मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार के प्रयास से अब मप्र ऑटोमोबाइल का हब बनेगा। इसकी उम्मीद प्रदेश के पहले ऑटो शो में जगी है। इंदौर में आयोजित तीन दिवसीय ऑटो शो कई कंपनियों ने प्रदेश में निवेश की इच्छा जताई है। एमपीआईडीसी के अधिकारियों का कहना है कि जिस तरह उद्योगों और निवेश को बढ़ावा देने के लिए औद्योगिक निवेश नीति बनाई गई है, उसी तरह अब ई-व्हीकल पॉलिसी बनाई जाएगी। इससे इंदौर, पीथमपुर सहित मप्र में ऑटोमोबाइल के ई-सेक्टर में उद्योग लगाने या निवेश करने करने वाली कंपनियोंं को कई प्रकार की छूट व रियायतें दी जाएंगी।
इंदौर में आयोजित ऑटो शो का आयोजन प्रधानमंत्री के मेक इंडिया का अनुसरण करते हुए किया गया। मप्र की ग्रोथ रेट 19.7 प्रतिशत देश में सबसे ज्यादा है। प्रति व्यक्ति आय 13 हजार से बढ़कर 1 लाख 24 हजार प्रतिवर्ष हो गई है। देश की जीडीपी में हमारा योगदान पहले 3.6 प्रतिशत था, अब 4.6 प्रतिशत हो गया है। अब बहुत जल्दी इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग के लिए नई पॉलिसी लाने जा रही है। इस पॉलिसी के अंतर्गत सरकार 40 प्रतिशत तक निवेश प्रोत्साहन सहायता उपलब्ध कराएगी।
गौरतलब है कि पहले एमपी ऑटो शो में दूसरे दिन पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जहां हर साल इस शो के आयोजन की घोषणा कर दी, वहीं अगले वर्ष जनवरी में लगातार चार दिन बड़े आयोजन की भी जानकारी दी। 7 और 8 जनवरी को इंदौर में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के बाद 9 और 10 जनवरी को पहले प्रवासी भारतीय दिवस के आयोजन की भी घोषणा की। मुख्यमंत्री ने शासन की नई स्टार्टअप नीति जल्द जारी करने के साथ ही कहा कि अब प्रदेश बीमारू राज्य नहीं रहा। यहां तक कि कोरोनाकाल में भी 650 उद्योग स्थापित हुए, जिसके जरिए 40 हजार करोड़ रुपए से अधिक का निवेश आया। मेक इन इंडिया की तर्ज पर आयोजित एमपी ऑटो शो का अब हर साल आयोजन होगा और जल्द ही प्रदेश ऑटोमोबाइल हब के रूप में भी पहचाना जाएगा। सिंगल विंडो सिस्टम के तहत 30 दिन में ही सभी तरह की अनुमतियां उद्योगों को ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत मिल जाती हैं। पीथमपुर को देश का डेट्राइट कहा जाता है। अब ऑटोमोबाइल सेक्टर में पीथमपुर सेक्टर जैसी बात कही जाए।
ऑटो शो में औद्योगिक संगठन के विनोद अग्रवाल ने कहा कि देश के ऑटो उद्योग का कुल कारोबार करीब 100 बिलियन डॉलर है। इसमें से करीब 30 प्रतिशत हिस्सा हम निर्यात कर रहे हैं। देश की मैन्युफैक्चरिंग जीडीपी में 35 फीसदी हिस्सेदारी ऑटो इंडस्ट्री की है। देश की जीडीपी में ऑटोमोबाइल उद्योग 7 प्रतिशत हिस्सेदारी कर रहा है। साथ ही यह क्षेत्र 3 करोड़ रोजगार भी दे रहा है। उद्योगपतियों ने कहा कि देश के ऑटो उद्योगों का कुल कारोबार करीब 100 बिलियन डॉलर है। इसमें से करीब 30 प्रतिशत हिस्सा हम निर्यात कर रहे हैं। उद्योगपतियों ने मुख्यमंत्री को सुझाव दिया कि एक्सपो को वार्षिक आयोजन के तौर पर मान्यता देते हुए हर वर्ष नियमित आयोजन की घोषणा की जाए। मंत्री दत्तीगांव ने मांग का समर्थन किया। मुख्यमंत्री ने माइक संभालते ही सबसे पहले हर साल ऑटो शो करवाने का ऐलान किया।
प्रदेश में औद्योगिक विकास और निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए शासन द्वारा नई स्टार्टअप पॉलिसी मई में जारी की जाएगी। इससे प्रदेश में औद्योगिक विकास का ईको सिस्टम बनेगा। पीथमपुर में स्किल डेवलपमेंट एकेडमी की स्थापना की जा रही है। इसके लिए जरूरी भवन और अधोसंरचना शासन द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी। एकेडमी में प्रशिक्षण ले रहे युवाओं के कैपेसिटी बिल्डिंग के लिए डेनमार्क, स्वीडन, जापान, जर्मनी के साथ टेक्नोलॉजी कोलाब्रेशन किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार पीथमपुर और मप्र में ऑटोमोबाइल उद्योगों की ओर से हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के निवेश प्रस्तावों पर सहमति बन चुकी है।
