बुंदेलखंड पैकेज के तहत छतरपुर जिले में 918.22 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। जल संसाधन, वन विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, कृषि विभाग, पशुपालन, ग्रामीण विकास विभाग के जरिए योजना पर ये राशि खर्च की गई। लेकिन भ्रष्टाचार के चलते इन विभागों द्वारा कराए गए कार्य की न केवल गुणवत्ता खराब है, बल्कि बहुत सारी योजनाओं से लोगों को लाभ ही नहीं मिल सका है। बुंदेलखंड पैकेज के तहत मिली राशि को खपाने और बंदरबाट करने के लिए विभिन्न शासकीय विभागों के अधिकारियों-कर्मचारियों ने न केवल घटिया निर्माण कराया, बल्कि फर्जी बिल लगाकर भी राशि निकाल ली। सबसे ज्यादा गड़बड़ी वन विभाग के कार्यों में पाई गई, जहां स्कूटर व जीप के आरटीओ रजिस्ट्रेशन नंबर डालकर ट्रक से कार्य कराने की राशि निकाल ली गई। हाईकोर्ट में दायर याचिका के तारतम्य में हाईकोर्ट ने मुख्य तकनीकी परीक्षक मध्यप्रदेश से जांच कराई तो छतरपुर जिले में जमकर धांधली किए जाने की बात सामने आई।
वन विभाग ने 180.37 करोड़ रुपए की राशि से पैकेज के तहत 6 जिलों में कार्य किए गए। छतरपुर जिले में बड़ामलहरा एवं बक्स्वाहा विकासखण्ड में बुंदेलखंड पैकेज के अंतर्गत कराए गए कार्यों में नवीन तालाब निर्माण में किए गए पिचिंग कार्य में निधारित गुणवत्ता का पत्थर नहीं लगाया गया, सामग्री क्रय की प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण रही। कक्ष पी-82 में भुगतान किए गए वाउचर्स क्रमांक एम-179 20 फरवरी 2012 में मजदूरों के हस्ताक्षर तो हैं, लेकिन बिना राशि इन्द्राज किए श्रमिकों के हस्ताक्षर कराए गए, जिसकी लागत 4,79,981 रुपए हैं। इसी कक्ष में जेसीबी द्वारा कराए गए कार्यों का भुगतान बिना जेसीबी नंबर दर्शाए किया गया है। वहीं, कक्ष पी-202 में निर्मित नवीन तालाब निर्माण में परिवहन के लिए ट्रक नंबर एमपी-15 जी-1732 का उपयोग कर भुगतान किया गया। आरटीओ की वेबसाइट से इस वाहन का प्रकार जीप के नाम पर दर्ज होना पाया गया, जिस पर कुल व्यय 31,149 खर्च किया गया। कक्ष पी-50 में नवीन तालाब के निर्माण कार्य में ट्रक एमपी 08 ई-2799 का उपयोग किया जाना दर्शाया गया हैं। जबकि आरटीओ की वेबसाइट पर उक्त वाहन नंबर स्कूटर का है।
छतरपुर जिले में दिदौनिया जलाशय से 375.90 लाख रुपए की लागत से नहरों का निमार्ण किया गया। जांच में पाया गया कि पुलियों में पाइप के अपस्ट्रीम एवं डाउन स्ट्रीम में सिल्ट जमा होने से नहर में डिजाइन डिस्चार्ज के अनुसार पानी प्रवाहित करने में अवरोध उत्पन्न हो रहा है। वहीं, 3136.10 लाख रुपए से रनगुंवा बांध की नहरों का लाइनिंग कार्य में नहर के सर्विस रोड के टॉप लेवल को मेंटेन कर लिए जाने के बाद सर्विस रोड पर डब्ल्यूबीएम रोड निर्माण के दौरान पुन: मिट्टी डालना दर्शाकर भुगतान कर दिया गया। इसी तरह से बरियापुर बायी तट में 545.90 करोड़ रुपए से मुख्य नहर का 49 किलोमीटर तक सीसी