मृतप्राय संपत्तियां बिकेंगी
05-Apr-2021 12:00 AM 1351

 

मप्र में फैली राज्य शासन की ऐसी संपत्तियां जो मृतप्राय हैं और जिनका कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है, सरकार उनको बेचने की तैयारी कर रही है। शासन का मानना है कि इन संपत्तियों पर अवैध कब्जे और अतिक्रमण हो रहे हैं। ऐसे में इन संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन करना जरूरी है। इसी के लिए सरकार ने हाल ही में लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग बनाया है। विभाग प्रदेशभर की अनुपयोगी सरकारी संपत्तियों को सूचीबद्ध कर रहा है। अभी तक करीब 60 से अधिक संपत्तियों को चिन्हित किया गया है, जिन्हें बेचना है।

दरअसल, सत्ता में आने के बाद से ही खजाना खाली होने के चलते आर्थिक संकट से जूझ रही प्रदेश की शिवराज सरकार लगातार आय के साधन को बढ़ाने में जुटी हुई है। राजस्व में बढ़ोत्तरी के लिए आए दिन बड़े-बड़े फैसले लिए जा रहे हैं। इसी कड़ी में अब सरकार प्रदेशभर में मौजूद सरकारी संपत्तियों को बेच रही है। इसके लिए अभी तक 60 से अधिक संपत्तियों को चिन्हित किया गया है। इनमें से कुछ संपत्तियां बेच दी गई हैं, वहीं कुछ को बेचने की प्रक्रिया चल रही है।

गौरतलब है कि प्रदेश सरकार की कहां, कितनी संपत्ति है, उसका क्या व्यावसायिक या अन्य उपयोग किया जा सकता है। इसका प्रबंधन करने के लिए सरकार ने एक अलग लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग बनाया है। यह विभाग प्रदेशभर में सरकारी संपत्तियों की सूची तैयार कर रहा है। विभाग संपत्ति के रखरखाव के साथ उसके औचित्य का निर्धारण भी करेगा। संपत्ति के बारे में नीति और गाइडलाइन तैयार करेगा। सरकार को इस संपत्ति के बारे में राय देगा कि उसे बेचना उचित है या नहीं। उसका किस तरह से व्यावसायिक उपयोग किया जा सकता है। जमीनों के मॉनीटाइजेशन के लिए विकल्प ढूंढ़ेगा, जिससे सरकार को अतिरिक्त आय प्राप्त हो सके। इसके लिए वह विभागों से विचार-विमर्श और समन्वय से काम करेगा। पीपीपी प्रोजेक्ट में यह अन्य विभागों या एजेंसियों को सलाह भी देगा।

प्रदेश में तकरीबन सभी विभागों के पास अचल संपत्तियां हैं। लोक निर्माण विभाग के पास जो रेस्ट हाउस हैं, उनमें निर्माण तो एक या डेढ़ हजार वर्गफीट पर है लेकिन ढाई से सात एकड़ तक जमीन खाली पड़ी हुई है। साथ ही वो अचल संपत्ति, जिसका उपयोग नहीं हो रहा है, उनके निराकरण की समयबद्ध कार्ययोजना बनाने को कहा गया है। ऐसी सभी संपत्तियों का उपयोग अब राज्य हित में वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए किया जाएगा। सरकार ने लोक निर्माण और सड़क परिवहन निगम की कुछ संपत्तियां नीलाम करने की तैयारी शुरू कर दी है। लोक निर्माण विभाग भोपाल, इंदौर और जबलपुर में अपनी कुछ संपत्तियां बेचने जा रहा है। इसके लिए समिति भी बनाई जा चुकी है। वहीं, परिवहन विभाग ने भी सड़क परिवहन निगम की अचल संपत्तियों को बेचने का निर्णय किया है।

सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में वर्तमान सरकार ने सरकारी संपत्तियां बेचने की सबसे बड़ी योजना शुरू की है। इसके तहत बस डिपो, रेस्ट हाउस, मकान, खाली भूखंड, कारखाने, ऑफिस, बिल्डिंग, रेशम केंद्र, सिल्क केंद्र आदि बेचे जा रहे हैं। फिलहाल प्रदेशभर में 60 से अधिक संपत्तियों को सूचीबद्ध किया गया है। इन संपत्तियों को लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग की वेबसाइट पर प्रदर्शित किया गया है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इनमें से कई संपत्तियों की बिक्री के लिए टेंडर जारी किए जा चुके हैं। कुछ संपत्तियों की बोली भी शुरू हो गई है। अपनी योजना के तहत सरकार ने मुरैना जिले के पोरसा नगर के प्राइम लोकेशन पर मौजूद बस स्टैंड को सरकार ने बेच दिया। इस बस स्टैंड को बेचने की नीलामी भोपाल में जनवरी महीने में इतने चुपचाप में कराई गई कि आम जनता तो छोडिए अंबाह ब्लॉक व पोरसा तहसील के अफसरों तक को इसकी जानकारी नहीं लगी। लगभग 16 करोड़ रुपए में बस स्टैंड की जमीन को निर्माणों सहित बेचा गया है। वहीं अब मुरैना शहर का भी एक बस स्टैंड बिकने जा रहा है। यह बस स्टैंड मप्र राज्य परिवहन निगम की संपत्ति है और इसे नीलाम करने के लिए मुरैना जिला प्रशासन प्रस्ताव भी भेज चुका है। उधर, प्रदेश के 20 जिलों की सरकारी संपत्ति को बेचने पर रोक लगाने के लिए मप्र हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। यह याचिका नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की ओर से दायर की गई है।

प्रदेश के बाहर की संपत्तियों पर नजर

मप्र के बाहर शासकीय परिसंपत्तियों से आय बढ़ाने के लिए सरकार उनका नए सिरे से उपयोग करेगी। इसके लिए नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने पुनर्घनत्वीकरण नीति 2016 में बदलाव का मसौदा तैयार किया है। इसके तहत मप्र के स्वामित्व वाली वे संपत्तियां जो अन्य राज्यों में है और अविवादित हैं, उन्हें नीति में शामिल किया जाएगा। वहीं, लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग के माध्यम से विभिन्न विभागों की अनुपयोगी परिसंपत्तियों को नीलाम करने कार्रवाई शुरू कर दी गई है। शहरी क्षेत्रों में स्थित शासकीय भवन और परिसरों के नए सिरे से उपयोग के लिए पुनर्घनत्वीकरण नीति 2016 में लागू की गई थी। इसका दायरा सीमित था लेकिन अब इसके विस्तार की जरूरत महसूस की जा रही है। इसे देखते हुए नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने नीति में संशोधन का मसौदा तैयार किया है। सूत्रों के मुताबिक निगम, मंडल, प्राधिकरण और नगरीय निकायों के भवन या परिसर भूमि का नए सिरे से उपयोग किया जा सकेगा। प्रदेश के बाहर स्थिति अविवादित और अनुपयोग संपत्ति भी नीति के दायरे में आएगी। प्रदेश की उप्र, महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों में संपत्तियां हैं। मप्र राज्य परिवहन निगम की कई संपत्तियां गुजरात, उप्र, राजस्थान व अन्य राज्यों में भी हैं। उनमें से कई संपत्तियों की हालत यह है कि कहीं तो दबंगों ने इन पर कब्जा कर लिया है तो कहीं स्थानीय सरकार ने। महाराष्ट्र के नागपुर में भी मप्र राज्य परिवहन निगम की एक संपत्ति थी, जिस पर महाराष्ट्र सरकार ने गरीबों के आवास बना दिए हैं।

- जितेंद्र तिवारी

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