02-Jan-2015 06:22 AM
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मध्यप्रदेश सरकार द्वारा पेट्रोल, डीजल पर वैट बढ़ाने से गृहमंत्री बाबूलाल गौर चिंतित हैं। उन्हें लगता है कि इससे पंचायत चुनाव में फर्क पड़ेगा। सारे देश में एक समान पेट्रोल, डीजल के दाम न होने की विसंगति मध्यप्रदेश की जनता भुगत रही है। यहां पेट्रोल पर 31 और डीजल पर 27 प्रतिशत वैट लिया जा रहा है जोकि अन्य राज्यों के मुकाबले सर्वाधिक है। सरकारी खर्चे के कारण दिवालिया होने की कगार पर पहुंची मध्यप्रदेश सरकार को जनता पर भार डालना मुनासिब लगा और पिछले दिनों वैल्यू एडेड टैक्स में डीजल तथा पेट्रोल पर 4 प्रतिशत की वृद्धि कर दी गई।
इसका अर्थ यह हुआ कि जो कमी पेट्रोल और डीजल के दाम में आई थी वह फिर से पूर्व स्थिति में पहुंच गई। इससे सरकार को हर साल 880 करोड़ रुपए का राजस्व मिलेगा। यानी राजस्व बढ़ाने के लिए जनता की जेब ही काटी जा रही है। इसी कारण ना तो माल भाड़े की ढुलाई में कोई कमी आई और ना ही सार्वजनिक परिवहन सस्ता हुआ।
महंगाई की दर वैसी की वैसी ही है। दूसरी तरफ एक आशंका यह भी है कि मध्यप्रदेश में बाहर से आने वाले वाहन डीजल नहीं भरवाएंगे, क्योंकि यहां महंगा है। हालांकि इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन डीजल सस्ता रहता तो मध्यप्रदेश से गुजरने वाले अन्य राज्यों के वाहन यहीं से डीजल भराते।
मध्यप्रदेश के नीति निर्माताओं को राजस्व प्राप्त करने का यही एक रास्ता समझ में आया। जहां तक सरकारी खर्चे का प्रश्न है, मध्यप्रदेश में अफसर-मंत्रियों से लेकर छोटे-मोटे पदाधिकारियों तक सभी के ठाठ हैं। सभी के पास सरकारी गाडिय़ों का पूरा हुजूम है। बंगलों के रख-रखाव से लेकर महंगी यात्राओं और स्वयं तथा कारिंदों पर अनाप-शनाप खर्च के लिए पैसा है। शहर की नालियां और गलियां भले ही बदबूदार रहें लेकिन मंत्रियों के बंगले चमचमाते हैं। बंगलों की मरम्मत में मिनटों की देरी भी बर्दाश्त नहीं की जाती। इन सबके लिए खजाना खुला है। लेकिन जैसे ही खजाने में कोई कमी की आशंका पैदा हो तो जनता की जेब काटने का इंतजाम किया जाता है। पेट्रोल और डीजल के दामों में वैट बढऩे के कारण हुई बढ़ोतरी भी इसी कारण है। अब मंत्रियों को जनता की नाराजगी की चिंता भी सता रही है।
बाबूलाल गौर का कहना है कि भोपाल और इंदौर समेत पंचायतों के चुनाव होने है। ऐेसे में वैट बढ़ाना ठीक नहीं है इसका खामियाजा पार्टी को पंचायत चुनाव में भुगतना पड़ सकता है। परिवहन मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने भी चिंता प्रकट की है, उनका कहना है कि केंद्र सरकार सड़क विकास निधि के लिए पेट्रोल, डीजल पर 2 रुपए प्रति लीटर फंड इक_ा करती थी इसी तरह राज्य में भी कोई फंड बना दिया जाए जिससे वैट बढ़ाए बगैर सरकार के पास पैसा आ जाए। लेकिन सरकार जनता पर भार डालने के उपाय ही क्यों खोजती है। सिगरेट पर वैट सीधे-सीधे 37 प्रतिशत से घटाकर 14 प्रतिशत कर दिया गया। क्योंकि सिगरेट की तस्करी हो रही थी, अन्य राज्यों से सस्ती सिगरेट लाकर बेची जा रही थी। जबकि सिगरेट को लेकर सारे भारत में अभियान भी चल रहा है और कैंसर के प्रति जागरूक भी किया जा रहा है।
सीमावर्ती राज्यों में बिक्री बढ़ी
सिगरेट पर वैट कम करने के कदम से सरकार की आलोचना हुई। प्रदेश में ईंधन के दाम बढऩे से सीमावर्ती राज्यों के पेट्रोल पंप पर 4 से 6 गुना ज्यादा बिक्री होने की संभावना है। गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र जैसे सीमावर्ती राज्यों में पेट्रोल, डीजल सस्ता होने के कारण मध्यप्रदेश के वाहन चालक भी वहीं का रुख करेंगे। इससे बिक्री में कमी आएगी लेकिन फिर भी राजस्व तो बढ़कर मिलेगा ही, क्योंकि सारा प्रदेश तो सीमा से बाहर जाकर पेट्रोल, डीजल ले नहीं सकता। ऐसा संभव नहीं है।