लाइनिंग निर्माण कार्य की जांच चलित प्रयोग शाला द्वारा की जाने पर सीसी लाइनिंग की स्ट्रेंग्थ निर्धारित मापदंड से कम पाई गई और लाइनिंग कार्य में दरारें भी पाई गई। इसी तरह सिंहपुर बैराज योजना में 260.63 करोड़ रुपए से मध्यम योजना की जांच में पाया कि शासन की बिना अनुमति के 1.15 करोड़ का भुगतान किया गया। वहीं, 802.03 लाख रुपए की खिरिया बुजुर्ग तालाब योजना तहसील बक्स्वाहा की जांच में वास्तविक सिंचाई न होने की शिकायत सही पाई गई।
299.51 करोड़ रुपए की राशि से 6 जिलों में कराए गए कार्यों की जांच में पाया गया कि छतरपुर जिले में रेण्डम आधार पर प्रत्येक विकासखण्ड की दो योजनाओं का परीक्षण किया गया। छतरपुर जिले में 10 ग्रामों में नलजल योजना के तहत पाइपलाइन निर्धारित गुणवत्ता की नहीं डाली गई। हाईकोर्ट के निर्देश पर मुख्य तकनीकी परीक्षक मध्यप्रदेश की जांच रिपोर्ट में उल्लेख है कि अफसरों ने बुंदेलखंड पैकेज के तहत योजनाएं तैयार करने में अपनी जिम्मेदारी का ईमानदारी से निर्वहन नहीं किया। यही कारण है कि 1287 में से 997 नलजल योजनाएं पूर्णत: व्यर्थ रहीं। जिसमें से छतरपुर जिले में 150 योजनाओं का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। जांच में पाया गया कि अफसरों ने न तो सामान की गुणवत्ता परखी, न भौतिक सत्यापन किया, न साइट विजिट की, न ही पाइपलाइन बिजली पंपों की गुणवत्ता परखी।
कृषि विभाग को बुंदेलखंड पैकेज से 614.36 करोड़ की राशि दी गई थी, जिसमें वेयर हाउस, मंडी निर्माण, उद्यानिकी, डीजल पंप वितरण, आदि कार्य कराए जाने थे। उक्त संबंध में मुख्य तकनीकी परीक्षक द्वारा आंशिक जांच कराई गई, जिसमें पाया गया कि नौगांव में कार्यालय भवन, मैनेजर आवास गृह, चौकीदार भवन, वाटर पोर्श और बड़ामलहरा में केंटीन, कृषक सूचना केंद्र, पम्प हाउस का हस्तांतरण नहीं किए जाने से संरचनाएं क्षतिग्रस्त हो रही हैं।
पशुपालन व उद्यानिकी में भी मिली गड़बड़ी
पैकेज के तहत 151.27 करोड़ रुपए की राशि से 6 जिलों में बकरी पालन, मुर्रा सांड और डेयरियों के विकास के लिए कार्य किया गया। डबल संख्या बकरी इकाई में कमजोर बकरियां प्रदाय के कारण भारी संख्या में बकरियों की मृत्यु होना पाया गया। छतरपुर जिले में 15.44 प्रतिशत मृत्यु दर पाई गई। इसके साथ ही मुर्रा वितरण में छतरपुर जिले में 15.88 प्रतिशत मृत्यु दर पाई गई। जांच रिपोर्ट के अनुसार निर्धारित प्रतिशत से अधिक मृत्यु होना इस बात का प्रमाण है कि ठेकेदारों द्वारा हितग्रहियों को स्वस्थ मुर्रा एवं बकरियां प्रदान नहीं की गई। योजना के अनुसार राशि को सीधे हितग्राहियों के खाते में जमा किया जाना था, लेकिन छतरपुर जिले में अनुदान राशि 83,71,665 रुपए उपसंचालक पशु चिकित्सा सेवाएं छतरपुर द्वारा हितग्राहियों के खाते में जमा न करते हुए पशु चिकित्सा सहायक शल्यज्ञों के निजी खातों में जमा की गई, जो कि एक गंभीर आर्थिक अनियमितता है।
- सिद्धार्थ पांडे