19-Dec-2014 05:12 AM
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शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार उम्मीद कर रही थी कि उसकी राह आसान करने वाले कुछ विधेयक पारित हो जाएंगे, लेकिन सत्र का अधिकांश समय सांप्रदायिकता बनाम धर्मनिरपेक्षता जैसे मुद्दों में बर्बाद हो चुका है और अब सदन में किसी गंभीर चर्चा की उम्मीद भी कम बची है। कभी धर्मांतरण को लेकर, कभी गीता को राष्ट्रीय गं्रथ बनाने को लेकर, कभी साक्षी महाराज की नाथुराम गोडसे के प्रति सहानुभूति को लेकर सदन मेंं हंगामे चल ही रहे हैं।
सरकार को लगा था कि जीएसटी, बीमा कानून संशोधन, भूमि अधिग्रहण, श्रम सुधार और कोल ई ऑक्सन संबंधी विधेयक इस सत्र में पारित हो जाएंगे। लेकिन इन पर बहस नहीं हो पाई, केवल कोल ई ऑक्सन विधेयक पारित हुआ। बीमा विधेयक भी पारित होने की उम्मीद है। सवाल ये है कि अगर संसद में ऐसा ही हल्ला मचेगा, तो काम कैसे होगा? कम से कम 20 बिल संसद में पास होने हैं लेकिन 5 बिल बेहद अहम हैं जो अगर पास हुए, तो सरकार की आर्थिक सुधार की गाड़ी पटरी पर दौड़ सकती है।
GST यानि गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स
केंद्र और राज्य सरकारों के टैक्स ढांचे में समानता लाने के लिए जीएसटी की वकालत खुद अरुण जेटली और कॉरपोरेट जगत भी कर रहा है। लेकिन यूपीए सरकार के वक्त से ही ये अटका हुआ है। राज्यों में भी टैक्स की दर को लेकर मतभेद है।
बीमा कानून संशोधन विधेयक
इसमें बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा बढ़ाकर 49 फीसदी करने का प्रावधान है, इस वक्त ये सीमा 26 फीसदी है। राज्यसभा में 2008 से ये विधेयक अटका है। अगर ये बिल पास हो गया तो अगले पांच सालों में भारत में बीमा क्षेत्र में 5 अरब डॉलर तक निवेश आ सकता है। इसके जरिए पेंशन क्षेत्र में भी 49 फीसदी एफडीआई की अनुमति मिल जाएगी।
श्रम सुधार विधेयक
देश में कारोबार को आसान करने के लिए श्रमेव जयते अभियान के जरिए श्रम सुधारों की बात कही गई थी। इसके लिए फैक्ट्री एक्ट 1948 और अप्रेंटिस एक्ट में बदलाव करने होंगे। संशोधन के जरिए कारोबारियों के लिए श्रम नियम आसान कर दिए जाएंगे। ऐसे में असंगठित क्षेत्र के हितों का ध्यान रखने की चुनौती सरकार के सामने होगी। यहां वामपंथी दलों का तगड़ा विरोध झेलना पड़ेगा।
कोल ई ऑक्सन विधेयक
सरकार द्वारा कोयला क्षेत्र में बड़े सुधारों के लिए हाल ही में लाए गए आर्डिनेंस पर सदन ने मोहर लगा दी है। इसकी मदद से सरकारी और निजी कंपनियों को देश में कोयले की खुदाई करने, कोयले की खपत करने और कोयला बेचने में मदद मिलेगी। मोदी सरकार शीतकालीन सत्र में आर्थिक एजेंडे को पूरा करने के लिए राज्यसभा में जरूरी आंकड़ा जुटाने की मुहिम में जुट गई है। दरअसल लोकसभा में जहां बीजेपी को अपने दम पर बहुमत हासिल है, वहीं राज्यसभा में पार्टी बहुमत से काफी दूर है। 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में एनडीए के 61 सांसद हैं। बिल पारित कराने के लिए 123 सांसदों का समर्थन चाहिए। बिल पारित करने के लिए एनडीए को 62 और सांसदों की जरूरत होगी। वैसे राज्यसभा में मंजूरी न मिलने पर संयुक्त बैठक बुलाकर भी बिल पारित कराया जा सकता है। संसद के दोनों सदनों की संयुक्त संख्या अभी 790 है। दोनों सदनों में एनडीए के पास 395 सांसद हैं। विधेयक पारित कराने के लिए एनडीए के पास पर्याप्त संख्या है।