20-Dec-2014 03:16 PM
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मध्यप्रदेश में धार जिले के डही नामक गांव में पिछले वर्ष आदिवासी कन्या छात्रावास में कीटनाशक पीकर अपनी जीवन लीला समाप्त करने वाली छात्रा का मामला विधानसभा के शीतकालन सत्र के दौरान गर्माया रहा। सत्ता पक्ष और प्रतिपक्ष में तीखी बहस भी हुई। इस मामले में फिजिकल ट्रैनिंग इंस्ट्रक्टर रमेश सोलंकी को हटाने की मांग पर विपक्ष अड़ा हुआ था, लेकिन सोलंकी को बचाने की भरसक कोशिश की जा रही थी। बहरहाल विपक्ष के दबाव में सोलंकी को हटा तो दिया है, लेकिन यह मुद्दा पिछले एक वर्ष से ज्वलंत बना हुआ है।
कांग्रेस के विधायक सुरेंद्र सिंह बघेल ने ध्यानाकर्षक प्रस्ताव के जरिए सरकार पर आरोप लगाया था कि आदिवासी छात्रावासों की देखरेख में सरकार लापरवाही बरत रही है और छात्राओं पर अत्याचार करने वालों को सरकारी संरक्षण प्राप्त है। इसके बाद सदन में हंगामा मच गया तथा पांच मिनट के लिए कार्यवाही भी स्थगित करनी पड़ी। दरअसल यह मामला कबड्डी की एक राष्ट्रीय स्तरीय खिलाड़ी से जुड़ा हुआ है। बताया जाता है कि इस छात्रावास में सोनल सोलंकी अधीक्षिका थीं और उनके पति रमेश सोलंकी फिजिकल ट्रैनिंग इंस्ट्रक्टर हैं। रमेश सोलंकी कथित रूप से छात्राओं को प्रताडि़त करते हैं, जिसके कारण ही उक्त छात्रा ने कीटनाशक पीकर आत्महत्या की थी। 9 दिसंबर को भी इसी छात्रावास में एक आदिवासी छात्रा को समय पर उपचार नहीं मिलने के कारण उसकी मौत हो गई थी। वर्तमान में भी 4 छात्राएं धार जिला अस्पताल में भर्ती हैं। सरकार का कहना है कि विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोप गलत हैं। विभागीय मंत्री ज्ञान सिंह ने विधानसभा में बताया कि उक्त छात्रा ने कीटनाशक छात्रावास में न पीकर अपने गांव में पिया था, जहां वह दो दिन का अवकाश लेकर गई थी। मंत्री महोदय ने प्रताडऩा की घटना से भी इंकार किया। उधर जिस छात्रा की मृत्यु हुई थी, उसे भी पहले इंदौर रेफर किया गया था, जहां छात्रा के पिता ने अपनी जिम्मेदारी पर छात्रा को निजी अस्पताल रेफर करा लिया, जहां पर उसकी मृत्यु हो गई। हालांकि इस मामले में अधीक्षिका रश्मि तिवारी को लापरवाही करने के आरोप में बर्खास्त भी किया जा चुका है। सोनल सोलंकी की सेवाएं भी समाप्त कर दी गई थीं, लेकिन वह अपीलीय अधिकारी के समक्ष गई और उनके निर्देश पर सोलंकी को संविदा शाला शिक्षक वर्ग-3 के मूल पद पर सरकारी कन्या विद्यालय में पदस्थ किया गया। दरअसल पेंच यहां नहीं है। जिस तरह सोनल के पति रमेश सोलंकी का बचाव किया जा रहा है, वही असली मुद्दा है। सरकार का कहना है कि सोलंकी को हटाया गया था लेकिन वह न्यायालय से स्थगन ले आया। बाद में विधानसभा अध्यक्ष के कहने पर मंत्री ने मामले की जांच कराने और उस दौरान संबंधित खेल शिक्षक को धार जिला मुख्यालय पर अटैच करने की सहमति दी। आदिवासी छात्रावासों में हत्या, बलात्कार, प्रताडऩा से लेकर अमानवीय अत्याचार की खबरें रुक नहीं रही हैं। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में पिछले दिनों ऐसे कई मामले हुए जिनमें यह पता चला कि मासूम बच्चियों का यौन शोषण भी किया गया। कुछ समय पहले कन्या आदिवासी छात्रावास खरगौन से बीए का पेपर देने गई सपना नामक एक कन्या का अधजला शव पाया गया था और उसकी हत्या की आशंका व्यक्त की गई थी। ऐसी कई घटनाएं हैं। आदिवासी कन्या आश्रमों या छात्रावासों में सुरक्षा व्यवस्था से लेकर तमाम व्यवस्थाएं दयनीय स्थिति में हैं, जिसका फायदा उठाकर इस तरह की वारदातें की जाती हैं। धार का मामला तो सदन में उठ गया लेकिन ऐसे बहुत से मामले हैं, जिनमें कोई कार्यवाही ही नहीं हो पाती।