20-Dec-2014 03:32 PM
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महाराष्ट्र में शिवसेना को उसकी औकात बताने के बाद अंतत: भाजपा ने शिवसेना के कोटे से 10 मंत्रियों को शामिल करते हुए कुछ सांत्वना दी है। इनमें से 5 कैबिनेट और 5 राज्य मंत्री बनाए गए हैं। विधानसभा में भाजपा सरकार पहले ही बहुमत साबित कर चुकी है, इसलिए यह मंत्रिमंडल विस्तार भविष्य में सरकार का स्थायित्व तय करेगा।
शिवसेना ने वस्तुस्थिति को समझते हुए भाजपा के साथ आने का फैसला किया है, क्योंकि उसके कई विधायक टूटने की कगार पर थे। अब इन विधायकों की योजना पर फिलहाल विश्राम लगेगा। शिवसेना अभी भी इस कोशिश में है कि कुछ ज्यादा मंत्री पद मिल जाएं, लेकिन भाजपा ने अभी कोई संकेत नहीं दिए हैं। कुछ समय पश्चात एक मंत्रिमंडल का विस्तार और हो सकता है। शिवसेना कोटे से जो कैबिनेट मंत्री बने हैं उनमें सुभाष देसाई, दिवाकर रावते, एकनाथ शिंदे, रामदास कदम और डॉ. दीपक सावंत के नाम हैं। वहीं रविंद्र वायकर, विजय शिवतारे, राजेश क्षीरसागर, दीपक केसरकर और संजय राठौर को राज्यमंत्री बनाया गया है। संजय तुलीचंद्र राठौड़ कई चुनाव लगातार जीतते रहे हैं। बंजारा समुदाय से हैं। यवतमाल के दिग्रस से विधायक। तीसरी बार विधानसभा पहुंचे हैं। कांग्रेस के उभार के दिनों में भी शिवसेना की पताका अपने क्षेत्र में ऊपर रखने वाले नेता हैं। अपने क्षेत्र में अकेले अपने दम पर पार्टी को मजबूत रखा है। पुणे से विजय शिवतारे शिवसेना के इकलौते चेहरे हैं। दूसरी बार विधानसभा का चुनाव जीते हैं। युवा और आक्रमक छवि होने के कारण उन्हें शिवसेना का प्रवक्ता बनाया गया है।
विजय सोपानराव शिवतारे कृषि विषय पर अच्छी जानकारी रखते हैं। शरद पवार के गढ़ बारामती के पास पुरंदर से दूसरी बार विधायक बने हैं। पवार के कट्टर विरोधी माने जाते हैं। दादाजी दगड़ु हसन (शिवसेना) को भी राज्यमंत्री बनाया गया है। ठाकरे परिवार के निष्ठावान कहलाने वाले दिवाकर रावते विधान परिषद सदस्य हैं। उन्हें बालासाहब ठाकरे का दूतÓ भी कहा जाता था। मुंबई महापालिका में वे पार्षद, सदन के नेता, महापौर जैसे पदों पर काम कर चुके हैं। 1995 में शिवसेना-भाजपा गठबंधन की सरकार में मंत्री भी बनाए गए थे। अनुभव और पार्टी के लिए दिए गए योगदान के कारण उन्हें कैबिनेट मंत्री का पद दिया गया।
सुभाष देसाई शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे के करीबी माने जाते हैं। गोरेगांव विधानसभा क्षेत्र से वे शिवसेना का लंबे अरसे से प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। गठबंधन की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। इस विधानसभा चुनाव में उन्हें भाजपा की उत्तर भारतीय उम्मीदवार विद्या ठाकुर ने करारी शिकस्त दी थी। इसके बावजूद उन्हें मंत्री बनाया गया तो केवल इसलिए, क्योंकि भाजपा-शिवसेना गठबंधन टूटने के बाद देसाई ने शिवसेना के नेताओं को एकजुट रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
रामदास कदम शिवसेना की स्थापना से लेकर अब तक पार्टी में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। कदम पार्टी के बड़े नेता हैं और अहम पदों पर काम कर चुके हैं। रत्नागिरी जिले के खेड निर्वाचन क्षेत्र से वे लगातार चौथी बार चुने गए हैं। एकनाथ शिंदे ठाणे जिले के कोपरी पाचपाखाडी निर्वाचन क्षेत्र से चौथी बार चुने गए हैं। जब भाजपा और शिवसेना के बीच सीट को लेकर विवाद हुआ था, तब शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने शिंदे को ही विरोधी दल के नेता की जवाबदारी सौंपी थी। एकनाथ शिंदे को अनुभवी और आक्रामक नेता के रूप में जाना जाता है। ठाणे जिले में उन्होंने कई विकास कार्य किए हैं। शिवसेना के अन्य नेताओं का भी उन्हें समर्थन प्राप्त है। लोकसभा चुनाव के दौरान उद्धव ठाकरे ने उनके बेटे को टिकट दिया था। शिंदे का अपने क्षेत्र में दबदबा होने के कारण उनके बेटे श्रीकांत को भी इसका फायदा मिला और वे लोकसभा चुनाव में विजयी रहे।