23-Jun-2020 12:00 AM
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कोरोना महामारी के कारण देश में लॉकडाउन के बाद भी मनरेगा के विभिन्न मानकों पर छत्तीसगढ़ ने शानदार प्रदर्शन किया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर छत्तीसगढ़ ने चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 के शुरुआती दो महीनों में ही सालभर के लक्ष्य का 37 फीसदी काम पूरा कर लिया है। छत्तीसगढ़ में इस साल अप्रैल और मई के लिए निर्धारित लक्ष्यों के सापेक्ष 175 प्रतिशत काम हुआ है। इन दोनों मामलों में छत्तीसगढ़ देश में सर्वोच्च स्थान पर है। दो माह के भीतर सर्वाधिक परिवारों को 100 दिनों का रोजगार उपलब्ध कराने में छत्तीसगढ़ दूसरे स्थान पर है। राज्य में 1996 परिवारों को 100 दिनों का रोजगार दिया जा चुका है। चालू वित्तीय वर्ष में अब तक 5 करोड़ 3 लाख 37 हजार मानव दिवस रोजगार का सृजन कर 25 लाख 97 हजार ग्रामीण श्रमिकों को काम उपलब्ध कराया गया है। इस दौरान 1114 करोड़ 27 लाख रुपए का मजदूरी का भुगतान भी किया गया है।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की तरफ से ताजा वित्त वर्ष के पहले दो महीने में दो करोड़ 88 लाख 14 हजार मानव दिवस बनाने का लक्ष्य दिया था। इसके सापेक्ष 5 करोड़ 3 लाख 37 हजार मानव दिवस का काम छत्तीसगढ़ में किया गया। इस तरह से छत्तीसगढ़ ने कुल काम का 37 प्रतिशत इन्हीं दो महीनों में हासिल कर लिया, जो एक बड़ी उपलब्धि है। राज्य में प्रति परिवार को कम से कम 23 दिन का काम मनरेगा के अंतर्गत दिया गया, जबकि राष्ट्रीय औसत केवल 16 दिन ही है। कोविड-19 का संक्रमण रोकने के लिए देशभर में लगाए गए लॉकडाउन के बाद भी छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाए रखने में मनरेगा के अंतर्गत व्यापक स्तर पर शुरू किए कार्यों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। विपरीत परिस्थितियों में इसने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को रोजी-रोटी की चिंता से मुक्त करने के साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टीएस सिंहदेव ने लॉकडाउन के दौरान मनरेगा में उत्कृष्ट कार्यों के लिए पंचायत प्रतिनिधियों और मैदानी अधिकारियों की पीठ थपथपाई है। उन्होंने प्रदेशभर में सक्रियता एवं तत्परता से किए गए कार्यों की सराहना करते हुए सरपंचों, मनरेगा की राज्य व जिला और जनपद पंचायतों की टीम को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे के बीच यह बड़ी उपलब्धि है। उनकी कोशिशों से लाखों लोगों को रोजगार मिलने के साथ ही बड़ी संख्या में आजीविकामूलक सामुदायिक व निजी परिसंपत्तियों का निर्माण हुआ है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा मनरेगा के अंतर्गत चालू वित्तीय वर्ष के प्रथम दो महीनों अप्रैल और मई के लिए 2 करोड़ 88 लाख 14 हजार मानव दिवस रोजगार सृजन का लक्ष्य रखा गया था। छत्तीसगढ़ ने इस समयावधि में 5 करोड़ 3 लाख 37 हजार मानव दिवस रोजगार का सृजन कर 175 प्रतिशत उपलब्धि हासिल की है। मनरेगा से हो रहे आजीविका संवर्धन के कार्यों ने कई परिवारों की जिंदगी बदल दी है। जीवन-यापन के साधनों को सशक्त कर इसने लोगों की आर्थिक उन्नति के द्वार खोले हैं। कोविड-19 से निपटने लागू देशव्यापी लॉकडाउन के दौर में भी मनरेगा से निर्मित संसाधनों ने हितग्राहियों की आजीविका को अप्रभावित रखा है। नए संसाधनों ने उन्हें इस काबिल भी बना दिया है कि अब विपरीत परिस्थितियों में वे दूसरों की मदद कर रहे हैं।
लॉकडाउन में जब लोग रोजी-रोटी की चिंता में घरों में बैठे हैं, तब जांजगीर-चांपा के सीमांत किसान खम्हन लाल बरेठ अपनी डबरी से मछली निकालकर बाजारों में बेच रहे हैं। डबरी के आसपास की जमीन में उगाई गई सब्जियां उन्हें अतिरिक्त आमदनी दे रही हैं। वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण पैदा हुए विपरीत हालातों के बीच भी उनका 14 सदस्यों का परिवार आराम से गुजर-बसर कर रहा है। खम्हन लाल की इस बेफिक्री का कारण मनरेगा के तहत उनके खेत में खुदी डबरी है। इस डबरी ने मछली पालन के रूप में कमाई का अतिरिक्त साधन देने के साथ ही बरसात में धान की फसल के बाद सब्जी की खेती को भी संभव बनाया है।
श्रमिकों को मनरेगा के तहत दिया जा रहा रोजगार
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर श्रमिक स्पेशल ट्रेनों, बसों एवं अन्य माध्यमों से अब तक 3 लाख 13 हजार प्रवासी श्रमिक और अन्य लोग सकुशल छत्तीसगढ़ लौटे हैं। गृहराज्य लौटने पर प्रवासी श्रमिकों ने मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया है। उल्लेखनीय है कि नोवेल कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन से अन्य राज्यों में छत्तीसगढ़ के लाखों मजदूर एवं अन्य लोग रुके हुए थे। राज्य सरकार द्वारा इन श्रमिकों को छत्तीसगढ़ लाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की व्यवस्था, बसों की व्यवस्था और अधिकारियों की मुस्तैदी से इन श्रमिकों को सकुशल छत्तीसगढ़ वापस लाया जा रहा है। श्रम मंत्री डॉ. डहरिया ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में अन्य राज्यों से वापस लौटे इन प्रवासी श्रमिकों को राज्य शासन द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य प्रारंभ कर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत रोजगार दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ऐसे प्रवासी श्रमिक जिनका मनरेगा के तहत जॉब कार्ड नहीं बना है, उनका भी जॉब कार्ड बनाकर रोजगार देने का प्रावधान किया गया है। उन्हें नि:शुल्क राशन भी दिया जा रहा है। डॉ. डहरिया ने बताया कि छत्तीसगढ़ के प्रवासी श्रमिकों और अन्य लोगों की वापसी के लिए ऑनलाइन पंजीयन की व्यवस्था की गई है।
- रायपुर से टीपी सिंह