नक्सली समस्या पर लगाम
04-Jun-2020 12:00 AM 864

 

25 मई 2013 को छत्तीसगढ़ के बस्तर जिला स्थित झीरम घाटी में नक्सली हमले में पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल समेत 30 से ज्यादा कांग्रेसी नेता मारे गए थे। इस दिल दहला देने वाली घटना के 7 साल बाद भूपेश बघेल की नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने इस दिन को झीरम श्रद्धांजलि दिवस मनाने का निर्णय किया है। देश में नक्सली हिंसा से वैसे तो कई राज्य जूझ रहे हैं लेकिन छत्तीसगढ़ में तीन दशकों से पसरे लाल आतंक का अब तक कोई अंत नहीं हो पाया है। ये जरूर है कि लाल आतंक की हिंसा में राजनीतिक दलों से लेकर सुरक्षा जवान हर दिन मौत की नींद सोते जा रहे है। इस मामले में कई तरह की जांच आज भी चल रही हैं। झीरम में हुए माओवादी घटनाक्रम के पीछे साजिश की बातें भी बड़े जोर-शोर से हुईं। इस घटनाक्रम को हुए 7 साल बीत गए हैं। अब तक उस घटना से जुड़े बड़े माओवादी लीडरों की न तो गिरफ्तारी हो सकी है और न ही जांच एजेसियों की कोई रिपोर्ट सामने आई हैं।

छत्तीसगढ़ में सत्ता बदलने के बाद नक्सली समस्या पर लगाम लगाने की कोशिशें कामयाब होने लगी हैं। बीते एक साल के आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि राज्य में जहां शहीद होने वाले जवानों की संख्या में कमी आई है, वहीं आम नागरिक भी नक्सलियों का निशाना बनने से बचा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार नक्सल समस्या को खत्म करने के लिए कार्ययोजना बनाने का दावा करते रहे हैं। उनका कहना है कि 'नक्सलवाद को खत्म करने के लिए विकास के साथ विश्वास और सुरक्षा चाहिए। सरकार पर भरोसा होना चाहिए। मैंने वहां आदिवासियों की जमीन वापस की। रोजगार के बेहतर अवसर दिए। स्वास्थ्य, शिक्षा, कुपोषण के लिए डीएमएफ का पैसा खर्च किया। सरकार की कोशिशों का नतीजा है कि नक्सली गतिविधियों में 40 प्रतिशत कमी आई है।Ó

 छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नक्सलवाद के लिए केंद्र सरकार और पड़ोसी राज्यों की सरकार को घेरा है। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि कोई भी बड़ा नक्सली छत्तीसगढ़ का नहीं है, इसके बाद भी सबसे ज्यादा नक्सल समस्या प्रदेश में है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की बैठक में यह प्रस्ताव रखा था कि पड़ोसी राज्य और केंद्र सरकार नक्सलियों के बड़े लीडरों को कंट्रोल करें, छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद अपने आप कंट्रोल में आ जाएगा। मुख्यमंत्री ने सवाल किया कि नक्सलियों के पास से जो हथियार बरामद हुए है, वह जर्मनी और इटली के थे, विदेशी हथियार और गोली यहां कैसे पहुंची। इसकी जांच और रोक तो राज्य सरकार कर नहीं सकती है। जो कारतूस मिले वो विदेशों या अन्य राज्यों की फैक्ट्रियों में बने हुए थे, वो यहां कैसे पहुंचे। इसके लिए केंद्र को गंभीर कदम उठाना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि झीरम कांड में एनआईए ने फाइनल रिपोर्ट दे दी है। हमने एसआईटी का गठन किया है। झीरम घाटी नक्सली हमले के पीछे जो षड्यंत्र रहा पूर्व में उसकी जांच नहीं हुई। गवाहों से पूछताछ नहीं हुई। नक्सलियों के प्रवक्ता गुड्सा उसेंडी ने समर्पण किया। पड़ोसी राज्य में वह बंद है। उससे आज तक पूछताछ नहीं की गई। इससे जुड़े तथ्य जनता के सामने आने चाहिए।

