स्वस्थ राजनीति का केंद्र माने जाने वाले मप्र की राजनीति में भी क्या अब बंगाल और बिहार की 'दबंगईÓ वाली राजनीति आ गई है? यह सवाल मप्र के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में गूंज रहा है। दरअसल, हुआ यह कि मप्र विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर रहे भाजपा के विधायक रामेश्वर शर्मा का वीडियो गत दिनों वायरल हुआ था। वीडियो में भोपाल के हुजूर क्षेत्र से विधायक शर्मा को एक कार्यक्रम में कांग्रेस और उसके बड़े नेता दिग्विजय सिंह को जमकर कोसते नजर आते हैं। वीडियो में शर्मा अपने समर्थकों को एक जगह सलाह देते हैं, 'भ्रष्ट कांग्रेसियों को बर्दाश्त मत करो, क्षेत्र में घुसें तो इनके घुटने तोड़ डालो।Ó इस वीडियो पर बवाल मच गया क्योंकि उन्होंने हिंसा की बात की। मप्र में इसी को लेकर लोग कह रहे हैं कि यहां राजनीति में ऐसी 'हिंसाÓ और 'दबंगईÓ की बात तो पहले नहीं होती थी।
शर्मा के वीडियो के बाद बवाल मचा हुआ है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। वीडियो वायरल होते ही पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा के सदस्य दिग्विजय सिंह ने उनके सरकारी घर के समक्ष रामधुन गाने पहुंचने का ऐलान किया था। दिग्विजय सिंह ने कहा था, 'शर्मा के घर पहुंचेंगे। वे और उनके समर्थक उनका घुटना तोड़कर दिखाएं? शर्मा के हिंसात्मक व्यवहार का जवाब अहिंसा से देंगे।Ó
इसके बाद दिग्विजय सिंह पुरानी विधानसभा परिसर में गांधी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर पैदल मार्च करते हुए रामेश्वर शर्मा के निवास पर पहुंचे। अपनी ब्रिगेड के साथ रामधुन गाई। उधर वायरल हुए वीडियो पर पार्टी से फटकार पड़ने की चर्चाओं के बीच शर्मा ने यू-टर्न मारते हुए दिग्विजय सिंह और उनकी मंडली का अपने घर पर स्वागत के लिए तैयारी की। दिग्जिवय सिंह की रामधुन के पहले राम दरबार सजाकर खुद रामधुन गाई। रामेश्वर शर्मा के यू-टर्न पर दिग्विजय सिंह ने भी एक के बाद एक कई ट्वीट कर चुटकियां लीं। अपने एक ट्वीट में सिंह ने कहा, 'हिंसा पर अहिंसा की जीत। कांग्रेस कार्यकर्ताओं के घुटने तोड़ने वाले भाजपा विधायक ने कांग्रेसियों के सामने घुटने टेके!! कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए हलुआ-पुड़ी का निमंत्रण। धन्यवाद। गांधी की आवाज सुनो।Ó सिंह ने अपने दूसरे ट्वीट में कहा, 'हे भाजपाईयों, है संघियों हमारे साथ बैठ कर रामधुन गाओ। और भारतीय संविधान का पालन कर सभी धर्मों का सम्मान करो। गांधी की आवाज सुनो।Ó ये मामला तो शांति से निपट गया, लेकिन बता दें यह पहला मौका नहीं है। इसके पहले भी भाजपा खेमे से विवाद खड़े करने वाले अनेक बयान और उदाहरण सामने आए हैं। जो इशारा करते हैं कि मप्र की शिवराज सरकार एवं प्रदेश भाजपा अपने विरोधियों को ठिकाने लगाने के लिए बंगाल और बिहार की राजनीति की 'राहÓ पकड़ रहे हैं।
रामेश्वर शर्मा की तरह अन्य विवादास्पद बयान रीवा जिले के सेमरिया विधानसभा का नेतृत्व करने वाले भाजपा विधायक केपी त्रिपाठी की ओर से सामने आया था। गत दिनों अपने क्षेत्र के एक कार्यक्रम में उन्होंने विरोधियों को धमकाते हुए सार्वजनिक मंच से कहा था, 'बदनाम करने वाले को सेमरिया के लोग जमीन में गाड़ देंगे। बदनाम करने वाला चाहे जहां से चुनाव लड़े जीत नहीं पाएगा।Ó त्रिपाठी यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा, 'हम ऐसी योजना बना रहे हैं, जिससे कांग्रेसियों के गुर्दे, किडनी और लीवर सब खत्म हो जाएंगे।Ó केपी त्रिपाठी के इस बयान को लेकर भी बवाल मचा हुआ है। कांग्रेस समेत तमाम विरोधी दलों ने विरोध जताते हुए त्रिपाठी से खेद जताने और बयान वापस लेने की मांग रखी है।
बदले की राजनीति
भाजपा छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन करने वाले भोपाल के पूर्व विधायक जितेंद्र डागा के चूना भट्टी इलाके के शोरूम में अतिक्रमण बताकर बड़ी तोड़फोड़ की गई थी। पूरे कागज होने के बावजूद एक न सुनने का आरोप लगाते हुए डागा ने इसे बदले की कार्रवाई बताया था। तोड़फोड़ की भनक लगने पर दिग्विजय सिंह भी डागा के व्यावसायिक स्थल पर पहुंचे थे। विरोध दर्ज कराया था। कोर्ट जाने की सलाह दी थी। डागा कोर्ट गए थे, उन्हें राहत मिली थी। भोपाल में ही कांग्रेस के विधायक आरिफ मसूद के काफी पुराने कॉलेज में अतिक्रमण के नाम पर स्थानीय प्रशासन और नगर निगम द्वारा पिछले दिनों की गई भारी तोड़फोड़ को भी 'बंगाल-बिहार की राजनीतिÓ का उदाहरण करार दिया गया था। मसूद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को लेकर बेहद मुखर थे। उनकी मुख्यमंत्री के खिलाफ तीखी-बयानबाजी के दौर के बीच तोड़फोड़ के तमाम निहितार्थ निकाले गए।
- राकेश ग्रोवर