है उस पर रामदेव के ट्रस्ट का करीब 11 करोड़ रुपए लग चुका है। वहां दो मंजिला भवन बनकर तैयार है जिसकी पहली मंजिल में ओपीडी की तैयारी थी। विशाल योग हॉल का काम पूरी हो चुका है। जड़ी बूटी के विक्रय केंद्र भी बनकर तैयार है। पक्की सड़क पार्किंग औषधि उद्यान के अलावा लाइटिंग भी फिट हो चुकी है। इस निर्माण स्थल पर काम कर रहे सैकड़ों लोग सरकार के फैसले से आहत हैं क्योंकि उन्हें अपना रोजगार छिनने का खतरा लगने लगा है। देखना यह है कि जो निर्माण हो चुका है उसका क्या किया जाता है। क्या सरकार इस निर्माण पर बुल्डोजर चलवाएगी या फिर रामदेव इस निर्णय के खिलाफ कोर्ट की शरण लेंगे। नाहन के विधायक डॉ. बिंदल का कहना है कि जबसे हिमाचल बना है तब से सरकार ने हजारों लोगों को लीज पर भूमि दी है और इसमें से 99 फीसदी लीज कांग्रेस के कार्यकाल में दी गई है। सरकार को लीज रद्द करनी है तो सभी की लीज रद्द करे किसी एक को टारगेट बनाना ठीक नहीं है। सरकार द्वारा लीज रद्द करने का निर्णय राज्य में राजनीतिक रंग लेने लगा है। रामदेव का कहना है कि वे इसे एक चुनावी मुद्दा बनाएंगे। कांग्रेस ने भाजपा और रामदेव के आरोपों को झुठलाते हुए कहा है कि इस जमीन का उपयोग धार्मिक या परमार्थ कार्य के लिए नहीं बल्कि बाबा रामदेव अपने व्यवसाय के लिए कर रहे हैं। इसी कारण इसकी लीज रद्द किए जाने का फैसला उचित है। सरकार और बाबा रामदेव की टकराहट ने उन हजारों लोगों को निराश किया है जो पतंजलि योगपीठ के माध्यम से रोजगार पाने की आशा लगाए बैठे थे। बाबा रामदेव हिमाचल में योग शिक्षा एवं आरोग्य केंद्रों का विस्तार करने की बड़ी योजना पर काम कर रहे थे। सरकार के इस फैसले के बाद अब उनके काम के स्थगित होने की आशंका पैदा हो गई है। कारण चाहे जो हो लेकिन केंद्र सरकार में महत्वपूर्ण घटक कांग्रेस ने जता दिया है कि वह आक्रामक होने के साथ-साथ सरकारी संसाधनों का अपने विरोधियों के खिलाफ भरपूर सदुपयोग करना जानती है। रामदेव विरोधी इस अभियान ने सरकार की मुखालफत कर रहे कई और धर्मगुुरुओं से लेकर आध्यात्मिक लोगों को सचेत कर दिया है। खबर है कि रामदेव सरकार की इस करतूत का जवाब राजनीति से देना चाहते हैं और इसके लिए उन्होंने राजनीति में उतरने की भी योजना बनाई है। उनकी यह योजना कितनी कारगर होती है यह आगामी दिनों में पता लग जाएगा।
अजय धीर