मप्र के विकास को बूस्टर डोज
01-May-2022 12:00 AM 446

 

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मप्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विकास का जो रोडमैप तैयार किया है उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरी झंडी दे दी है। गत दिनों मुख्यमंत्री नई दिल्ली में जब प्रधानमंत्री से मिले तो उन्होंने प्रदेश के विकास के लिए तैयार किए गए प्रस्तावों का प्रेजेंटेशन दिया। उसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने मप्र के  विकास में भरपूर सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया।

वर्ष 2018 के उतरार्द्ध से लेकर मार्च 2020 तक की अवधि को छोड़ दिया जाए तो मप्र पिछले 17 साल से विकास के स्वर्णिम दौर से गुजर रहा है। इसका पूरा श्रेय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जाता है। उन्होंने अपनी जिद और जुनून से आज प्रदेश को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में ला खड़ा किया है। अपनी चौथी पारी में तो शिवराज की कुछ कर गुजरने की ललक इस कदर देखी जा रही है कि वे एक ही दिन में प्रदेश का एक-एक कोना छान लेते हैं। जिसका परिणाम है कि आज मप्र देश के लिए विकास का मॉडल बना हुआ है। शायद यही वजह है कि प्रधानमंत्री भी समय-समय पर मप्र के विकास कार्यों की समीक्षा करते रहते हैं।

23 अप्रैल को एक बार फिर प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ मप्र के विकास पर मंथन किया। इस दौरान शिवराज ने मप्र के विकास के लिए चलाई जा रही योजनाओं का प्रेजेंटेशन दिया। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को बताया कि हम मप्र में रोजगार दिवस का आयोजन करते हैं। हर महीने एक दिन रोजगार दिवस होता है। हमारा टारगेट होता है कि कम से कम दो लाख स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराएं। इसके लिए लोन दिया जाता है। केंद्र और राज्य दोनों मिलकर रोजगार के अवसर बढ़ाएंगे। इसके अलावा, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री से गेहूं के निर्यात को लेकर भी चर्चा की। मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि प्रदेश में इस बार हम 20 लाख मीट्रिक टन गेहूं और निर्यात करेंगे।

गौरतलब है कि मप्र अपनी विकास योजनाओं के साथ ही केंद्र की योजनाओं पर अमल में देश में अग्रणी है। यही कारण है कि देर से ही सही मप्र अपने गठन के समय बूझी गई संभावनाओं को साकार करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। खासतौर से पिछले डेढ़ दशक का अरसा इस बात का गवाह रहा है, कि मप्र विकास के पथ पर अब आगे ही आगे है। सुविचारित सोच, सुचिंतित नीतियों, फैसलों और प्रेरणादायी नेतृत्व ने सरकार की नीति और नीयत के फर्क को मिटाकर सच्चे अर्थों में प्रदेश के विकास और लोगों की बेहतरी के कामों की तस्वीर में नए रंग भर दिए हैं। आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में न केवल अपनी बल्कि भारत सरकार की भी लोक कल्याणकारी योजनाओं, कार्यक्रमों को अमली जामा पहनाने में अग्रणी बनकर उभरा है। मप्र की इन्हीं उपलब्धियों को देखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मप्र को भारत की अर्थव्यवस्था की ड्राइविंग फोर्स बनने की पूरी क्षमता वाला बताया है।

गौरतलब है स्वामित्व योजना में आबादी क्षेत्र के भू-अभिलेख तैयार कर ग्रामीणों को भूमि-स्वामी हक प्रदान करने में मप्र अग्रणी है। इसी साल 6 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रदेश के 19 जिलों के 3 हजार ग्रामों के 1 लाख 71 हजार हितग्राहियों को अधिकार अभिलेख वितरित किए। प्रदेश में अब तक 3 हजार 800 से अधिक गांवों में 2 लाख 71 हजार अधिकार अभिलेख वितरित किए जा चुके हैं।

