गुटों में बंटी कांग्रेस मिशन 2023 के लिए धीरे-धीरे एकजुट हो रही है। कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस पूरे दम-खम के साथ आगामी विधानसभा चुनाव में उतरने के लिए लामबंद हो रही है। इससे कांग्रेस में नई उमंग देखी जा रही है।
मप्र में भले ही दो साल पहले असमय कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ा हो, लेकिन इसके बाद भी प्रदेश के दिग्गज नेताओं का कद पार्टी हाईकमान के सामने कम नहीं हुआ है। हाल ही के कुछ दिनों को देखें तो मप्र के कांग्रेस नेताओं की दस जनपथ में पूछताछ लगातार बढ़ती ही जा रही है। इसमें एक नाम और अब अरुण यादव का जुड़ गया है। दिग्विजय सिंह के अलावा कांग्रेस के चिंतन शिविर के लिए गठित की गईं कमेटियों में इन दोनों ही नेताओं को जगह दी गई है। इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की दिल्ली में सोनिया गांधी से मेल-मुलाकात का दौर लगातार जारी है। वे एक हफ्ते में अब तक चार बार उनसे मुलाकात कर चुके हैं। इन दोनों ही नेताओं की चल रही मुलाकातों को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसकी वजह है उनका राजनीतिक अनुभव और पार्टी के हिसाब से सियासी समझ और प्रभाव। दरअसल दिग्विजय सिंह और कमलनाथ उन नेताओं में शामिल हैं, जो पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में माने जाते हैंं। इन दोनों नेताओं की यह मुलाकातें ऐसे समय हो रही हैं, जब पार्टी में नई रणनीति को लेकर मंथन किया जा रहा है।
माना जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनावों में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की बड़ी भूमिका रहने वाली है। उधर उनकी इन मुलाकातों को प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से जोड़कर भी देखा जा रहा है। कहा तो यह भी जा रहा है की मप्र के विधानसभा चुनाव को लेकर प्रशांत किशोर द्वारा हाल ही में एक रिपोर्ट पार्टी हाईकमान को दी गई है। इस रिपोर्ट पर भी इन दोनों नेताओं के साथ सोनिया गांधी द्वारा चर्चा की जा रही है।
उधर, कांग्रेस द्वारा अगले माह तीन दिन के लगाए जा रहे राष्ट्रीय स्तर के चिंतन शिविर के लिए सोनिया गांधी द्वारा अलग-अलग कोआर्डिनेशन पैनलों का व समितियों का गठन किया गया है। इसमें सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण विषय के पैनल में जहां दिग्विजय सिंह को रखा गया है, वहीं किसान व खेती के मामले में विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के लिए बनाई गई समिति में अरुण यादव को शामिल किया गया है। इस समिति में उनके अलावा आठ अन्य सदस्यों को शामिल किया गया है। इसके अलावा कमलनाथ प्रदेश के ऐसे नेता हैं, जो बीते लंबे समय से अघोषित तौर पर सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार के रूप में माने जा रहे हैं। बताया जाता है कि सोनिया के साथ कमलनाथ की बैठक करीब एक घंटे तक चली। जिसमें प्रदेश के राजनीतिक मामलों सहित संगठन के विषयों, रणनीति और पार्टी के आगामी कार्यक्रमों पर भी चर्चा की गई। कहा तो यह भी जा रहा है कि इस दौरान प्रशांत किशोर की रिपोर्ट पर भी बात की गई है। दरअसल पार्टी हाईकमान का फोकस 2024 के लोकसभा चुनाव पर है, लेकिन उसके पहले मप्र सहित अन्य राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की चिंता भी कांग्रेस हाईकमान को बनी हुई है। यह चुनाव लोकसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले होना है।
इसको लेकर कई बदलावों की सुगबुगाहट अभी से शुरू हो गई है। गौरतलब है कि मप्र में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कमलनाथ के नेतृत्व में ही उतरेगी यह पहले ही तय हो चुका है। इसको लेकर पहले ही प्रदेश के सभी प्रमुख नेताओं में सहमति बन चुकी है। चुनाव से पहले कमलनाथ भी सभी दिग्गज नेताओं के बीच हर मामले में सहमति बनाने के लिए लगतार बैठकें कर रहे हैं। उनके द्वारा राजनीतिक फैसलों के लिए एक समिति भी बनाई जा चुकी है। अब इस समिति की बैठक अगले माह प्रस्तावित है। इस समिति में कमलनाथ के साथ दिग्विजय सिंह, सुरेश पचौरी, अरुण यादव, अजय सिंह, कांतिलाल भूरिया शामिल हैं। दरअसल इस कवायद के पीछे गुटों में बंटी प्रदेश कांग्रेस में नेताओं के बीच एकजुटता दिखाना भी है। पार्टी में तमाम गुटों के नेताओं का अपने-अपने क्षेत्र में प्रभाव है। यही वजह है कि पार्टी का प्रयास है कि सभी नेता एक साथ बैठें, निर्णय सामूहिक हों। कार्यकर्ताओं में संदेश जाएगा कि सभी साथ हैं।
डॉ. गोविंद सिंह को सौंपी गई नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी
कांग्रेस आलाकमान ने नई रणनीति के तहत डॉ. गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाया है। इससे पार्टी ने ग्वालियर-चंबल संभाग में अपनी किले को मजबूत करने की कवायद की है। साथ ही भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को घेरने के लिए यह बदलाव किया गया है। गोविंद सिंह सात बार से विधायक हैं और कांग्रेस में कई महत्वपूर्ण पद संभाल चुके हैं। कमलनाथ की कोशिश है कि प्रदेश के सभी कद्दावर नेताओं को एकजुट करने के लिए उन्हें कोई न कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जाए। वैसे गोविंद सिंह को दिग्विजय सिंह का भी करीबी माना जाता है। इसलिए उनकी नियुक्ति राज्य की राजनीति में कमलनाथ के लिए भी कई समीकरण बदल सकती है।
- अरविंद नारद