भूपेश बघेल का कहना है कि अगर सभी राज्य और केंद्र सरकार मिलकर काम करें तो नक्सल समस्या का समाधान किया जा सकता है। वह कहते हैं कि नक्सल समस्या का समाधान सहानुभूति से नहीं कठोरता से ही हो पाएगा। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ राज्य का बड़ा हिस्सा नक्सल प्रभावित है। यहां के 14 जिले सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, बस्तर, कोंडागांव, कांकेर, नारायणपुर, राजनांदगांव, बालोद, धमतरी, महासमुंद, गरियाबंद, बलरामपुर और कबीरधाम नक्सल समस्या से प्रभावित हैं। इन इलाकों में अतीत में नक्सली राजनेताओं से लेकर प्रभावशाली लोगों तक को अपना निशाना बना चुके हैं। राज्य में सत्ता बदलने के बाद इस समस्या से निपटना नई सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती रही है। भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्र के लोगों में भरोसा पैदा करने की मुहिम चलाई तो दूसरी ओर सुरक्षा बलों के जरिए नक्सलियों को घेरने के प्रयास तेज किए।

राज्य में नक्सल अभियान से जुड़े एक अधिकारी की तरफ से उपलब्ध कराए गए आंकड़े के अनुसार, भूपेश सरकार के सत्ता संभालने के बाद नक्सली घटनाओं में काफी कमी आई है। बात मुठभेड़ों की करें तो बीते साल 2018 में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ की 166 घटनाएं हुईं, वहीं इस साल मुठभेड़ की 112 घटनाएं हुईं। इस प्रकार पुलिस नक्सली मुठभेड़ में 32.53 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। इसी तरह पिछले वर्ष मुठभेड़ में 124 नक्सली मारे गए थे, जबकि इस वर्ष 77 नक्सली मारे गए हैं। विभिन्न नक्सली घटनाओं में पिछले साल 89 लोगों की जानें गई थीं, वहीं इस साल 46 नागरिकों की जानें गईं हैं। इस प्रकार पिछले वर्ष की तुलना में इस साल मृत लोगों की संख्या में 48.31 प्रतिशत की कमी आई है।

पुलिसकर्मियों की शहादत, लूट, आईईडी ब्लास्ट में कमी

नक्सल घटनाओं में इस वर्ष 19 पुलिसकर्मी शहीद हुए, जबकि बीते साल यह आंकड़ा 53 था। इस तरह इस साल शहीद पुलिसकर्मियों की संख्या में 64.15 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। आंकड़़े बताते हैं कि विगत वर्ष छह गोपनीय सैनिक तो इस साल तीन गोपनीय सैनिक शहीद हुए। पिछले साल आईईडी विस्फोट की 77 एवं इस वर्ष 41 घटनाएं हुईं। इस साल आईईडी विस्फोट की घटनाओं में 46.75 प्रतिशत की कमी आई। नक्सली घटनाओं में हथियार लूट की घटनाओं में 56.25 प्रतिशत की कमी देखी गई। राज्य के पुलिस महानिरीक्षक (नक्सल ऑपरेशन) सुंदर राज पी. ने कहा- 'नक्सल प्रभावित इलाकों में विश्वास, विकास और सुरक्षा का जो अभियान चलाया जा रहा है, उसके नतीजे सामने आ रहे हैं। सुरक्षा बल जहां घोर नक्सल प्रभावित इलाकों तक पहुंचे हैं, वहीं नक्सल संगठन कमजोर हुए हैं। पुलिस को जन सामान्य का साथ मिला है। पुलिस की ऑपरेशन कैपेबिलिटी से बड़ा बदलाव आया है।Ó

- रायपुर से टीपी सिंह

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