गौरतलब है कि एनीमिया मुक्त भारत अभियान में 64.1 स्कोर के साथ मप्र ने देश में पहला स्थान प्राप्त किया है। आयुष्मान भारत योजना के कार्ड जनरेशन में मप्र पूरे देश में प्रथम है। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के क्रियान्वयन में मप्र देश में प्रथम स्थान पर है। जल जीवन मिशन एक करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवार वाले राज्यों में मिशन की इस साल की भौतिक प्रगति में मप्र का देश में चौथा स्थान है। कृषि अधोसंरचना निधि के उपयोग में मप्र देश में पहले स्थान पर है। अब तक 805 करोड़ रुपए से अधिक की ऋण राशि प्रदेश में हितग्राहियों को कृषि अधोसंरचा के विकास के लिए प्रदाय जारी कर दी गई है। भारत सरकार के स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 में प्रदेश ने एक पायदान की छलांग लगाकर देश में तीसरा स्थान प्राप्त किया है। प्रधानमंत्री स्व-निधि योजना के तहत पथ-विक्रेताओं को शत-प्रतिशत ब्याज मुक्त ऋण देकर मप्र देश में अव्वल है। जरूरतमंद लोगों को मनरेगा में रोजगार दिलाकर मप्र देश में अग्रणी रहा है। सशक्तिकरण के तहत स्व-सहायता समूहों को बैंक ऋण स्वीकृत कराकर देश में प्रथम स्थान पर है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में सड़कों की लंबाई की उपलब्धि में मप्र पिछले 3 वर्षों से देश के उच्चतम 7 राज्यों की सूची में शामिल है। साथ ही सड़कों की गुणवत्ता में भी प्रदेश, पिछले 3 वर्षों से देश में प्रथम है। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में आवास पूर्णता के प्रतिशत के आधार पर प्रदेश, देश में दूसरे और आवासों की संख्या के आधार पर तीसरे स्थान पर है। ट्रान्सजेंडरों को पहचान-पत्र जारी करने वाला मप्र देश का पहला राज्य है। दिव्यांगजन पहचान-पत्र बनाकर जारी कर देश में दूसरे स्थान पर है। प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना में प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है। सौर ऊर्जा में मप्र अग्रणी है। कौशल विकास के तहत आईटीआई ग्रेडिंग में मप्र पूरे देश में तीसरे स्थान पर है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में प्रदेश को देश में चौथी रैंकिंग प्रदान की गई है।

प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने प्रदेश में चलाई जा रही रोजगार की योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि युवाओं को स्व-रोजगार से जोड़ने पर सरकार का फोकस है। प्रदेश में उद्यमी युवाओं को ऋण सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। प्रदेश में स्वामी विवेकानंद जयंती 12 जनवरी 2022 से हर महीने प्रदेशभर में रोजगार दिवस का आयोजन किया जा रहा है। अब तक (12 जनवरी, 25 फरवरी, 30 मार्च) कुल 3 रोजगार दिवस कार्यक्रमों का आयोजन हुआ है। इन रोजगार दिवसों में 13.6 लाख से अधिक लोगों को लगभग 7.7 हजार करोड़ की राशि का ऋण वितरण किया गया है। युवाओं के स्वरोजगार के लिए 5 अप्रैल 2022 को मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना के तहत प्रदेश के 1815 युवाओं को 112 करोड़ के ऋण स्वीकृत किए गए हैं। रोजगार दिवस में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, प्रधानमंत्री निधि योजना, मुख्यमंत्री ग्रामीण पथ विके्रता योजना, मुख्यमंत्री उद्धव क्रांति योजना, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन जैसी विभिन्न योजनाओं से युवा लाभांवित हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में रोजगार दिवस का आयोजन किया जाता है। हर महीने एक दिन रोजगार दिवस होता है। हमारा टारगेट होता है कि, कम से कम दो लाख स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराएं। इसके लिए लोन दिया जाता है। केंद्र और राज्य दोनों मिलकर रोजगार के अवसर बढ़ाएंगे।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार की नीतियों का असर अब पूरी तरह दिखने लगा है। प्रदेश में औद्योगिक विकास, योजनाओं-परियोजनाओं के क्रियान्वयन और रोजगार सम्मेलनों के कारण बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार मिला है। इसका असर यह पड़ा है कि मप्र में बेरोजगारी दर न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है। मप्र की बेरोजगारी दर 1.4 प्रतिशत हो गई है। देश में इससे कम केवल छत्तीसगढ़ की बेरोजगारी दर 0.6 प्रतिशत है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार मप्र में सरकार ने इस साल अब तक 13,65,000 युवाओं को रोजगार दिया है। जनवरी में 5,26,000 व 16 फरवरी को 5,04,000 लोगों को रोजगार मिला है। 30 मार्च को 3,35,000 युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराया गया। सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकॉनॉमी संगठन द्वारा जारी किए गए बेरोजगारी के ताजा आंकड़ों में छत्तीसगढ़ की स्थिति देश में सबसे बेहतर बताई गई है। आंकड़ों के मुताबिक बीते मार्च महीने में छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर अब तक के सबसे न्यूनतम स्तर 0.6 प्रतिशत पर पहुंच गई है। सबसे कम बेरोजगारी दर वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ देश में पहले नंबर पर है। मार्च में ही देश में बेरोजगारी दर 7.5 प्रतिशत रही। वहीं मप्र दूसरे स्थान पर है। मप्र की बेरोजगारी दर 1.4 प्रतिशत हो गई है। मप्र सरकार का दावा है कि नीतिगत फैसले और बेहतर कार्यप्रबंधन से लगातार युवाओं को रोजगार के अवसर राज्य में उपलब्ध हो रहे हैं, जिससे राज्य की बेरोजगारी दर में लगातार गिरावट आ रही है। 3 अप्रैल 2022 की स्थिति में सीएमआईई द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार सर्वाधिक बेरोजगारी दर हरियाणा में 26.7 प्रतिशत, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में 25-25 प्रतिशत, झारखंड में 14.5 प्रतिशत, बिहार में 14.4 प्रतिशत, त्रिपुरा में 14.1 प्रतिशत, हिमाचल प्रदेश में 12.1 प्रतिशत रही।

