18-Dec-2014 05:38 AM
1234953
कश्मीर में पाकिस्तान की शह पर आतंकी हमले किए जाएंगे यह तो तय था, लेकिन इन हमलों को समय रहते रोका क्यों नहीं गया? यह एक बड़ा सवाल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धमकियों के बावजूद लगातार कश्मीर में प्रचार किया।
मोदी के इस कदम में आतंकवादियों के लिए स्पष्ट संदेश था कि आतंकवादी हमलों के समक्ष झुका नहीं जाएगा। दरअसल चुनाव में जिस तरह मत प्रतिशत में वृद्धि देखने को मिली है उससे आतंकियों की कूटनीतिक हार हो ही चुकी है। इसलिए हमले का लक्ष्य अब सुरक्ष चौकियां थीं। आतंकी जानते हैं कि आम लोगों को मारने के बाद वे अपना बचा-खुचा जनाधार भी खो देंगे।
कश्मीर में 70 प्रतिशत के करीब लोग वोट देने निकले, इसका अर्थ यह नहीं है कि जो 30 प्रतिशत घर से बाहर नहीं निकले वे असंतुष्ट हैं। इसका अर्थ यह है कि देश के बाकी हिस्सों की तरह कश्मीर में भी मतदाताओं का एक वर्ग है जो चुनाव के समय बहुमत के साथ रहते हुए अपनी उदासीनता प्रकट करता है। इनमें से बहुत से लोग लापरवाही और अन्य कारणों से वोट नहीं दे पाते। शायद इसीलिए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी मीडिया को आगाह किया है कि वह मतदान के बढ़ते प्रतिशत को महिमामंडित न करे बल्कि सभी चरणों के मतदान को पूरा हो जाने दें। उमर अब्दुल्ला की चिंता जायज है क्योंकि आतंकवादी हर हाल में यह कोशिश कर रहे हैं कि जनता को धमका कर या डराते हुए घर में ही रहने दिया जाए। इस संदर्भ में आतंकी सरगना हाफिज सईद की उस तकरीर पर भी ध्यान देना होगा जिसमें उसने कश्मीरियों को सहयोग करने की बात कही है। जाहिर सी बात है यह सहयोग शांति के पैगाम या नैतिक संबल के रूप में तो होगा नहीं- सहयोग तो हथगोलों, ऐ.के.-56 रायफलों के रूप में ही दिया जाएगा। इसीलिए इस बार पाकिस्तान की सेना ने कश्मीरी चुनाव के समय आतंकियों को विशेष प्रशिक्षण दिलवाया था, जिसका खुलासा दुनिया के सामने हो चुका है। कश्मीर में सेना के प्रमुख अधिकारी लैफ्टनेंट जनरल सुब्रत साहा का स्पष्ट कहना है कि जो हमले चुनाव के समय किए जा रहे हैं वे पाकिस्तान की आर्मी के बिना संभव ही नहीं हैं। पिछले 5 वर्ष में 10 दिन के भीतर लगातार इतने हमले कभी नहीं हुए। आमतौर पर शांति ही रही। साहा का कहना है कि पाकिस्तानी आतंकियों से बरामद खाने के पैकेट और हथियार पाकिस्तान में ही निर्मित किए गए हैं।
उड़ी में 6 आतंकवादियों को मार गिराने में भारत के 8 जवान शहीद हो गए जिनमें एक आर्मी अफसर भी है। आतंकियों से फूड पैकेट्स के अलावा 6 ए-के-56 रायफलें, 55 मैग्जीन, 2 शॉटगन, 2 रात्रि में देखने वाली दूरबीनेें, 4 रेडियो सेट, 1 मेडिकल किट और 32 हथगोले बरामद हुए हैं। साहा का कहना है कि इन आतंकी हमलों को सुरक्षा की चूक नहीं कहा जा सकता क्योंकि सेना का पहला लक्ष्य नागरिकों की जान बचाना है।
जाहिर सी बात है आतंकवादी नागरिकों को अपना कवच बनाकर सेना पर हमला करते हैं। सीधे हमला करने का साहस उनमें नहीं है। उधर कश्मीर में आतंकी हमलों के बाद अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने इनकी निंदा की है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने तो पाकिस्तान से यह तक कह दिया है कि उसे अपनी जमीन से भारत पर हमले रोकने चाहिए और यदि वह ऐसा कर पाने में सक्षम नहीं है तो इस बारे में भारत से बात करनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने इन हमलों को आतंकियों द्वारा चुनाव प्रक्रिया में बाधा डालने की हताश कोशिश बताया है।
हमलों के बाद भी प्रधानमंत्री का चुनावी दौरा जम्मू-कश्मीर के आवाम के लिए हौसले का काम ही करेगा। यदि आने वाले दिनों में इसी रफ्तार से मत प्रतिशत बढ़ता रहा तो आतंकी किसी बड़ी साजिश की कोशिश कर सकते हैं। खुफिया सूचनाओं में बताया गया है कि 20 के करीब आतंकी अभी भी घूम रहे हैं और 200 घुसपैठ करने की कोशिश में हैं।