प्रदेश सरकार मई में स्टार्टअप नीति के साथ इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए नई नीति घोषित करेगी। लोकेशन, पानी, जमीन की उपलब्धता के लिहाज से मप्र में उद्योगों के लिए आज भी आदर्श स्थिति है। इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपोनेंट मैन्यूफैक्चरिंग के लिए आ रही नई नीति में 40 प्रतिशत तक टैक्स राहत निवेश प्रोत्साहन सहायता के तहत उपलब्ध कराई जाएगी। अगर उद्योग निजी या अविकसित सरकारी भूमि पर स्थापित होते हैं तो बिजली, पानी, सड़क पर किए व्यय की प्रतिपूर्ति सरकार करेगी। उद्योगों को पावर टैरिफ में राहत मिलेगी। आरएंडडी के साथ गुणवत्ता प्रमाणन के लिए उद्योग द्वारा किए गए खर्च की प्रतिपूर्ति भी सरकार करेगी। उद्योग दिव्यांगजन को ट्रेनिंग देते हैं, नौकरी देते हैं तो कौशल विकास और पीएफ राशि की प्रतिपूर्ति भी मप्र सरकार करेगी। इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी, स्टाम्प ड्यूटी, अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़े प्रस्तावों पर केस-टू-केस विचार कर राहत मिल सकेगी।
सुपर कॉरिडोर और बिजासन रोड जंक्शन पर 25 एकड़ में आयोजित इस ऑटो एक्सपो में लगभग 100 कंपनियों ने हिस्सा लिया, जिनमें कई वाहन बनाने वाली, तो बाकी कंपनियां कलपुर्जे, टायर-ट्यूब से लेकर अन्य ऑटोमोबाइल सेक्टर से जुड़ी शामिल हुईं। लगभग एक हजार ऑटोमोबाइल क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने इस ऑटो एक्सपो में हिस्सा लिया। चूंकि गर्मी काफी थी, इसलिए शाम 4 बजे से लेकर रात 10 बजे तक ही इंदौरी दर्शकों की भीड़ रही। पहले दिन हालांकि भीड़ नहीं थी, मगर दूसरे और तीसरे दिन अच्छी संख्या में लोग मय परिवार के वाहनों को निहारने पहुंचे। बैटरी से चलने वाली आधुनिक साइकिलों से लेकर दोपहिया और अब जो नए ई-वाहन लॉन्च हो रहे हैं, उन्हें भी देखा गया। एमपीएसआईडीसी का कहना है कि लगभग दो दर्जन ऑटोमोबाइल सेक्टर से जुड़े उद्योगपतियों ने जमीनों की मांग भी की है, वहीं सबसे अधिक रुझान इलेक्ट्रिक वाहनों में देखा गया।
युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने और रोजगार दिलाने के लिए सरकार कई आकर्षक योजनाएं ला रही है। प्रधानमंत्री जल्द ही मप्र की पहली स्टार्टअप पॉलिसी और पोर्टल लॉन्च करने वाले हैं। नई स्टार्टअप पॉलिसी में युवाओं को उद्यमिता की ओर प्रोत्साहित करने के लिए कई तरह की राहत दी गई है। इस आयोजन में कई स्टार्टअप कंपनियों की भी मौजूदगी रही, वहीं एमएसएमई सेक्टर को भी प्रोत्साहन मिलने का अनुमान है।
नीति में मप्र स्टार्टअप इनोवेशन चैलेंज पुरस्कार स्थापित किया है, यह सरकार की समस्याओं का नवाचारी हल बताने पर 1 करोड़ रुपए का पुरस्कार दिलाएगा। मप्र की स्टार्टअप पॉलिसी का कार्य क्षेत्र विस्तृत बनाया गया है। इसे इनोवेटिव आइडियाज तक ही सीमित नहीं किया गया है। सरकार अब इनोवेटिव प्रॉडक्ट मैन्यूफेक्चरिंग स्टार्टअप को भी सहायता देगी।
यह जानकारी एमएसएमई विभाग के आयुक्त पी. नरहरि ने ऑटो शो में आयोजित सेमिनार में दी। उन्होंने बताया, अब स्टार्टअप का क्षेत्र सीमित नहीं है। आईटी, फिनटेक व इनोवेटिव आइडिया को इनक्यूबेट करने वाले स्टार्टअप के साथ उत्पादन क्षेत्र में इनोवेटिव आइडियाज को भी पोषित किया जाएगा। इससे एमएसएमई को नया आयाम मिलेगा।