स्टार्टअप पॉलिसी लॉन्च करेंगे

मप्र में स्टार्टअप बड़ी तेजी से उभर रहे हैं। प्रदेश सरकार ने अपनी स्टार्टअप की पॉलिसी बनाई है। मुख्यमंत्री इस पॉलिसी को प्रधानमंत्री के हाथों लॉन्च करना चाहते हैं। मप्र में स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहन की जानकारी मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को दी। स्टार्ट-अप नीति को और समग्र, समेकित और प्रभावी बनाने के लिए एमपी स्टार्ट-अप नीति और कार्यान्वयन योजना-2022 तैयार की गई है। स्टार्ट-अप्स और इनक्यूबेटर्स को निवेश सहायता, आयोजन सहायता, उन्नयन सहायता और लीज रेन्टल सहायता आदि का प्रावधान किया गया है। स्कूल और महाविद्यालयीन स्तर से छात्रों में नवाचार एवं स्टार्ट-अप की भावना जागृत करने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाने का प्रावधान भी नीति में है। प्रदेश में 1,900 से अधिक स्टार्टअप इंडिया से अधिमान्य स्टार्ट-अप अब तक स्थापित हो चुके हैं। प्रदेश में न्यूनतम 1 स्टार्ट-अप को प्रतिष्ठित यूनिकॉर्न स्टार्टअप का दर्जा प्राप्त हुआ। प्रदेश में 2022 में न्यूनतम 2 स्टार्ट-अप को यूनिकॉर्न स्टार्ट-अप का दर्जा प्रदान करने का प्रयास किया जाएगा।

20 लाख मीट्रिक टन गेहूं और होगा एक्सपोर्ट

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को बताया कि 1000 रुपए में स्टेट लेवल सिंगल गेहूं एक्सपोटर्स का लाइसेंस 2022-23 में गेहूं निर्यातकों को मंडी शुल्क की प्रतिपूर्ति की योजना लागू की गई है। गेहूं निर्यात को बढ़ावा देने निर्यातकों को मात्र 1000 रुपए में प्रदेश स्तरीय एकल लाइसेंस मिलेगा। अब तक 358 निर्यातकों द्वारा पोर्टल पर पंजीयन कराया गया है। पिछले साल की तुलना में इस साल गेहूं के निर्यात में 8-10 गुना वृद्धि हुई है। इस साल प्रदेश से गुजरात, आंध्रप्रदेश एवं महाराष्ट्र की बंदरगाहों से लगे रेलवे रेक पॉइंट्स पर भेजी जा रही गेहूं की रेक संख्या में वृद्धि हुई है। पिछले 1 माह में प्रदेश से 87 रेक के माध्यम से लगभग 2.4 लाख टन गेहूं बंदरगाहों तक भेजा जा चुका है। कृषि निर्यात प्रकोष्ठ में निर्यातकों की सहायता हेतु एक्सपोर्ट हेल्पलाइन नंबर 18002333474 जारी किया। 11 अप्रैल 2022 को इजिप्ट के प्रतिनिधिमंडल के इंदौर दौरे के बाद कृषि निर्यात प्रकोष्ठ के अधिकारी लगातार इजिप्ट के आयातकों के संपर्क में हैं। केंद्र और मप्र सरकार मिलकर इजिप्ट को गेहूं निर्यात करने के लिए कांडला और मुंदरा पोर्ट से गेहूं के जहाजों का फ्लैग ऑफ कार्यक्रम आयोजित करेंगे। मुख्यमंत्री ने बताया कि मप्र में कुल पात्र परिवार 1 करोड़ 17 लाख हैं। कुल पात्र हितग्राही 5 करोड़ हैं। प्रत्येक माह की 7 तारीख को प्रदेशव्यापी अन्न उत्सव का आयोजन किया जाता है।

- कुमार विनोद

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