प्रदेश में इस बार अनुकूल मौसम को देखते हुए किसानों ने रिकॉर्ड 58.46 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की बोवनी की थी। इसके कारण उम्मीद जताई जा रही थी कि गेहूं की तरह इस तिलहन फसल का भी बंपर उत्पादन होगा, लेकिन फसल येलो मोजेक वायरस की चपेट में आ गई है। अधिकांश जगह सोयाबीन के पत्ते पीले पड़ गए और पौधे सूख चुके हैं। कई जगह अफलन (फली न लगना) की शिकायतें सामने आ रही हैं। मालवा, निमाड़, महाकौशल सहित अन्य क्षेत्रों में करीब 25 फीसदी तक फसल के प्रभावित होने की आशंका है। नरसिंहपुर में 40, दमोह में 10, सिवनी में पांच फीसदी तक नुकसान की बात सामने आई है। प्रदेश में इस बार कुल 141 लाख हेक्टेयर क्षेत्र से ज्यादा में खरीफ फसलों की बोवनी की गई है। बारिश में लंबा अंतराल और तापमान अधिक होने के कारण सोयाबीन की फसल प्रभावित हुई है। सरकार ने नुकसान का आंकलन करने के लिए कलेक्टरों को निर्देश दे दिए हैं। वहीं, दूसरी ओर अभी तक किसानों का फसल बीमा नहीं हो पाया है। बीमा के लिए कंपनी तय करने में समय लगने के कारण अब प्रीमियम जमा करने की समयसीमा 17 अगस्त से बढ़ाकर 31 अगस्त कर दी है।
फसल खराब होने की सूचनाओं को देखते हुए कृषि मंत्री कमल पटेल ने भोपाल के पास बैरसिया विधानसभा क्षेत्र के गांव तारा सेवनिया और बगोनिया में निरीक्षण किया। यहां सोयाबीन की 100 फीसदी तक फसल बर्बाद हुई है। सोयाबीन की फलियों में दाने नहीं हैं।
पूर्व कृषि संचालक डॉ. जीएस कौशल ने बताया कि येलो मोजेक वायरस का असर सोयाबीन में बड़े पैमाने पर नजर आ रहा है। मालवा, निमाड़ और महाकौशल से फसल प्रभावित होने की सूचनाएं आ रही हैं। रतलाम जिला पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष डीपी धाकड़ ने बताया कि पूरे क्षेत्र में सोयाबीन की फसल येलो मोजेक, सफेद कीट सहित अन्य बीमारियों से प्रभावित हुई है। सोयाबीन इतना बढ़ गया कि उसमें फलियां ही नहीं लगीं। बीमा नहीं हुआ तो बड़ा नुकसान होगा किसानों के सामने समस्या यह भी है कि खरीफ फसलों का बीमा अभी तक नहीं हो पाया है। दरअसल, कृषि विभाग प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के क्रियान्वयन के लिए बीमा कंपनी ही समय पर तय नहीं कर पाया। इसके कारण फसलों का बीमा ही नहीं हुआ। यदि बीमा कंपनियां अब खराब हो चुकी फसलों का बीमा नहीं करती हैं तो किसानों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा। हालांकि, विभागीय अधिकारियों का कहना है कि ऐसी स्थिति नहीं है। किसान 31 अगस्त तक बीमा करा सकते हैं।
मालवा-निमाड़ में सोयाबीन की फसलों में दो तरह के कीट सफेद मक्खी (व्हाइट फ्लाई) और तनाछेदक मक्खी (स्टेम फ्लाई) का प्रकोप हो रहा है। ये दोनों कीट सोयाबीन की पत्तियां और तना दोनों को खोखला कर रहीं हैं। सोयाबीन पकने से पहले ही पत्ते पीले पड़ रहे हैं। इस साल मालवा-निमाड़ में 29.80 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बोवनी हुई है। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार अधिकांश रकबा इंदौर, धार, उज्जैन, रतलाम, देवास, खंडवा, शाजापुर, नीमच जिले में है। कीट के प्रकोप का आंकलन अभी नहीं हुआ है। किसानों का कहना है कि इंदौर में कुछ इलाकों में 10 से 50 फीसदी तक असर हुआ है। वहीं देवास में करीब 50 फीसदी फसलों पर असर है। इंदौर में कलेक्टर मनीष सिंह ने गत दिनों कृषि वैज्ञानिकों के साथ प्रभावित गांवों का दौरा किया। सबसे कम असर बड़वानी और खरगोन जिले में है।
कोरोना संकट में किसानों की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं, किसी तरह किसानों ने कर्ज लेकर उड़द की बुवाई की थी, अब पीला मोजेक रोग की वजह से ज्यादातर किसानों की उड़द की फसल पीली पड़ गई है। मध्यप्रदेश के सतना जिले में लक्ष्य से 5 फीसदी ज्यादा बोवनी करने के बाद उड़द के पौधों की पत्तियां पीली पड़ गईं। दूर से खेत का पीलापन नजर आने लगता है। सतना जिले में कोई ऐसा गांव नहीं मिला जहां की उड़द के पौधों की पत्तियां पीली न रही हों। जिला मुख्यालय से 50 किमी दूर ग्राम गहिरा के 22 वर्षीय युवा किसान विपिन बताते हैं, पिछले साल भी यही हुआ था। इस साल तो सलाह पर दवा भी डाली। इसमें 2700 से लेकर 2800 रुपए तक खर्च भी किए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। प्रशासनिक अधिकारियों से मिला भी लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है। रैगांव विधानसभा के गांव मसनहा के किसान राम सिंह बागरी ने बताया, उड़द की खेती पूरी तरह से नष्ट हो चुकी है। एक तो बारिश नहीं हुई, फसल पिछड़ी। बारिश हुई तो लेट हुई जिससे जो फसल बो गई थी वो भी बर्बाद हो गई। अब किसी तरह कर्ज लेकर खेती कर रहे हैं तो प्रकृति मार रही है। कोई अन्य व्यवसाय नहीं है। तो खेती ही करनी पड़ रही है। इस साल सतना जिले में उड़द की फसल की बोवनी लक्ष्य से 5 फीसदी से भी ज्यादा हुई है।
प्रदेश में 10 फीसदी नुकसान
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन (सोपा) के कार्यकारी निदेशक डीएन पाठक के मुताबिक हमारे त्वरित सर्वेक्षण के अनुसार इंदौर, देवास, उज्जैन, धार, सीहोर, हरदा, शाजापुर, मंदसौर और नीमच में फसल को सबसे ज्यादा 10 फीसदी तक नुकसान हुआ है। शुरुआत में बोई गई फसल को ज्यादा नुकसान पहुंचा। महाराष्ट्र और राजस्थान में अब तक इस वायरस का असर नहीं है। सोयाबीन की पत्तियां जल्द पीली होने पर फली आने में देरी और दाने छोटे रहने से फसल की कुल उत्पादकता पर विपरीत असर की आशंका है। कृषि मंत्री पटेल ने भरोसा दिलाया कि किसानों को कोई नुकसान नहीं होने दिया जाएगा। जिन्होंने अभी तक बीमा नहीं कराया है वे प्रीमियम जमा कर बीमा कराएं। फसलों को हुए नुकसान का सर्वे कराया जाएगा। कलेक्टरों को निर्देश दिए जा चुके हैं। किसानों को बीमा के साथ राजस्व परिपत्र पुस्तक के प्रावधानों के तहत भी क्षतिपूर्ति दी जाएगी।
- राकेश ग्रोवर