उन्होंने बताया, नीति में फाइनेंशियल राहत ही नहीं देंगे, एम्प्लायमेंट जनरेशन ग्रांट और अन्य छूट भी दी जाएगी। ऑटो सेक्टर में ईवी टेक्नालॉजी के साथ इनोवेटिव फ्यूल प्रॉडक्शन में क्रांति होने वाली है। नीति का उद्देश्य नवाचार को प्रोत्साहित करना है। स्टार्टअप नीति का प्रकाशन कर दिया गया है। इंदौर में ऑटोमेटिव पार्ट क्लस्टर भी तैयार किया जा रहा है।
मप्र स्टार्टअप इनोवेशन चैलेंज पुरस्कार- सरकारी विभागों की कई समस्याएं है। सरकार सभी विभागों की समस्याएं स्टार्टअप के समक्ष रखेगी। इनके लिए खुले तौर पर हल मांगे जाएंगे। स्टार्टअप द्वारा प्रस्तुत निराकरण का परीक्षण करवाएंगे। यदि यह निराकरण उस विभाग की समस्या के निराकरण पर खरा उतरेगा तो उस पर अमल किया जाएगा। इसके लिए आइडिया जनरेट करने वाले स्टार्टअप को 1 करोड़ रुपए का पुरस्कार देंगे।
स्टार्टअप मेचिंग फंड- यह फंड सीड फंड की तरह होगा। स्टार्टअप को आरबीआई या सेबी से अधिकृत संस्थान से निवेश मिलता है तो सरकार इसमें 15 प्रतिशत राशि देगी। जैसे-यदि 1 करोड़ का निवेश मिला तो सरकार इस पर 15 लाख रुपए देगी। यह राहत चार बार ली जा सकेगी। महिलाओं को 20 प्रतिशत की अतिरिक्त छूट मिलेगी। एम्प्लायमेंट जनरेशन ग्रांट का प्रावधान भी पहली बार किया गया है। इसमें सरकार एम्प्लायमेंट जनरेट करने पर कंपनी को प्रति रोजगार 5 हजार रुपए की सहायता देगी। इसके अलावा ट्रेनिंग के लिए भी अलग से राशि दी जाएगी। यह ग्रांट तीन साल के लिए होगी।
प्रदेश की शांति, उद्योगों के लिए अहम
उद्योगपतियों ने कहा कि अभी निवेश के लिए बेहतरीन समय है। आने वाले समय में 75 हजार करोड़ से एक लाख करोड़ के निवेश की उम्मीद की जा रही है। उद्योग प्रतिनिधियों ने मप्र की नीति और लोकेशन को तो उद्योगों के लिए मुफीद करार दिया। साथ ही यहां की शांति को भी अहम बताया। उन्होंने कहा कि अब हमें लोगों के बीच जाकर बताना होगा कि यहां की खासियत क्या है। उन्होंने कहा कि अभी यूरोप में चल रहे वाल्वो कंपनी के ट्रकों के इंजन जो यूरो-6 तकनीक के हैं, वे भी पीथमपुर से ही बनाकर निर्यात किए जा रहे हैं। प्रदेश के औद्योगिक नीति व निवेश प्रोत्साहन मंत्री राजवर्धन दत्तीगांव ने कहा कि अभी पूरी सरकार यहीं मौजूद है, रेड कारपेट बिछा है, जो निवेश करना चाहते हैं अभी आएं और मिलें।
अब नौकर नहीं, मालिक बनने का जुनून...
स्टार्टअप की संख्या के मामले में नगर का नाम तेजी से आगे बढ़ रहा है। इस लिहाज से देश के टॉप 10 नगरों में इंदौर का भी नाम शामिल हो गया है। स्टार्टअप की संख्या नगर में अचानक बढ़ी है। 2020 तक करीब 300 स्टार्टअप हुआ करते थे, लेकिन जनवरी 2022 तक संख्या करीब 700 हो गई है। इस वर्ष की शुरुआत में स्टार्टअप के लिए पहली बार बड़े स्तर पर कार्यक्रम कराने के दौरान पता लगा कि कई स्टार्टअप घरों में शुरू हो गए हैं। अब इनका डाटा तैयार किया जा रहा है। सबसे ज्यादा आईटी क्षेत्र के स्टार्टअप संचालित हो रहे हैं और अब तेजी से इलेक्ट्रिक वाहन बनाने के लिए भी युवा आगे आ रहे हैं। पीथमपुर में ई-वाहन बनाने के लिए तीन बड़ी परियोजनाएं नगर के युवाओं ने शुरू की हैं। इसमें से एक ई-फाई स्टार्टअप ने खुद से 5 करोड़ रुपए का निवेश किया। पहले तक एक जैसे आइडिया पर काम करने वाले स्टार्टअप अब नवाचार को बढ़ा रहे हैं। इन्वेस्ट इंदौर के सचिव सावन लड्ढा का कहना है कि 700 स्टार्टअप में से करीब 100 ऐसे स्टार्टअप हैं, जिनका निवेश 10 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। कुछ स्टार्टअप एक हजार से दो हजार करोड़ रुपए तक के बन गए हैं। दो ऐसे स्टार्टअप भी हैं, जिनका निवेश 6 हजार करोड़ रुपए से ऊपर पहुंच गया है। शहर में आईटी क्षेत्र में काम करने वाले 250 से ज्यादा स्टार्टअप हैं। इनमें से कई की शुरुआत कोरोना महामारी के दौरान हुई है। दुनियाभर में ऑटोमेशन की मांग बढ़ने से आईटी क्षेत्र में बूम की स्थिति है।
- कुमार विनोद