प्रदेश में रबी फसलों की बुवाई के बाद से ही किसानों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। एक तरफ जहां किसान खाद की किल्लत से परेशान हैं, वहीं सिंचाई के लिए भी बेहाल हो रहे हैं। दरअसल, सरकार के लाख दावों के बाद भी किसानों को पर्याप्त बिजली नहीं मिल पा रही है। बिजली संकट के बीच सरकार का निर्देश है कि किसानों को कम से कम 10 घंटे बिजली दी जाए, लेकिन शहडोल, छिंदवाड़ा, नरसिंहपुर सहित कई जिलों में स्थिति यह है कि गांवों में 6-8 घंटे भी बिजली नहीं मिल पा रही है।
प्रदेश सरकार इस बार भी रबी फसलों के रिकार्ड उत्पादन का अनुमान लगा रही है, वहीं किसानों के सामने सबसे बड़ा सवाल ये है कि बिजली कटौती के बीच खेतों की सिंचाई वो करें तो कैसे करें। दरअसल रबी सीजन की खेती के लिए इन दिनों खेतों की सिंचाई के लिए पानी की जरूरत है और खेतों में पानी लाने के लिए बिजली चाहिए, लेकिन किसानों का कहना है कि उन्हें पर्याप्त बिजली नहीं मिल पा रही है। बहुत कम समय के लिए बिजली दिन में मिल रही है और फिर उसके बाद जब बिजली दी भी जा रही है तो वह वो तड़के सुबह बिजली दी जा रही है तो किसानों का कहना है कि इस कड़कड़ाती ठंड में वह खेतों की सिंचाई करें कि अपनी जान बचाएं, कुल मिलाकर किसान अपने खेतों की सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं और ज्यादातर किसानों की खेती में अब देरी हो रही है क्योंकि अब फसलों की बुवाई का समय आ चुका है और ज्यादा देरी किसानों के लिए नुकसानदायक हो सकती है।
शहडोल के किसानों का कहना था कि बिजली की समस्या को लेकर वह बहुत परेशान हैं, क्योंकि थ्री फेस बिजली बहुत कम समय के लिए दी जा रही है और जो बिजली कुछ फेस में दी भी जा रही है तो वोल्टेज कम रहता है जिससे उनको बहुत समस्या का सामना करना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि अगर उन्हें पर्याप्त बिजली नहीं दी गई तो वह खेतों की सिंचाई नहीं कर पाएंगे। अभी जितनी बिजली मिल रही है उसमें तीन-तीन दिन में 1 एकड़ भी सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि एक बार सिंचाई का क्रम टूट जाता है तो फिर शुरुआत से सिंचाई करनी पड़ती है। इसलिए किसानों की मांग है कि पर्याप्त समय तक बिजली दी जाए जिससे वह खेतों की सिंचाई आराम से कर सकें।
बिजली की सप्लाई को लेकर सिंहपुर सब स्टेशन के जूनियर इंजीनियर डीएस धुर्वे कहते हैं कि सरकार के नियम के आधार पर हम अभी सिंगल फेसिंग पर काम कर रहे हैं, जिसमें 11 केवी फीडर जो सब स्टेशन से निकलते हैं उसमें जो मिक्स फीडर है उसमें हम शाम को 4 बजे से रात को 2 बजे तक 2 फेस चालू रखते हैं मतलब 1 फेस बंद कर देते हैं। फिर तड़के सुबह 4 से 6 बजे तक फिर से 3 फेस चालू कर देते हैं, फिर सुबह 6 से 10 बजे तक फिर 2 फेस चालू रखते हैं, फिर दिन में 10 से 4 बजे तक थ्री फेज सप्लाई करते हैं। ऐसा ही एग्रीकल्चर फीडर के साथ भी है। पंप की सिंचाई के लिए उसे हम दो स्लॉट में बांटे हुए हैं। एक तारीख से 15 तारीख के बीच में जो एजी फीडर चालू होगा सुबह 6.30 बजे से 12.30 बजे तक और शाम को 7.30 बजे से 11.30 बजे तक और 16 तारीख से 30 या 31 तारीख तक दोपहर 12.30 बजे से शाम को 6.30 बजे तक और रात में 11.30 बजे से 3.30 बजे तक चालू रहेगा।
अभी तक किसान खाद के लिए धरना-प्रदर्शन कर रहे थे, अब बिजली के लिए किया जा रहा है। छिंदवाड़ा-नरसिंहपुर रोड पर अमरवाड़ा-नरसिंहपुर एनएच 547 को किसानों ने जाम कर दिया। किसान बिजली की कटौती से परेशान हैं। किसानों का कहना है कि प्रशासन की ओर से लंबे समय से अघोषित बिजली कटौती की जा रही है, जिसकी वजह से उन्हें गेहूं की फसल में पानी की सिंचाई के लिए पर्याप्त बिजली नहीं मिल पा रही है। किसानों ने कई बार इसकी शिकायत संबंधित अधिकारियों से की लेकिन उन्होंने इस ओर ध्यान नहीं दिया। जिसके बाद आक्रोशित किसानों ने सड़क जाम कर दिया। हालांकि, बाद में प्रशासन के समझाने पर जाम हटाया गया।
फसलों का होगा नुकसान
किसानों ने बताया कि अगर सिंचाई में देरी होगी तो फसलों को लगाने में देरी हो जाएगी क्योंकि जब तक खेत में पानी नहीं पहुंचाएंगे तब तक फसल की बुवाई नहीं कर पाएंगे। वहीं कुछ किसानों का कहना है कि अगर कुछ किसानों ने बुवाई कर भी ली है तो उनके फसलों को भी अब पानी की जरूरत है, अगर पानी नहीं देंगे तो उनके फसलों का नुकसान होगा। छिंदवाड़ा में भी किसानों ने खेतों में गेहूं की बोवनी कर दी है, लेकिन पर्याप्त बिजली नहीं मिलने की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं रात में बिजली सप्लाई न होने की वजह से ठंड के मौसम में किसान रतजगा करने को मजबूर हैं। कड़कड़ाती ठंड में जहां लोग घर से निकलने में भी परहेज करते हैं। वहीं इन दिनों छिंदवाड़ा के हर गांव के खेतों में कहीं किसान रात भर ठंडे पानी में सिंचाई करते हुए मिलेगा तो कहीं बिजली के इंतजार में रात भर जागता मिलेगा। दरअसल, रबी की फसल सिंचाई का काम शुरू हो गया है, लेकिन बिजली का शेड्यूल ऐसा है कि किसान को दिन हो या रात सिंचाई के लिए खेतों में डटे रहना पड़ रहा है। किसानों ने बताया कि उन्हें बिजली पर्याप्त नहीं मिलती है। कभी बिजली आती है तो फिर वोल्टेज की समस्या होती है, लेकिन बिजली कर्मचारी महीने में बिल वसूलने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ते। अगर कभी चूक हो जाए तो बिजली काटने से लेकर मोटर पंप तक कुर्क करने की धमकी तक देते हैं।
- अरविंद नारद